नई दिल्ली: पूर्व गृह मंत्री चिदंबरम तिहाड़ जेल से रिहा, INX मामले में सुप्रीम कोर्ट से मिली है जमानत। उन्हें आज सुप्रीम कोर्ट ने आईएनएक्स मनी लॉन्ड्रिंग केस में जमानत दे दी थी। प्रवर्तन निदेशालय ने आईएनएक्स मनी लॉन्ड्रिंग के मामले में चिदंबरम को 16 अक्टूबर को गिरफ्तार किया था। पूर्व केंद्रीय मंत्री पी.चिदंबरम की जेल से रिहाई पर उनका स्वागत करने के लिए कांग्रेस समर्थक तिहाड़ जेल के बाहर बड़ी संख्या में इकट्ठा थे और उन्होंने चिदंबरम का स्वागत हार पहनाकर किया। चिदंबरम 106 दिनों से तिहाड़ जेल में बंद थे।
चिदंबरम के बेटे कार्ति जेल के बाहर उनका इंतजार कर रहे थे। उन्होंने कहा कि वह खुश हैं क्योंकि उनके पिता 106 दिनों के बाद घर लौट रहे हैं। उन्होंने संवाददाताओं से कहा, ‘‘लंबा इंतजार रहा। मैं उच्चतम न्यायालय का शुक्रगुजार हूं कि उसने उन्हें जमानत दी। मैं सोनिया गांधी, मनमोहन सिंह, राहुल गांधी और प्रियंका गांधी वाड्रा समेत पूरे कांग्रेस नेतृत्व का आभारी हूं जिन्होंने हमारा सहयोग किया।’’
सुप्रीम कोर्ट ने 74 वर्षीय कांग्रेस के इस वरिष्ठ नेता को जमानत पर रिहा करते हुये आदेश दिया कि वह इस मामले में अपने या अन्य सह-आरोपी के संबंध में कोई प्रेस इंटरव्यू या सार्वजनिक बयान नहीं देंगे। जस्टिस आर भानुमति, जस्टिस ए एस बोपन्ना और जस्टिस ऋषिकेश राय की पीठ ने पूर्व वित्त मंत्री को जमानत देने से इंकार करने संबंधी दिल्ली हाईकोर्ट का फैसला निरस्त कर दिया। पीठ ने कहा कि चिदंबरम को दो लाख रुपये का निजी मुचलका और इतनी ही राशि की दो जमानतें पेश करने पर रिहा किया जाये। प्रवर्तन निदेशालय ने न्यायालय में दलील दी थी कि मनी लॉन्ड्रिंग के मामले में एक गवाह चिदंबरम का सामना करने के लिये तैयार नहीं है क्योंकि दोनों एक ही राज्य के हैं।
निदेशालय की इस दलील के बारे में न्यायालय ने कहा कि इसके लिये चिदंबरम को जिम्मेदार नहीं ठहराया जा सकता जबकि ऐसी सामग्री सामने नहीं है जिससे यह संकेत मिलता हो कि उन्होंने या उनकी ओर से किसी ने गवाह को ‘रोका या धमकी दी’’ थी। पीठ ने चिदंबरम को निर्देश दिया कि प्रवर्तन निदेशालय द्वारा इस मामले में आगे की आगे जांच के सिलसिले में बुलाये जाने पर वह पूछताछ के लिये उपलब्ध रहेंगे। पीठ ने कहा कि पूर्व वित्त मंत्री ‘‘साक्ष्यों के साथ छेड़छाड़ नहीं करेंगे और न ही गवाहों को धमकाने या प्रभावित करने’’ का प्रयास करेंगे। न्यायालय ने निचली अदालत के स्पष्ट आदेश के बगैर उन्हें देश से बाहर नहीं जाने का भी निर्देश दिया है। (इनपुट-भाषा)