Friday, November 22, 2024
Advertisement
  1. Hindi News
  2. भारत
  3. राष्ट्रीय
  4. Union Budget 2018: लोकलुभावन कदम और राजकोषीय लक्ष्यों के बीच तालमेल बिठाने की चुनौती

Union Budget 2018: लोकलुभावन कदम और राजकोषीय लक्ष्यों के बीच तालमेल बिठाने की चुनौती

आयकर छूट सीमा बढ़ाकर आम आदमी को कुछ राहत देने का प्रयास भी बजट में किया जा सकता है।

Edited by: IndiaTV Hindi Desk
Updated on: January 31, 2018 19:20 IST
Finacne minister Arun Jaitley - India TV Hindi
Image Source : PTI Finacne minister Arun Jaitley

नयी दिल्ली: वित्त मंत्री अरूण जेटली कल संसद में  वर्ष 2018-19 का आम बजट पेश करेंगे जो उनकी सरकार का पांचवां और संभवत: सबसे कठिन बजट होगा। इस बजट में जेटली को राजकोषीय लक्ष्यों को साधने के साथ कृषि क्षेत्र के संकट, रोजगार सृजन व आर्थिक वृद्धि को गति देने की चुनौतियों का हल ढूंढना होगा। यह बजट ऐसे समय में पेश किया जा रहा है जबकि आने वाले महीनों में आठ राज्यों में विधानसभा चुनाव होने हैं। इनमें से तीन प्रमुख राज्यों में भाजपा की सरकारें हैं। अगले साल आम चुनाव भी होने हैं। बजट में नयी ग्रामीण योजनाएं आ सकती हैं तो मनरेगा, ग्रामीण आवास, सिंचाई परियोजनाओं व फसल बीमा जैसे मौजूदा कार्यक्रमों के लिए आवंटन में बढ़ोतरी भी देखने को मिल सकती है। 

गुजरात में हाल ही में हुए विधानसभा चुनाव में देखने को मिला कि भाजपा का ग्रामीण वोट बैंक छिटक रहा है जिसे ध्यान में रखते हुए जेटली अपने बजट में कृषि क्षेत्र के लिए कुछ प्रोत्साहन भी ला सकते हैं। इसी तरह लघु उद्योगों के लिए भी रियायतें आ सकती हैं क्योंकि इस खंड को भाजपा के प्रमुख समर्थक के रूप में देखा जा सकता है। जेटली माल व सेवा कर (जीएसटी) के कार्यान्वयन से इस वर्ग को हुई दिक्कतों को दूर करने के लिए कुछ कदमों की घोषणा कर सकते हैं। 

इसके साथ ही आयकर छूट सीमा बढ़ाकर आम आदमी को कुछ राहत देने का प्रयास भी बजट में किया जा सकता है। ऐसी अपेक्षा है। राजमार्ग जैसी ढांचागत परियोजनाओं के साथ साथ रेलवे के आधुनिकीकरण के लिए अधिक आवंटन किया जा सकता है। लेकिन इसके साथ ही जेटली के समक्ष बजट घाटे को कम करने की राह पर बने रहने की कठिन चुनौती भी है। अगर भारत इस डगर से चूकता है तो वैश्विक निवेशकों व रेटिंग एजेंसियों की निगाह में भारत की साख जोखिम में आ सकती है। 

जेटली ने राजकोषीय घाटे को मौजूदा वित्त वर्ष में घटाकर जीडीपी के 3.2 प्रतिशत पर लाने का लक्ष्य रखा था। आगामी वित्त वर्ष 2018-19 में घटाकर तीन प्रतिशत किया जाना है। हालांकि इस बजट को लेकर बड़ी अपेक्षाएं नहीं पालने की नसीयत प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पहले ही दे चुके हैं जबकि उन्होंने संकेत दिया था कि बजट में लोकलुभावन कदमों पर जोर नहीं होगा और कि यह एक भ्रम है कि आम आदमी छूट चाहता है। जीएसटी के कार्यान्वयन के बाद यह पहला आम बजट होगा जिस पर विश्लेषकों की इसलिए भी निगाह है क्योंकि वे देखना चाहते हैं कि जेटली वृद्धि को बल देने के लिए क्या क्या उपाय करेंगे। 

ऐसी चर्चा है कि शेयरों में निवेश से होने वाले पूंजीगत लाभ पर कर छूट समाप्त हो सकती है। यह भी देखना होगा कि क्या जेटली कारपोरेट कर में कमी लाने के अपने वादे को पूरा करते हैं या नहीं। जानकारों का कहना है कि कुछ क्षेत्रों में निर्यात बढ़ाने के लिए प्रोत्साहनों की घोषणा हो सकती है तो उद्यमशीलता को बढ़ावा देने के लिए स्टार्टअप यानी नयी कंपनियों के लिए कुछ कदम उठाए जा सकते हैं। 

Latest India News

India TV पर हिंदी में ब्रेकिंग न्यूज़ Hindi News देश-विदेश की ताजा खबर, लाइव न्यूज अपडेट और स्‍पेशल स्‍टोरी पढ़ें और अपने आप को रखें अप-टू-डेट। National News in Hindi के लिए क्लिक करें भारत सेक्‍शन

Advertisement
Advertisement
Advertisement