नई दिल्ली: चारा घोटाले के एक मामले में रांची सीबीआई विशेष कोर्ट द्वारा दोषी करार दिए जाने के बाद राष्ट्रीय जनता दल (राजद) अध्यक्ष लालू प्रसाद को रांची के बिरसा मुंडा जेल में भेज दिया गया है। सजा का ऐलान 3 जनवरी को होना है। यह चर्चित घोटाला बिहार के पशुपालन विभाग की पूरी तस्वीर बयान करता है कि किस तरह से फर्जी बिलों के जरिए ट्रेजरी से पासा निकाला गया। न जानवारों के लिए चारा खरीदा गया और नहीं दवाएं खरीदी गई। इतना ही नहीं पशुपालन विभाग से जुड़े उपरकरणों की सप्लाई हुई।
950 करोड़ का यह घोटाला 1996 में सामने आया और हाईकोर्ट ने मामले को संज्ञान में लेते हुए जांच CBI को सौंपी। आरोपियों पर भ्रष्टाचार और धोखाधड़ी का केस दर्ज कराया गया। 1997 में लालू ने मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया और जुलाई 1997 में पहली बार उन्हें जेल जाना पड़ा। नया राज्य बनने के बाद केस 2001 में रांची ट्रांसफर हो गया। इस केस में दोषी पाए गए लालू प्रसाद को 2013 में 5 साल की जेल।
क्या था लालू का रोल?
इस घोटाले के दौरान लालू प्रसाद बिहार के मुख्यमंत्री और वित्त मंत्री भी थे। जाली दस्तावेजों से दवा-चारे की खपत दिखाई गई और बड़ी कंपनियों के नाम से फर्जी आवंटन पत्र बनवाए गए। 1991 से 1994 के बीच फर्जी दस्तावेजों से पैसे निकाले गए। लालू प्रसाद को फर्जीवाड़े की जानकारी 1993 में हो गई थी। लेकिन लालू प्रसाद ने फर्जीवाड़ा नहीं रोका और जांच रुकवाने के हथकंडे अपनाए। इतना ही नहीं लालू ने इस घोटाले के आरोपी को नौकरी में एक्सटेंशन भी दिया।