नई दिल्ली: पूर्वी लद्दाख के कुछ इलाकों में यथास्थिति को बदलने के चीन के नये सिरे से किये गए प्रयासों की पृष्ठभूमि में विदेश सचिव हर्षवर्धन श्रृंगला ने कहा है कि कई दशकों में सबसे गंभीर चुनौतियों में से एक का हमने सामना किया है। हम अपनी क्षेत्रीय अखंडता, संप्रभुता की रक्षा के लिए दृढ़ता के साथ प्रतिबद्ध हैं। उन्होंने कहा कि हम बातचीत के माध्यम से लंबित मुद्दों को सुलझाना चाहते हैं। इसके साथ ही उन्होंने चीन को चेतावनी देते हुए यह भी कहा है कि बॉर्डर पर जिस तरह के हालात बनाए जा रहे हैं, उसका व्यापारिक संबंधों पर भी असर पड़ेगा।
विदेश सचिव ने कहा कि जहां तक हमारा सवाल है तो हमारी संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता में कोई समझौता नहीं होगा। हालांकि एक जिम्मेदार राष्ट्र के रूप में, हम हमेशा बात करने के लिए तैयार हैं। चीन के साथ व्यापारिक संबंधों को लेकर श्रृंगला ने कहा कि जब तक हमारे बॉर्डर एरिया में शांति नहीं होगी, तब तक हमारे व्यापारिक संबंध सामान्य रूप से नहीं चल सकते।
इस बीच सेना प्रमुख जनरल मनोज मुकुंद नरवणे ने बृहस्पतिवार को पूर्वी लद्दाख क्षेत्र में सुरक्षा हालात की व्यापक समीक्षा की। उन्होंने यह दौरा पैंगोंग झील के दक्षिणी तटीय क्षेत्र के आसपास यथास्थिति को बदलने के चीन के नये सिरे से किये गये प्रयासों के कुछ दिन बाद किया है। सैन्य सूत्रों ने यह जानकारी दी। सूत्रों ने बताया कि लद्दाख के दो दिवसीय दौरे के पहले दिन जनरल नरवणे ने क्षेत्र में बनते हालात पर शीर्ष कमांडरों के साथ बैठकें कीं।
उन्होंने किसी भी अप्रिय स्थिति बनने पर उससे निपटने के लिए भारत की संपूर्ण लड़ाकू तैयारियों का भी आकलन किया। सेना प्रमुख ने एक प्रमुख अग्रिम क्षेत्र का भी दौरा किया जहां उन्होंने बड़ी संख्या में सैनिकों से बातचीत की। एक सूत्र ने बताया, ‘‘जनरल नरवणे ने पूर्वी लद्दाख में सुरक्षा परिदृश्य की व्यापक समीक्षा की।’’
पैंगोंग झील इलाके में उस वक्त तनाव बढ़ गया था जब चीन ने झील के दक्षिणी तट में कुछ इलाकों पर कब्जा करने का असफल प्रयास किया जिसके बाद भारत ने संवेदनशील क्षेत्र में अतिरिक्त सैनिक एवं हथियार भेजे।
भारतीय सेना ने सोमवार को कहा कि चीनी सेना ने 29 और 30 अगस्त की दरम्यानी रात को पैंगोंग झील के दक्षिणी तट पर “एकतरफा” तरीके से यथास्थिति बदलने की ‘‘उकसाने वाली सैन्य गतिविधियां” कीं लेकिन भारतीय सैनिकों ने उसके प्रयास को विफल कर दिया।