नयी दिल्ली: पिछले दिनों जम्मू-कश्मीर के पुलवामा में सीआरपीएफ के काफिले पर हुए आतंकवादी हमले के बाद पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (पीओके) से सैकड़ों फिदायीनों और उनके प्रशिक्षकों को बालाकोट में पहाड़ियों से घिरे जंगल में पांच सितारा रिजॉर्ट की तरह बने एक शिविर में भेज दिया गया था। इससे भारतीय बलों के लिए यह ‘‘आसान निशाना’’ बन गया और उन्होंने मंगलवार तड़के बालाकोट के इस शिविर पर हमला कर दिया, जिसमें करीब 350 आतंकवादी हलाक हो गए। सूत्रों ने यह जानकारी दी। सूत्रों ने बताया कि पाकिस्तान स्थित आतंकवादी संगठन जैश-ए-मोहम्मद द्वारा संचालित इस सबसे बड़े शिविर में कम से कम 325 आतंकवादी और उनके 25-27 समर्थक थे।
पुलवामा में सीआरपीएफ के काफिले पर हुए हमले की जिम्मेदारी जैश-ए-मोहम्मद ने ली थी। इस हमले में 40 जवान शहीद हुए थे। सरकार के करीबी सूत्रों ने बताया कि हमले के वक्त शिविर में मौजूद सभी लोग सो रहे थे और पाकिस्तानी रक्षा प्रतिष्ठान को जरा भी भनक नहीं थी कि उनके देश के इतने अंदरूनी हिस्से में हमला होने जा रहा है। दरअसल, पाकिस्तान के आला रक्षा अधिकारियों को लग रहा था कि भारत नियंत्रण रेखा के पास पीओके में स्थित शिविरों पर हमला कर सकता है।
भारत को खुफिया सूचना मिली थी कि जैश-ए-मोहम्मद ने कई प्रशिक्षणरत और खूंखार आतंकवादियों एवं उनके प्रशिक्षकों को बालाकोट शिविर में भेज दिया है। इस शिविर में 500 से 700 लोगों के रहने लायक सुविधाएं, एक स्वीमिंग पूल, खानसामों एवं सफाईकर्मियों के भी इंतजाम हैं। सूत्रों ने बताया कि पश्चिमी एवं मध्य कमानों में कई एयर बेसों से लगभग एक ही समय पर लड़ाकू एवं अन्य विमानों ने उड़ान भरी। इससे पाकिस्तानी रक्षा अधिकारी पूरी तरह भ्रमित हो गए कि आखिर ये विमान जा कहां रहे हैं।
एक सूत्र ने बताया कि विमानों का एक छोटा सा समूह अपने झुंड से निकल कर बालाकोट की तरफ मुड़ गया, जहां ‘‘सो रहे आतंकवादी भारतीय बमबारी का आसान शिकार बन गए।’’ सूत्र ने कहा, ‘‘उन्हें जरा भी भनक नहीं थी कि बालाकोट को भी निशाना बनाया जा सकता है....जब तस्वीरें आएंगी तो आप देखेंगे कि कभी आलीशान रहा शिविर अब बस खंडहर रह गया है।’’
रक्षा सूत्रों ने कहा है कि ‘मिराज-2000’ विमानों ने शिविर पर बमबारी कर इसे पूरी तरह तबाह कर दिया। भारतीय हमले का शिकार बना आतंकी शिविर बालाकोट कस्बे से करीब 20 किलोमीटर दूर है। बालाकोटा ऐबटाबाद के पास नियंत्रण रेखा से करीब 80 किलोमीटर दूर है। गौरतलब है कि ऐबटाबाद में ही घुसकर अमेरिकी सुरक्षा बलों ने अल-कायदा सरगना ओसामा बिन लादेन को मार गिराया था।