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अब इंसानों की चाल-ढाल में ढलने लगी है 'मोगली गर्ल' एहसास

साल 2017 के जनवरी में बहराइच जिले के कतर्नियाघाट वन्यजीव अभयारण्य के जंगलों में पाए जाने के बाद वह रातोंरात सबकी निगाहों में छा गईं। जाहिर तौर पर जंगलों में रहने के चलते बच्ची की हरकतें व उसके हाव-भाव जानवरों के ही जैसे थे।

Reported by: IANS
Published on: June 28, 2020 20:05 IST
From 'Mowgli girl' to Ehsaas, she has come a long way- India TV Hindi
Image Source : IANS PHOTO From 'Mowgli girl' to Ehsaas, she has come a long way

लखनऊ: साल 2017 के जनवरी में बहराइच जिले के कतर्नियाघाट वन्यजीव अभयारण्य के जंगलों में पाए जाने के बाद वह रातोंरात सबकी निगाहों में छा गईं। जाहिर तौर पर जंगलों में रहने के चलते बच्ची की हरकतें व उसके हाव-भाव जानवरों के ही जैसे थे। यहां तक कि वह अपने हाथों से खाना भी नहीं खाती थी। वह उस वक्त महज दस साल की थी और मीडिया ने बच्ची का नाम मोगली गर्ल रख दिया।

तीन महीने बाद यानी अप्रैल में बच्ची को बहराइच के बाल कल्याण समिति के आदेश पर निर्वाण आश्रय गृह में स्थानांतरित कर दिया गया। कई लोगों ने इस बात का दावा किया कि वह बच्ची उनकी ही खोई हुई बेटी है, लेकिन अपने इस दावे को कोई साबित नहीं कर सका। बच्ची का नाम एहसास रखा गया और शेल्टर होम में रहकर ही उसमें बदलाव आने लगे।

निर्वाण शेल्टर होम के मालिक एस. धपोला ने बताया, "आज एहसास की उम्र लगभग 13 साल है। वह अब सामान्य रूप से चलती है, खाती-पीती है और डांस करने की भी कोशिश करती है। वह अभी भी बात नहीं कर सकती लेकिन अपनी भावनाओं को व्यक्त करना जानती है। हालांकि वह अभी भी बीमारियों और स्वास्थ्य विकारों से उबरने की कोशिश कर रही है, लेकिन वह चीजों को जल्द ही आत्मसात कर लेने में माहिर है।"

जो लोग एहसास को पढ़ाने-लिखाने और उसकी मनोवैज्ञानिक विकास जैसी गतिविधियों से जुड़े हैं, उन्होंने कहा, "उसे शायद उसकी मानसिक बीमारी के चलते ही छोड़ दिया गया था। जंगल में उसका पलना-बढ़ना संभव नहीं लगता। जब कोई उसे उसका नाम लेकर पुकारता है, तो वह उस पर अपनी प्रतिक्रिया देती है।"

एहसास के एक काउंसलर ने कहा, "पहले पहल वह काफी गुस्सैल स्वभाव की थी। शेल्टर होम में अजनबियों को देखकर गुर्राती थी और चीजें भी फेंककर मारती थी, लेकिन अब वह काफी शांत हो गई है और अपने हाथों से खाती है। वह अन्य बच्चों के साथ खेलने भी लगी है।"

अधिकारियों ने कहा कि एहसास को अभी कोई प्राथमिक स्तर की अनौपचारिक शिक्षा नहीं दी जा रही है, बल्कि फिलहाल उसकी आदतों पर काम किया जा रहा है, जिससे कि सामान्य जीवन जीने में उसे आगे मदद मिल सके। एहसास को ऑक्सीजन और अरोमा थेरेपी भी दी जा रही है।

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