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बुलंदशहर हिंसा मामले में चार गिरफ्तार, राजकीय सम्मान के साथ शहीद इंस्पेक्टर का अंतिम संस्कार

बुलंदशहर हिंसा के दौरान पुलिस इंस्पेक्टर सुबोध कुमार सिंह की मौत के मामले में 27 लोगों के खिलाफ नामजद एफआईआर की है। इस मामले में मुख्य आरोपी की पहचान भी हो गई है। पुलिस ने आज चार आरोपियों को अरेस्ट कर लिया।

Edited by: IndiaTV Hindi Desk
Updated on: December 05, 2018 0:02 IST
Bulandshahr violence- India TV Hindi
Bulandshahr violence

नई दिल्ली: बुलंदशहर हिंसा के दौरान पुलिस इंस्पेक्टर सुबोध कुमार सिंह की मौत के मामले में 27 लोगों के खिलाफ नामजद एफआईआर की है। इस मामले में मुख्य आरोपी की पहचान भी हो गई है। पुलिस ने आज चार आरोपियों को अरेस्ट कर लिया। वीडियो फुटेज के आधार पर पचास से साठ लोगों की और पहचान की गई है इनके खिलाफ भी केस रजिस्टर हुआ है। बुलंदशहर की घटना को हर एंगल से समझने के लिए पुलिस इसका रीकंस्ट्रक्शन भी करेगी। आज खुद एडीजी इंटेलिजेंस मौके पर पहुंचे और घटना के बारे में चश्मदीदों से बात की। गांववालों के बयान लिए गए। बुलंदशहर में हालात कंट्रोल में है लेकिन टेंशन जारी है। बुलंदशहर हिंसा में मारे गए इंस्पेक्टर सुबोध कुमार सिंह का आज पूरे राजकीय सम्मान के साथ अंतिम संस्कार किया गया। 

हालांकि सू्त्रों के मुताबिक अभी तक की जांच में ये चौंकाने वाली बात सामने आई है कि इंस्पेक्टर सुबोध कुमार सिंह को उन्ही के पिस्टल से गोली मारी गई। भीड़ इंस्पेक्टर की सरकारी पिस्टल और तीन मोबाइल फोन छीन कर ले गई थी। आज यूपी पुलिस के एडीजी आनंद कुमार ने इस बात को स्पष्ट किया कि सुबोध कुमार सिंह पर एक बार नहीं दो बार हमला किया गया। पहले इंस्पेक्टर को पत्थर से मारा गया, इंस्पेक्टर घायल होकर खेत के किनारे एक दीवार के पास बैठ गए और उन्हें बचाने के लिए पुलिस टीम वहां पहुंची। लेकिन उसी वक्त भीड़ ने फिर हमला किया इसी दौरान किसी ने घायल इस्पेक्टर को गोली मार दी। दूसरे पुलिस वाले भीड़ में शामिल लोगों की संख्या देखकर वहां से जान बचाकर भाग गए।

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की आलोचना और हिंसा की साजिश रचे जाने की चर्चा के बीच आक्रोशित परिवारों ने कार्रवाई की मांग की है। दिवंगत निरीक्षक सुबोध कुमार सिंह के परिवार, दोस्तों एवं साथियों की आंखों से आंसू छलक आए जब शाम को उनका शव राजकीय सम्मान के साथ पंचतत्व में विलीन हुआ। अन्य मृतक का परिवार शुरुआती विरोध के बाद अंतिम संस्कार करने पर सहमत हो गया। मंगलवार सुबह दर्ज की गई प्राथमिकी में सुमित को भी एक आरोपी के तौर पर नामजद किया गया था। स्थानीय निवासियों ने उसका नाम प्राथमिकी से हटाने की मांग की। 

बुलंदशहर जिले के स्याना इलाके में दक्षिणपंथी कार्यकर्ताओं समेत करीब 400 लोगों की भीड़ ने सोमवार को पुलिस के साथ मारपीट की। यह हिंसा पास के जंगल में गाय के कंकाल होने की जानकारी मिलने से दक्षिणपंथी समूहों के कार्यकर्ताओं के आक्रोशित होने के बाद भड़की। गुस्साई भीड़ ने इस दौरान पुलिस पर पथराव करते हुए पुलिस के कई वाहनों में आग लगा दी और उन पर गोलियां भी चलाईं। पुलिस ने जवाबी कार्रवाई की। इस हिंसा में स्याना के थाना प्रभारी सुबोध कुमार सिंह और 20 वर्षीय युवक सुमित कुमार की मौत हो गई थी। 

अधिकारियों ने बताया कि राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (एनएचआरसी) ने मामले को लेकर उत्तर प्रदेश सरकार और पुलिस महानिदेशक को नोटिस जारी किया है। पुलिस ने मंगलवार को कहा कि चार लोगों को गिरफ्तार किया गया है लेकिन मुख्य आरोपी, बजरंग दल का जिला संयोजक योगेश राज फरार है। 

उन्होंने बताया कि प्राथमिकी में 27 लोगों को नामजद किया गया है जबकि 50 से 60 अज्ञात लोगों के खिलाफ मामले दर्ज किए गए हैं। अधिकारियों ने बताया कि 27 में से कम से चार व्यक्ति बजरंग दल जैसे दक्षिणपंथी संगठनों के कार्यकर्ता एवं पदाधिकारी हैं। इलाके में भारी संख्या में सुरक्षा बलों की तैनाती की गई है और स्थिति तनावपूर्ण बनी हुई है। गुस्साए परिवार अपने-अपने रिश्तेदार के लिए न्याय की मांग कर रहे हैं। 

अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक (कानून व्यवस्था) आनंद कुमार ने संवाददाताओं को बताया कि इस मामले पर पुलिस की छह टीमें काम कर रही हैं और वीडियो फुटेज की जांच कर आरोपियों की पहचान की कोशिश की जा रही है। उन्होंने लखनऊ में कहा, “संघर्ष ग्रस्त बुलंदशहर में हालात धीरे-धीरे सामान्य हो रहे हैं और इस तरह की घटना की पुनरावृत्ति रोकने के लिए हरसंभव प्रयास किए जा रहे हैं।” 

कुमार ने बताया कि सिंह और सुमित दोनों की मौत गोली लगने के कारण ही हुई लेकिन स्याना पुलिस थाने में तैनात निरीक्षक को धारदार वस्तुओं से भी चोट पहुंची थी। एक तरफ पुलिस की जांच जारी है वहीं अंतिम संस्कार की तैयारी कर रहे परिवारों में शोक का माहौल व्याप्त है। सिंह के शव को तिरंगे में लपेट कर बंदूक की सलामी दी गई। इसके बाद उनके शव को अंतिम संस्‍कार के लिए बुलंदशहर से उनके गृह जनपद एटा ले जाया गया। मारे गये इंस्पेक्टर के पुत्र अभिषेक ने कहा कि उसके पिता उसे एक अच्छा नागरिक बनाना चाहते थे जो समाज में धर्म के नाम पर हिंसा को बढ़ावा न दे। उसने कहा ‘‘मेरे पिता ने हिंदू मुस्लिम विवाद के चलते अपनी जान गंवा दी। अब किसके पिता की बारी है ?’’ अभिषेक ने कहा कि आखिरी बार जब उसने अपने पिता से बात की थी तो उन्होंने उससे पूछा था कि क्या उसने खाना खा लिया, और पढ़ाई कि या नहीं ?’’ 

इंस्पेक्टर सुबोध कुमार सिंह की बहन सुनीता सिंह ने उनके लिए “शहीद” का दर्जा देने की मांग करते हुए आरोप लगाया कि उनके भाई की हत्या पुलिस के षडयंत्र से हुई है । सिंह उन पुलिसकर्मियों में से एक थे जिन्होंने 2015 में मोहम्मद अखलाक की भीड़ द्वारा पीट-पीट कर हत्या किए जाने की शुरुआती जांच की थी। सुनीता सिंह ने संवाददाताओं से कहा, “मेरे भाई की हत्या पुलिस षडयंत्र के तहत की गई क्योंकि वह गौहत्या के एक मामले की जांच कर रहे थे.. उन्हें शहीद का दर्जा दिया जाना चाहिए और हमारे गृह जनपद में उनके नाम पर एक स्मारक बनाया जाना चाहिए।” 

चिंगरावठी गांव में सुमित कुमार के परिवार ने सरकार से 50 लाख रुपए मुआवजा, माता-पिता को पेंशन और मृतक के भाई को पुलिस में नौकरी का आश्वासन देने तक उसका (मृतक का) अंतिम संस्कार करने से इंकार कर दिया। जिला प्रशासन द्वारा पांच लाख रुपये के मुआवजे की घोषणा के बाद वे उसका अंतिम संस्कार करने के लिए तैयार हुए। बुलंदशहर के सांसद भोला सिंह और स्थानीय विधायक देवेंद्र लोधी ने चिंगरावठी में सुमित के परिवार से मुलाकात की। लोधी ने जिला प्रशासन और पुलिस पर मामले की ठीक ढंग से जांच नहीं करने का आरोप लगाया। 

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