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बलात्कार और पॉक्सो मामलों की जल्द सुनवाई के लिए बनेंगी 1023 विशेष अदालतें

केंद्र सरकार देश भर में महिलाओं और बच्चों के खिलाफ अपराध के मामलों की सुनवाई में तेजी लाने के लिए कुल 1,023 विशेष त्वरित अदालतों की स्थापना करने की तैयारी कर रही है। 

Reported by: Bhasha
Published on: September 15, 2019 18:34 IST
Rape- India TV Hindi
Image Source : INDIA TV प्रतिकात्मक तस्वीर

नई दिल्ली। केंद्र सरकार देश भर में महिलाओं और बच्चों के खिलाफ अपराध के मामलों की सुनवाई में तेजी लाने के लिए कुल 1,023 विशेष त्वरित अदालतों की स्थापना करने की तैयारी कर रही है। देश में ऐसे 1.66 लाख से अधिक मुकदमे लंबित हैं।

केंद्रीय कानून मंत्रालय के तहत न्याय विभाग द्वारा तैयार किए एक प्रस्ताव में कहा गया है कि प्रत्येक विशेष अदालत द्वारा हर साल कम से कम ऐसे 165 मामलों का निपटारा किये जाने की उम्मीद है। इसमें कहा गया है कि कुल 1023 विशेष त्वरित अदालतों की स्थापना होगी।

उच्चतम न्यायालय के निर्देशों के अनुसार इनमें से 389 अदालतें खासतौर से ‘यौन अपराधों से बच्चों का संरक्षण (पॉक्सो) अधिनियम’ के तहत दर्ज मामलों की सुनवाई करेंगी। बाकी 634 अदालतें या तो बलात्कार के मामलों या पॉक्सो कानून के मामलों की सुनवाई करेंगी। प्रस्ताव में कहा गया है, “उम्मीद है कि प्रत्येक विशेष त्वरित अदालत हर तिमाही में 41-42 मामलों का और साल में कम से कम 165 मामलों का निपटारा करेगी।”

विभाग के प्रस्ताव के मुताबिक देश की विभिन्न अदालतों में बलात्कार और पॉक्सो कानून के 1,66,882 मामले लंबित हैं। देश में 389 जिलों में पॉक्सो कानून के तहत दर्ज मुकदमों की संख्या 100 से अधिक है। इसलिए उच्च न्यायालय के निर्देशों के अनुसार इनमें से प्रत्येक जिले में एक विशेष पॉक्सो अदालत होनी चाहिए, जहां किसी दूसरे मामले की सुनवाई नहीं होगी।

कानून मंत्रालय कह चुका है कि इन विशेष अदालतों की स्थापना की प्रक्रिया दो अक्टूबर से शुरू होगी। न्याय विभाग ने इन 1,023 अदालतों की स्थापना के लिए कुल 767.25 करोड़ रुपये की राशि का प्रस्ताव रखा है। केंद्रीय सहयोग के रूप में एक साल के लिए 474 करोड़ रुपये निर्भया फंड से दिए जाएंगे।

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