हैदराबाद: जुए को, और खेलों में सट्टेबाजी की इजाजत देने की विधि आयोग की सिफारिश का समर्थन करते हुए उच्चतम न्यायालय के सेवानिवृत्त न्यायाधीश एन संतोष हेगड़े ने वेश्यावृत्ति की भी पैरवी करते हुए शुक्रवार को कहा कि सरकार बुराइयों को खत्म नहीं कर सकती। उन्होंने यह भी कहा कि वेश्यावृत्ति में शामिल लोगों को लाइसेंस दिया जाना चाहिए। पूर्व सॉलीसीटर जनरल हेगड़े ने कहा , ‘‘ यदि किसी व्यक्ति को लगता है कि कानून बुराइयों को खत्म कर सकता है तो यह खुशफहमी में रहने जैसा है।
हेगड़े ने कहा , ‘‘ यह एक बहुत अच्छी सिफारिश है। कुछ खास तरह की बुराइयां हैं , जिन्हें कानून नियंत्रित नहीं कर सकता और इस तरह की बुराइयों को नियंत्रित करने की कोई कोशिश अवैध प्रणाली बनाने का मार्ग प्रशस्त करेगी। ’’ उन्होंने कहा , ‘‘ हम पहले भी यह अनुभव कर चुके हैं , जब शराबबंदी थी। जहां शराबबंदी थी , वहां शराब का अवैध उत्पादन किया जाता था। सरकार को आबकारी शुल्क का नुकसान होता था , लेकिन बुराई जारी रही। आप इसे नियंत्रित नहीं कर सकते। कुछ खास चीजें हैं , जिन्हें कानून नियंत्रित नहीं कर सकता। ’’
कर्नाटक के पूर्व लोकायुक्त ने कहा कि इसी तरह से देश में अवैध रूप से जुआ खेला जा रहा है। इसे कानूनी रूप देने से और इसे नियंत्रण में लाने से इसके तहत होने वाली 70 से 75 फीसदी अवैध गतिविधियां बंद हो जाएंगी। लेकिन इसके लिए एक खास मात्रा में नियंत्रण लगाने की बिल्कुल जरूरत है। यह पूछे जाने पर कि क्या वेश्यावृत्ति को कानूनी रूप दिया जाना चाहिए , हेगड़े ने कहा , ‘‘ इसे कानूनी रूप देना होगा। यह हर जगह हो रही है। इसे कानूनी रूप देना होगा। ’’
हेगड़े ने कहा कि वेश्यावृत्ति अब एक नियमित पेशा बन गया है। इसे कानूनी रूप देना चाहिए और इसमें शामिल लोगों को लाइसेंस प्रदान करना चाहिए। तभी जाकर इस पर नियंत्रण स्थापित हो सकेगा। उन्होंने कहा कि ये कुछ ऐसी बुराइयां हैं , जिन्हें सरकार खत्म नहीं कर सकती। इन्हें कानूनी रूप नहीं दिए जाने पर ये अवैध तरीके से चलती रहेंगी। बेहतर होगा कि इस पर नियंत्रण रखा जाए। उन्होंने पूछा , ‘‘ ऐसा कौन सा शहर या राज्य है जहां वेश्वयावृत्ति नहीं है ? हम अपनी आंखें मूंदे हुए हैं और कह रहे हैं कि यह नहीं है। ’’ उन्होंने यह भी कहा कि नैतिकता को कानून द्वारा नियंत्रित नहीं किया जा सकता। इसे सिर्फ धर्म और धर्मगुरू ही नियंत्रित कर सकते हैं।