नयी दिल्ली: उत्तर प्रदेश सरकार ने आज सुप्रीम कोर्ट से कहा कि कथित सामूहिक बलात्कार मामले में पूर्व मंत्री गायत्री प्रजापति के खिलाफ पहली नजर में मामला बनता है। इस मामले में वह एक अभियुक्त हैं। जस्टिस ए के सिकरी और जस्टिस अशोक भूषण की पीठ के समक्ष राज्य सरकार ने कहा कि जांच, शिकायतकर्ता के बयानों और दूसरे गवाहों की गवाही के आधार पर प्रजापति के खिलाफ पहली नजर में मामला बनता है।
प्रजापति प्रदेश में समाजवादी पार्टी की सरकार में एक ताकतवर मंत्री थे लेकिन 2016 में मुलायम सिंह परिवार में झगड़े के दौरान मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने उन्हें मंत्रिमंडल से बर्खास्त कर दिया था। शीर्ष अदालत ने प्रजापति को राज्य सरकार के जवाबी हलफनामे पर दो सप्ताह के भीतर जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया है।
राज्य सरकार ने अपने हलफनामे में कहा है कि निचली अदालत ने प्रजापति सहित विभिन्न अभियुक्तों के खिलाफ आरोप निर्धारित किये हैं और अब इस मामले में मुकदमे की सुनवाई प्रगति पर है। हलफनामे में कहा गया है कि इस मामले में प्रजापति के खिलाफ आरोप निर्धारित करने को चुनौती देने वाली याचिका उच्च न्यायालय पहले ही खारिज कर चुका है और शीर्ष अदालत को भी इसे खारिज कर देना चाहिए।
शीर्ष अदालत ने 23 फरवरी को प्रजापति की जमानत याचिका और इलाहाबाद उच्च न्यायालय के आदेश को चुनौती देने वाली याचिका पर उत्तर प्रदेश सरकार से जवाब मांगा था। प्रजापति के खिलाफ पिछले साल फरवरी में शीर्ष अदालत के हस्तक्षेप के बाद लखनऊ में गौतमपल्ली थाने में प्राथमिकी दर्ज की गई थी। शीर्ष अदालत ने समाजवादी पार्टी के शासनकाल में मामला दर्ज नहीं करने के लिये राज्य पुलिस को फटकार लगाई थी।
चित्रकूट की रहने वाली एक महिला ने पूर्व मंत्री और उनके साथियों पर बलात्कार करने का आरोप लगाया था। उसका यह भी आरोप था कि उन्होंने उसकी नाबालिग बेटी का भी बलात्कार करने का प्रयास किया था। शीर्ष अदालत में दायर याचिका में प्रजापति ने अपने खिलाफ लगे आरोपों को गलत और बेबुनियाद बताते हुये कहा है कि उन्हें जमानत दी जानी चाहिए क्योंकि इस मामले में आरोप पत्र पहले ही दाखिल हो चुका है।