नई दिल्ली: केंद्र सरकार ने हुर्रियत के कट्टरपंथी धड़े के नेता सैयद अली शाह गिलानी के पासपोर्ट आवेदन को टेक्निकल आधार पर खारिज कर दिया है । विदेश मंत्रालय के मुताबिक हुर्रियत नेता के पासपोर्ट आवेदन पर मौजूदा स्वरूप में कार्रवाई नहीं की जा सकती है। मंत्रालय ने कहा कि गिलानी की ओर से अधूरा पासपोर्ट आवेदन पत्र मिला है, जिसमें शुल्क का भुगतान नहीं किया गया है। इसके अलावा बायमैट्रिक ब्यौरा भी नहीं दिया गया है।
इससे पहले गिलानी को पासपोर्ट जारी करने पर चल रहे विवाद को लेकर केंद्रीय गृह मंत्रालय ने कहा था कि उनके आवेदन पर 'गुण-दोष' के आधार पर काम होगा, क्योंकि यात्रा दस्तावेज हर भारतीय नागरिक का अधिकार है।
गृह मंत्रालय के एक प्रवक्ता ने कहा, 'पासपोर्ट हर भारतीय नागरिक का अधिकार है और तय प्रक्रियाओं का पालन करने के बाद विदेश मंत्रालय इसे जारी करता है। अगर कोई आवेदक पासपोर्ट के लिए आवेदन करता है तो उसके मामले की प्रक्रिया शुरू करने से पहले उसे औपचारिकताओं को पूरा करना होता है। जैसे ही मामले को गृह मंत्रालय के पास भेजा जाता है, हम मामले पर गुण-दोष के आधार पर आगे बढ़ेंगे।'
जम्मू-कश्मीर के गठबंधन सहयोगी पीडीपी और बीजेपी गिलानी को पासपोर्ट जारी करने के मुद्दे पर बंटे हुए हैं। पीडीपी ने कहा है कि वह 'मानवीय' आधार पर गिलानी को पासपोर्ट जारी करने के लिए केंद्र से संपर्क करेगी, जबकि बीजेपी का कहना है कि जब तक वह देश विरोधी गतिविधियों के लिए 'माफी' नहीं मांगते हैं तब तक उन्हें यात्रा दस्तावेज नहीं दिया जाना चाहिए।
सूत्रों ने कहा कि गिलानी और उनके परिवार के सदस्य जेद्दा की यात्रा करना चाहते हैं और उन्होंने पासपोर्ट के लिए ऑनलाइन आवेदन दिया है। लेकिन वह अपना बायमैट्रिक ब्यौरा देने और फोटोग्राफ खिंचवाने के लिए श्रीनगर में क्षेत्रीय पासपोर्ट कार्यालय नहीं गए हैं।
नए नियमों के मुताबिक आवेदक को व्यक्तिगत रूप से पासपोर्ट कार्यालय जाना होता है जहां उसके शरीर की विशिष्ट पहचान जैसे उंगलियों की छाप, आंखों का रंग और किसी जन्मजात निशान आदि का ब्योरा लिया जाता है और फोटो खींचा जाता है।