नई दिल्ली: हीरे के बिजनेस टाइकून से सबसे बड़े जालसाज बनने की मेहुल चोकसी की कहानी बेहद दिलचस्प है। मुम्बई में पैदा हुए मेहुल चोकसी के पिता चीनू भाई चोकसी हीरे के व्यापारी थे। उनकी गीतांजलि जेम्स नाम से शोरूम की बड़ी चेन है। शुरुआत में मेहुल चोकसी अपने पिता की सरपरस्ती में हीरे का कारोबार करता रहा। 1985 में मेहुल ने ये पूरा कारोबार अपने हाथों में लिया। इस दौरान गीताजंलि का टर्नओवर करीब 50 करोड़ रुपए था, लेकिन मेहुल चोकसी का सपना था कि गीताजंलि जेम्स को दुनिया का सबसे बड़ा ब्रांड बनाया जाए।
2006 तक बड़ा नाम बन चुका था चोकसी
अपने सपनों को पूरा करने के लिए मेहुल चोकसी ने तेजी से डायमंड जेम्स की ज्वेलरी का बिजनेस अलग-अलग ब्रांड के नाम से शुरू किया। 1990 से 2000 के बीच मेहुल चोकसी का ये कारोबार सॉलिटेयर हीरे की तरह चमचमाने लगा। 2005 आते-आते मेहुल चोकसी का ये कारोबार पूरी दुनिया के 4000 अलग-अलग हिस्सों में फैल गया। 2006 में गीताजंलि ने सैम्युल ज्वैलर्स, यूएस की एक कंपनी से करार कर लिया और अमेरिका के 111 बड़े स्टोर्स में अपनी जगह बना ली। इस कारोबार में नीरव मोदी पहले से ही शामिल था और मुम्बई में उसका अच्छा दबदबा था।
2016 में नुकसान होना शुरू हो गया
इसके बाद मेहुल चोकसी ने नीरव मोदी के साथ पार्टनरशिप कर स्टेलर डायमंड, डायमंड आर और सोलर एक्सपोर्टर्स कंपनी में पार्टनशिप कर ली। मेहुल चोकसी कम वक्त में ज्यादा पैसा कमाना चाहता था इसके लिए उसने डायमंड के इस बिजनेस में हीरे की गुणवत्ता के साथ समझौता शुरू कर दिया और अलग-अलग बैंक खातों में लाखों रुपये का अवैध ट्रांजेक्शन किया जाने लगा। एजेंसियो की जांच में ये भी पता लगा कि वह डायमंड और डायमंड ज्वेलरी 70 से 80 फीसदी के प्रॉफिट पर बेचता था लेकिन 2016-2017 में मेहुल चोकसी की कंपनी गीताजंलि ग्रुप को नुकसान होना शुरू हो गया।
नीरव मोदी के साथ दिया घोटाले को अंजाम
इसके बाद मेहुल चोकसी और नीरव मोदी ने मिलकर पंजाब नेशनल बैंक, मुम्बई से साजिश के तहत बड़ा घोटाला किया। मेहुल चोकसी और नीरव मोदी ने करीब 13,500 करोड़ रुपए पंजाब नेशनल बैंक से फ्रॉड करके हासिल कर लिए। इसके अलावा मेहुल चोकसी ने कई और बैंकों से भी करोड़ों रुपयों का फ्रॉड किया। इसके बाद मेहुल चोकसी ने एंटीगुआ और बरबूडा देश की नागरिकता हासिल करने की कोशिश शुरू कर दी और 2018 में मेहुल चोकसी सबसे पहले अमेरिका भाग गया। इस बीच सीबीआई ने 29 जनवरी 2018 को मेहुल चौकसिंऔर नीरव मोदी के खिलाफ एफआईआर दर्ज कर जांच शुरू कर दी।
2018 में एंटीगुआ पहुंच गया चोकसी
2018 में ही मुम्बई की अदालत ने मेहुल के खिलाफ गैर जमानती वारंट जारी किया था। भारतीय एजेंसियो ने इस दौरान अमेरिका के अथॉरिटी से मेहुल चोकसी के प्रत्यपर्ण की कोशिशें भी कीं, लेकिन इससे पहले कि भारतीय एजेंसियां कामयाब हो पातीं, मेहुल चोकसी मई 2018 में एंटीगुआ पहुंच गया और वहां की नागरिकता हासिल कर ली। इसके बाद भारतीय एजेंसियो ने मेहुल चोकसी के प्रत्यपर्ण के लिए एंटीगुआ की कोर्ट में भी कोशिशें शुरू की थी।
एंटीगुआ से क्यूबा जाना चाहता था चोकसी
23 मई को जब मेहुल चोकसी एंटीगुआ से क्यूबा जाना चाहता था, तभी वह डोमिनिका में गिरफ्तार कर लिया गया। अब भारतीय एजेंसियो की कोर्ट में कोशिश है कि उसे सीधा भारत डिपोर्ट कर दिया जाए। अब सब कुछ कोर्ट के फैसले पर निर्भर है लेकिन यदि फैसला मेहुल के खिलाफ भी आता है तो भी उसकी लीगल टीम के पास आगे भी कानूनी लड़ाई के रास्ते बचेंगे।