नई दिल्ली: लद्दाख में चीन के साथ चल रहे सीमा विवाद के बीच भारत के विदेश मंत्री एस. जयशंकर चीन के विदेश मंत्री के साथ 22 जून को वर्चुअल मीटिंग कर सकते हैं। दरअसल, 22 जून को भारत, चीन और रूस के विदेश मंत्रियों के बीच त्रिपक्षीय वार्ता प्रस्तावित है। लद्दाख में भारत और चीन के सैनिकों के बीच हुई हिंसक झड़प के बाद दुनिया की निगाहें इस वर्चुअल मीटिंग पर टिक गई हैं। इस बात के भी कयास लगने शुरू हो गए हैं कि शायद अब यह मीटिंग ही न हो या इसका स्वरूप बदल जाए।
मीटिंग हुई तो क्या होगा भारत का रुख
भारत, रूस और चीन के विदेश मंत्रियों के बीच यदि 22 जून को वार्ता होती है तो नई दिल्ली का रुख क्या होता है, अब दुनिया की दिलचस्पी इसपर आकर टिक गई है। लद्दाख में चीन के साथ हुई झड़प के बाद भारत सरकार इस पूरे मामले पर सावधानी से आगे बढ़ना चाहेगी। दूसरी तरफ, लद्दाख में भारतीय सीमा में घुसपैठ करने वाला चीन अब खुद को ही पीड़ित दिखा रहा है और भारतीय सैनिकों पर चीनी सीमा में दाखिल होने का आरोप लगा रहा है। हालांकि उसकी यह चाल कामयाब होती दिख नहीं रही है क्योंकि चीनी प्रॉपेगैंडा के बारे में दुनिया जानती है।
क्या हुआ था गलवान घाटी में
गौरतलब है कि पूर्वी लद्दाख की गलवान घाटी में सोमवार रात चीनी सैनिकों के साथ हिंसक झड़प में भारतीय सेना के एक कर्नल सहित 20 सैनिक शहीद हो गए। पिछले 5 दशक से भी ज्यादा समय में इस सबसे बड़े सैन्य टकराव के कारण दोनों देशों के बीच सीमा पर पहले से जारी गतिरोध की स्थिति और गंभीर हो गई है। वहीं, चीनी विदेश मंत्रालय के अधिकारियों ने चीन की ‘पीपल्स लिबरेशन आर्मी’ (PLA) के जवानों के हताहत होने के संबंध में चुप्पी साध रखी है। हालांकि, चीन में सत्तारूढ़ कम्युनिस्ट पार्टी के समाचार पत्र ‘ग्लोबल टाइम्स’ के संपादक हु शिजिन ने ट्वीट किया कि चीनी पक्ष के जवान भी हताहत हुए हैं।
‘शर्म के मारे चीन ने नहीं बताई हताहतों की संख्या’
वहीं, ‘यूएस न्यूज’ की खबर के अनुसार एक वरिष्ठ अधिकारी समेत कम से कम 35 चीनी बलों की भारतीय जवानों के साथ हिंसक झड़प में मौत हो गई। खबर में सूत्रों के हवाले से सोमवार को बताया गया, ‘अमेरिका की खुफिया सूचना के आकलन के अनुसार चीन सरकार अपने सशस्त्र बलों के हताहत होने को सेना के लिए शर्म की बात मानती है और उसने इस डर से संख्या की पुष्टि नहीं की हैं क्योंकि उसे इससे शत्रुओं को साहस मिलने का भय है।’ इस बीच, अमेरिकी सीनेटर मार्शा ब्लैकबर्न समेत कई अमेरिकी विशेषज्ञों ने कहा है कि चीनी सेना की आक्रामक गतिविधियां पूरे क्षेत्र के लिए खतरा हैं।