नई दिल्ली: हैदराबाद में महिला पशु चिकित्सक से बलात्कार और हत्या मामले तथा पुलिस मुठभेड़ में आरोपियों के मारे जाने का हवाला देते हुए देश के पूर्व प्रधान न्यायाधीश आर एम लोढ़ा ने मंगलवार को कहा कि देश नागरिकों के मानवाधिकारों की रक्षा करने में जूझ रहा है और इस तरह के अपराध समाज में व्याप्त ‘गहरी दुर्भावना’ को दर्शाते हैं। अपराधियों के बर्बर अपराध करने से नहीं डरने और पुलिसिया मुठभेड़ में चारों आरोपियों के मारे जाने को ‘दुखद’ बताते हुए न्यायमूर्ति (सेवानिवृत्त) लोढ़ा ने कहा कि ‘क्या हम अराजकता वाले समाज की ओर बढ़ रहे हैं।’
उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ ने कहा कि उन्नाव दुष्कर्म पीड़िता को जला देना और हैदराबाद सामूहिक दुष्कर्म-हत्या मामले में चार आरोपियों के शव, भारत के दो पहलुओं की सटीक तस्वीर पेश करता है। दोनों न्यायमूर्ति, यहां अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार संस्थान द्वारा आयोजित मानवाधिकार दिवस पर आयोजित एक कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे।
न्यायमूर्ति लोढ़ा ने कहा, ‘‘हम मानवाधिकार दिवस मना रहे हैं, दूसरी ओर यह भी तथ्य है कि हम मानवाधिकारों की रक्षा के लिए संघर्ष कर रहे हैं। इसका स्पष्ट उदाहरण हैदराबाद में पशु चिकित्सक से दुष्कर्म और हत्या तथा पुलिसिया मुठभेड़ में आरोपियों के मामले में देखने को मिलता है।’’
लोढ़ा ने कहा, ‘‘देश के एक हिस्से में हर दिन बलात्कार और हत्या की घटनाएं हो रही हैं या दूसरा इस तरह के अपराध समाज में व्याप्त ‘गहरी दुर्भावना’ को दर्शाते हैं। अपराधी बर्बर अपराध करने से नहीं डर रहे। पुलिसिया मुठभेड़ में चारों आरोपियों का मारा जाना दुखद है। क्या हम अराजकता वाले समाज की ओर बढ़ रहे हैं।’’