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Flashback 2018: इस साल की वो घटनाएं जिन्होंने बदल दीं भारत की तस्वीर

साल 2018 खत्म होने वाला है और कुछ ही दिनों में साल 2019 आ जाएगा। यह साल भी कई घटनाओं के लिए हमेशा याद किया जाएगा। 2018 भारत के लिए काफी घटनापूर्ण वर्ष रहा - आपदाजनक बाढ़ और भयानक रेल दुर्घटना और समलैंगिकता को कानूनी स्वीकृति से लेकर MeToo आंदोलन तक भारत ने देखा।

Edited by: IndiaTV Hindi Desk
Published on: December 28, 2018 15:38 IST
Flashback 2018- India TV Hindi
Flashback 2018

नई दिल्ली: साल 2018 खत्म होने वाला है और कुछ ही दिनों में साल 2019 आ जाएगा। यह साल भी कई घटनाओं के लिए हमेशा याद किया जाएगा। 2018 भारत के लिए काफी घटनापूर्ण वर्ष रहा - आपदाजनक बाढ़ और भयानक रेल दुर्घटना और समलैंगिकता को कानूनी स्वीकृति से लेकर MeToo आंदोलन तक भारत ने देखा। ये घटनाएं ऐसी थीं जो कई दिनों तक मीडिया की सुर्खियां बनीं रही और इनपर सफाई देने के लिए सरकार को आगे आना पड़ा। साल को अलविदा कहने से पहले इंडिया टीवी हिंदी याद कर रहा है उन घटनाओं को जिनसे सबक लेकर हम 2019 में सावधान रहें।

 
1. सबरीमाला मंदिर विवाद
सितंबर के आखिरी दो हफ्तों में सुप्रीम कोर्ट ने भारत के पूर्व मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा की अगुवाई में कई ग्राउंडब्रेकिंग फैसले दिए। उनमें से सबरीमाला के पवित्र पहाड़ी मंदिर में 10-50 वर्ष की आयु वर्ग की महिलाओं के प्रवेश पर फैसला था। इसके पहले यहां 10 साल की बच्चियों से लेकर 50 साल तक की महिलाओं के प्रवेश पर पाबंदी थी। एक याचिका में इसे चुनौती दी गई। केरल सरकार मंदिर में महिलाओं के प्रवेश के पक्ष में थी। सबरीमाला मंदिर का संचालन करने वाला त्रावणकोर देवस्वम बोर्ड अब कोर्ट में पुनर्विचार याचिका दायर करने की तैयारी में है।
 
2. MeToo आंदोलन
यह महिलाओं पर होने वाले यौन उत्पीड़न, शोषण और बलात्कार के खिलाफ आंदोलन है, जिसमें महिलाएं #MeToo हैशटैग के साथ अपनी कहानियां बता रही हैं। भारत में यह आंदोलन तब शुरू हुआ जब बॉलीवुड एक्ट्रेस तनुश्री दत्ता ने नाना पाटेकर के खिलाफ यौन उत्पीड़न का आरोप लगाया। तनुश्री के बाद कई महिलाएं आगे आईं और उन्होंने एक से एक दिग्गज लोगों का नाम लेते हुए कहा कि उन्होंने काम देने के बहाने उनका यौन उत्पीड़न किया था। इस क्रम में एक्टर आलोक नाथ, सुभाष घई, साजिद खान, लसिथ मलिंगा, अर्जुन रणतुंगा, चेतन भगत, पत्रकार एमजे अकबर, जैसों का नाम आया, जिनके खिलाफ महिलाओं ने यौन उत्पीड़न के आरोप लगाए। एक वरिष्ठ पत्रकार के रूप में अपने समय में 11 महिलाओं का यौन उत्पीड़न के आरोप में एमजे अकबर को पद छोड़ने के लिए मजबूर होना पड़ा।
 
3. लखनऊ का विवेक तिवारी हत्‍याकांड
उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में अक्‍टूबर माह में एक पुलिस कॉन्स्टेबल की गोली से ऐप्पल के एरिया मैनेजर 38 साल के विवेक तिवारी की मौत हो गई थी। पुलिसकर्मी ने सिर्फ इस बात पर गोली मार दी थी क्योंकि चेकिंग के दौरान उसने अपनी कार रोकने से इनकार कर दिया था। गोली लगने के बाद उसे अस्पताल ले जाया गया, जहां उसकी मौत हो गई। इस घटना के बाद दोनों पुलिसकर्मियों को बर्खास्त कर जेल में डाल दिया गया। हालांकि इस दौरान कुछ पुलिसकर्मियों ने इसे गलत बताकर विरोध भी जताया था। इस वारदात ने पूरे देश में सनसनी फैला दी थी।
 
4. केरल बाढ़
अगस्त के आरंभ में लगभग दो हफ्ते केरल में जबरदस्त वर्षा ने राज्य में विनाशकारी बाढ़ को जन्म दिया जोकि केरल में एक शताब्दी में आयी सबसे विकराल बाढ़ थी जिसमें 370 से अधिक लोग मारे गए तथा 2,80,679 से अधिक लोगों को विस्थापित होना पड़ा। केरल सरकार के अनुसार राज्य की 1/6 जनसंख्या बाढ़ से सीधे तौर पर प्रभावित हुई। केन्द्र सरकार ने इस त्रासदी को स्तर तीन की आपदा घोषित किया। अत्यधिक वर्षा व बाढ़ के कारण राज्य के इतिहास में पहली बार 42 में से 35 बांधों को खोल दिया गया था। इस दौरान 26 सालों में पहली बार इदुक्की बांध के सभी पाँच द्वारों को खोला गया था। इस बाढ़ की वजह से राज्य को करीब 20,000 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है।
 
5. कठुआ गैंगरेप
अप्रैल माह में जम्मू-कश्मीर में कठुआ जिले के रासना गांव में बकरवाल समुदाय की 8 साल की बच्ची का शव बरामद हुआ था। 10 अप्रैल को दायर पुलिस की चार्जशीट के मुताबिक, बच्ची की गैंगरेप के बाद हत्या की गई थी। इस हादसे ने पूरे देश को सन्‍न रख दिया था। इंटरनेशनल मीडिया ने भी इसे कवर किया और हैवानियत करार दिया था। आरोप गांव के एक मंदिर के सेवादार पर लगा था। कहा जा रहा था कि बकरवाल समुदाय को गांव से बेदखल करने के इरादे से यह साजिश रची गई थी। इस मामले में एक नाबालिग समेत 8 लोगों को आरोपी बनाया गया था। सभी को गिरफ्तार किया जा चुका है। इस वारदात का एक ऐसा घिनौना पहलू है जिसे जानकर आप भी सदमे में आ जाएंगे। वो ये कि आरोपी पीड़ित बच्ची की हत्या करने जा रहे थे तभी एक आरोपी बोला कि रुको अभी मैं रेप कर लेता हूं।
 
6. बुलंदशहर में पुलिस अफसर की गोली मारकर हत्‍या
उत्तर प्रदेश के बुलंदशहर हिंसा में 3 दिसंबर को इंस्पेक्टर सुबोध सिंह की हत्या कर दी गई थी। दरअसल बुलंदशहर में गोकशी के शक में हिंसा भड़क गई थी, जिसमें इंस्पेक्टर सुबोध कुमार सिंह और एक आम नागरिक सुमित की मौत हो गई थी। बुलंदशहर ज़िले के महाव गांव के लोगों का कहना है कि उन्होंने अपने खेतों में कम से कम एक दर्जन गायों के कंकाल देखे थे। कथित तौर पर गाय का कंकाल मिलने के बाद कई गांव वाले बहुत ग़ुस्से में थे और उन्होंने फैसला किया कि वो इसे लेकर थाने जाएंगे और पुलिस से फौरन कार्रवाई की मांग करेंगे। उन लोगों ने हाईवे पर स्थित चिंगरावठी पुलिस चौकी को घेर लिया। उस समय थाने में केवल छह लोग थे। पुलिस मुख्यालय से फौरन ही अतिरिक्त पुलिस भेजने का आदेश दिया गया। पुलिस इंस्पेक्टर सुबोध घटना स्थल से तीन किलोमीटर दूर थे। थोड़ी देर में वह घटनास्थल पर पहुंच गए। जैसे-जैसे भीड़ का आकार बढ़ा वह और आक्रामक हुई। इसी नाज़ुक समय में पुलिस ने बल प्रयोग करने का फ़ैसला ले लिया। अगर यह फ़ैसला लेने में थोड़ी देर की गई होती तो सुबोध कुमार सिंह और एक अन्य शख़्स की जान बच सकती थी।
 
7. भीमा कोरेगांव हिंसा
वर्ष 2018 की शुरुआत महाराष्ट्र में हिंसा से हुई। पुणे के नजदीक एक जनवरी को भीमा-कोरेगांव युद्ध के 200 साल पूरा होने के मौके पर आयोजित एक कार्यक्रम के दौरान दो समूहों के बीच संघर्ष में एक युवक की मौत हो गई थी और चार लोग घायल हुए थे। इस हिंसा में एक व्यक्ति की मौत हो जाने के बाद इसकी आंच महाराष्ट्र के 18 जिलों तक फैल गई। भीमा-कोरेगांव में लड़ाई की 200वीं सालगिरह को शौर्य दिवस के रूप में मनाया गया। दलित समुदाय के पांच लाख से ज्यादा लोग शौर्य दिवस मनाने के लिए एकत्र हुए थे। भीम कोरेगांव के विजय स्तंभ पर मुख्य कार्यक्रम शांतिपूर्वक चल रहा था, हालांकि पड़ोस के गांवों में हिंसा भड़क गई। इस हिंसा के विरोध में दलित संगठनों ने बंद बुलाया था जिसमें मुंबई, नासिक, पुणे, ठाणे, अहमदनगर, औरंगाबाद और सोलापुर सहित राज्य के एक दर्जन से अधिक शहरों में दलित संगठनों ने जमकर तोड़फोड़ और आगजनी की थी।
 
8. अमृतसर ट्रेन त्रासदी
वर्ष 2018 में दशहरा उत्सव अमृतसर में भयानक ट्रेन हादसे के भेंट चढ़ गया। इस हादसे में कम से कम 60 लोगों की मौत हो गई और 140 से ज्यादा लोग घायल हो गए। यह हादसा तब घटा जब अमृतसर शहर से सटे जोड़ा फाटक के पास शाम क़रीब साढ़े छह बजे रावण दहन का कार्यक्रम चल रहा था। इस दौरान एक तेज़ रफ़्तार लोकल ट्रेन जोड़ा फाटक से गुज़री और ट्रैक के पास खड़े होकर रावण दहन देख रहे बहुत से लोग इस ट्रेन की चपेट में आ गए। लोगों का कहना है कि पटाखों और लोगों के शोर की वजह से उन लोगों को आ रही ट्रेन का हॉर्न सुनाई नहीं दिया। इस वजह इस ट्रेन त्रासदी में लगभग 60 लोगों को अपनी जान से हाथ धोना पड़ा।
 
9. दिल्‍ली का बुराड़ी कांड
अपने आप में अजीब, अविश्वसनीय और अकल्पनीय इस घटना में 30 जून और 1 जुलाई की मध्यरात्रि को दिल्ली के बुराड़ी में एक ही परिवार के 11 लोगों ने फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली। जब पहली बार यह खबर सामने आई तो दिल्ली ही नहीं पूरा देश अवाक रह गया था। सभी की जुबान पर एक ही सवाल था कि आखिर कैसे एक पूरा का पूरा भाटिया परिवार एक साथ फांसी लगा सकता है। धीरे-धीरे इसमें आत्मा से लेकर भूत-प्रेत तक के कोण और किस्से सामने आए। 11 मौतों की इस मिस्ट्री में कई ऐसे रहस्य सामने आए जिसने इस केस को और उलझा दिया। हालांकि अभी भी इस केस में बहुत से ऐसे सवाल हैं जिनका जवाब नहीं मिला है लेकिन अब भाटिया परिवार का वो घर लोगों की किस्सों कहानियों का हिस्सा बन गया है और स्थानीय निवासी शाम होने के बाद उस घर के पास जाने से भी डरते हैं।
 
10. समलैंगिकता को कानूनी स्वीकृति
सुप्रीम कोर्ट की पांच सदस्यीय संविधान पीठ ने गुरुवार को एकमत से 158 साल पुरानी भारतीय दंड संहिता की धारा 377 के उस हिस्से को निरस्त कर दिया जिसके तहत सहमति से परस्पर अप्राकृतिक यौन संबंध अपराध था। कोर्ट ने अपने ही साल 2013 के फैसले को पलटते हुए धारा 377 की मान्यता रद्द कर दी। संविधान पीठ ने धारा 377 को आंशिक रूप से निरस्त करते हुए कहा कि इससे संविधान में प्रदत्त समता के अधिकार और गरिमा के साथ जीने के अधिकार का उल्लंघन होता है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि जहां तक एकांत में परस्पर सहमति से अप्राकृतिक यौन कृत्य का संबंध है तो यह न तो नुकसानदेह है और न ही समाज के लिए संक्रामक है।

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