भुवनेश्वर: ओडिशा में बाढ़ की स्थिति में रविवार को मामूली सुधार हुआ जिससे प्रशासन के लिए राहत एवं बचाव अभियान तेज करने का मार्ग प्रशस्त हुआ। राज्य में दक्षिण पश्चिम हिस्से के गोपालपुर में चक्रवात ‘तितली’ के दस्तक देने के बाद पिछले तीन दिनों में भारी बारिश हुई। चक्रवाती तूफान के कारण गजपति इलाके के बारगढ़ में भूस्खलन में 15 लोगों के मारे जाने के बाद मृतकों की संख्या रविवार को 24 पर पहुंच गई।
परालाखेमुंडी के उप मंडल पुलिस अधिकारी टी पी पात्रा ने बताया कि मलबे से शनिवार रात को 13 शव निकाले गए जबकि रविवार सुबह को दो और शव निकाले गए। विशेष राहत आयुक्त (एसआरसी) बी पी सेठ ने बताया कि गंजम और गजपति जिलों में स्थिति में थोड़ा सुधार आया है। निचले इलाके से पानी कम हो रहा है और पेड़ तथा बिजली के खंभे उखड़ने से अवरुद्ध हुई सड़कों को साफ किया जा रहा है। उन्होंने मुख्य सचिव ए पी पाधी के साथ समीक्षा बैठक के बाद पत्रकारों से कहा, ‘‘राज्य में सबसे ज्यादा प्रभावित जिलों में से एक गंजम में कई स्थानों पर बिजली की आपूर्ति बहाल की गई। गजपति में भी ओडिशा वन विकास निगम (ओएफडीसी) के कर्मचारियों को उखड़े हुए पेड़ों को हटाकर सड़कें साफ करने के काम में लगा दिया गया है।’’
एसआरसी ने बताया कि चक्रवात ने कई प्रभावित इलाकों में बड़े पैमाने पर फसलों को नुकसान पहुंचाया। अगले कुछ दिनों में नुकसान का आकलन किया जाएगा और इसके अनुसार प्रभावित किसानों को मदद दी जाएगी। जिलाधीश विजय अमृत कुलांगे ने बताया कि गंजम में पिछले दो दिनों में अस्का और पुरुषोत्तमपुर डूब गए। उन्होंने बताया कि राहत दल को इन इलाकों में फंसे लोगों के लिए विमान के जरिए भोजन के पैकेट गिराने पड़े।
एसआरसी ने बताया कि पिछले 24 घंटे में गंजम, गजपति और रायगडा जिलों में बाढ़ का पानी कम हुआ है। उन्होंने कहा, ‘‘मौसम में सुधार के बाद लोग घर लौट रहे हैं तो अब इन जिलों में राहत शिविरों में भोजन उपलब्ध नहीं कराया जाएगा।’’ गजपति में भूस्खलन की घटना के बारे में सेठी ने कहा कि राज्य सरकार ने प्रत्येक मृतक के परिवार को चार लाख रुपये की अनुग्रह राशि देने का फैसला किया है। उन्होंने बताया कि पुनर्वास के काम में तेजी लाने के लिए गजपति में ओडीआरएएफ की तीन अतिरिक्त और एनडीआरएफ की दो अतिरिक्त टीमों को भेजा जाएगा।
राज्य में बाढ़ से संबंधित घटनाओं में मारे गए 24 लोगों में से सात गंजम के हैं और तीन कंधमाल के हैं। सेठी ने कहा, ‘‘हालांकि बाढ़ से प्रभावित इलाकों में पुनर्वास में वक्त लगेगा लेकिन प्रमुख नदियों में जल स्तर घटने से लोगों को राहत मिली है। बरनीघाट के समीप बुधाबलंगा नदी खतरे के निशान से नीचे बह रही है।’’
एसआरसी ने कहा कि मयूरभंज जिले में स्थिति में अभी बदलाव नहीं आया है। यहां गांववाले अब भी बाढ़ जैसी स्थिति से जूझ रहे हैं। उन्होंने कहा, ‘‘बुढ़ीबलंगा और गंगहरा नदियों के उफान पर होने के कारण मयूरभंज के बाड़ासही मंडल के करीब 14 गांव डूब गए। जलाका नदी के उफान पर होने के कारण बासता और बलियापाल के बीच सड़क संपर्क अब भी बाधित है।’’