नयी दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने आज कहा कि राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा कानून, 2013 उचित तरीके से लागू नहीं किया जा रहा है और यह बहुत क्षुब्ध करने वाली बात है कि नागरिकों के फायदे के लिए संसद की ओर से पारित इस कानून को विभिन्न राज्यों ने ठंडे बस्ते में रख दिया है।
न्यायालय ने कहा कि कानून पारित हुए करीब चार साल हो गए, लेकिन प्राधिकारों और इस कानून के तहत गठित संस्थाओं को कुछ राज्यों ने अब तक सक्रिय नहीं किया है और यह प्रावधानों का दयनीय तरीके से पालन दिखाता है ।
न्यायमूर्त एमबी लोकुर और न्यायमूर्त एन वी रमण ने कहा, हम याचिकाकर्ता के वकील और इस तथ्य से सहमत हैं कि केंद्र सरकार और हमारी ओर से बार-बार कहे जाने के बाद भी कई राज्य सरकारों ने अब तक राज्य खाद्य आयोग का गठन नहीं किया है । यह स्पष्ट संकेत है कि राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा कानून पर अमल को लेकर शायद ही कोई प्रतिबद्धता है ।
न्यायमूर्त लोकुर के निष्कर्षों से सहमत न्यायमूर्त रमण ने एक अलग फैसला लिखा और कहा कि कुछ राज्यों की ओर से ऐसे अहम कानूनों को लागू कराने में आम आदमी की तकलीफ की अनदेखी करना उचित नहीं है। शीर्ष न्यायालय ने यह भी कहा कि मध्य प्रदेश, आंध्र प्रदेश और हरियाणा जैसे राज्यों में न तो राज्य खाद्य आयोगों का गठन किया गया है और न ही नियुक्तियां की गई हैं ।