नयी दिल्ली: कराची में 1934 में महात्मा गांधी द्वारा एक आधारशिला रखी गयी थी जो बापू से जुड़े उन चंद प्रतीकों में एक है जो पाकिस्तान में आजादी से पहले की स्मृतियों को ताजा करते हैं। कई दफा इस इमारत के प्रशासक को इस आधारशिला को साफ कराना पड़ा और बर्बरता के खिलाफ इसकी रक्षा करनी पड़ी। हाल में इस आधारशिला को पारदर्शी कांच द्वारा ढंक दिया गया। इस बारे में विस्तार से ‘द इक्वेटोर लाइन मैगजीन’के हालिया प्रकाशित संस्करण में इसे विस्तार से बताया गया है।
इस आधारशिला की प्रशस्ति में लिखा है, ‘‘कराची इंडियन मर्चेंट एसोसिएशन। इसकी आधारशिला महात्मा गांधी द्वारा 8 जुलाई 1934 रखी गयी थी।’’ पाकिस्तान में महिला स्वास्थ्य पर राष्ट्रीय फोरम के संस्थापक डा. शेरशाह सैयद ने फ्रेरे रोड पर इमारत के शीर्ष पर गांधी की विशाल प्रतिमा का जिक्र करते हुए कहा, ‘‘किसी समय गांधी की प्रतिमा को हटा दिया गया। वह ज्यादा दिन तक वहां नहीं रही।’’ उन्होंने बताया कि गांधी की एक अन्य प्रतिमा कंटोनमेंट रोड में स्थित थी लेकिन उसे 1950 में हटा दिया गया।
सैयद के अनुसार कराची में म्यूनिसपल पार्क को गांधी गार्डन के रूप में जाना जाता था, जिसे छोटी राजनीतिक और सामाजिक सभाओं के लिए उपयोग किया जाता था। यह जगह अपने नाम और स्थान से समाप्त हो गया। कराची के जूलॉजिकल गार्डन को गांधी गार्डन के नाम से जाना जाता था। लेकिन अब इसका आधिकारिक नाम कराची जूलॉजिकल गार्डन कर दिया गया है। पत्रिका का यह संस्करण महात्मा गांधी को समर्पित है। इसमें चिपको आंदोलन के प्रणेता और गांधीवादी सुंदरलाल बहुगुणा और गांधी की पौत्री तारा गांधी भट्टाचार्य के साक्षात्कार भी हैं।