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चीन से तनाव के बीच रूस से 33 नए लड़ाकू विमान खरीदेगा भारत, 12 सुखोई और 21 मिग-29 शामिल

भारत ने रूस से 21 नए मिग-29 फाइटर प्लेन खरीदने का फैसला किया है। इसके अलावा मौजूदा 59 मिग 29 विमानों का अपग्रेडेशन किया जाएगा।

Written by: IndiaTV Hindi Desk
Updated on: July 02, 2020 18:23 IST
Fighter Plane- India TV Hindi
Image Source : TWITTER/IAF_MCC Representational Image

नई दिल्ली. चीन के साथ LAC पर विवाद जारी है। गलवान में हुई खूनी झड़प के बाद दोनों देशों के बीच तनाव बड़ा हुआ है। इस बीच भारत ने रूस से 21 नए मिग-29 फाइटर प्लेन खरीदने का फैसला किया है। इसके अलावा मौजूदा 59 मिग 29 विमानों का अपग्रेडेशन किया जाएगा। Defence Acquisition Council की बैठक में ये बड़ा फैसला हुआ है। बैठक में 38 हजार 900 करोड़ा के रक्षा सौदे को मंजूरी दी गई है। इतना ही नहीं 12 सुखोई 30 MKI  की खरीद को भी मंजूरी दी गई है।

रक्षा मंत्रालय के एक बयान में कहा गया है, 38,900 करोड़ रुपये की अनुमानित लागत के प्रस्तावों को मंजूरी दी गई है। रूस से मिग-29 की खरीद और अपग्रेड में अनुमानित 7,418 करोड़ रुपये की लागत आएगी। वहीं सुखोई-30 एमकेआई की खरीद पर 10,730 करोड़ रुपये की लागत आएगी। स्वदेशी डिजाइन और विकास पर केंद्रित इन मंजूरियों में भारतीय उद्योग से 31,130 करोड़ रुपये का अधिग्रहण शामिल है।

इन उपकरणों का निर्माण भारत में भारतीय रक्षा उद्योग द्वारा कई एमएसएमई की भागीदारी के साथ किया जाएगा। इनमें से कुछ परियोजनाओं में घरेलू सामग्री परियोजना लागत का 80 प्रतिशत तक है। रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन द्वारा घरेलू उद्योग के लिए प्रौद्योगिकी के हस्तांतरण के कारण बड़ी संख्या में इन परियोजनाओं को संभव बनाया गया है।

इनमें भारतीय सेना के लिए पिनाक मिसाइल, बीएमपी आयुध उन्नयन और सॉफ्टवेयर परिभाषित रेडियो और भारतीय नौसेना व भारतीय वायुसेना के लिए लंबी दूरी की जमीन पर मार करने वाली क्रूज मिसाइल प्रणाली और अस्त्र मिसाइल शामिल हैं। इन डिजाइन और विकास प्रस्तावों की लागत 20,400 करोड़ रुपये है। नई और अतिरिक्त मिसाइल प्रणालियों के अधिग्रहण से तीनों सेनाओं की शक्ति में इजाफा होगा।

राफेल विमानों की पहली खेप के 27 जुलाई तक भारत पहुंचने की उम्मीद

बात दें कि फ्रांस से मिलने वाले राफेल विमानों में से छह राफेल युद्धक विमानों की पहली खेप 27 जुलाई तक मिलने की संभावना है। इन विमानों से भारतीय वायु सेना की लड़ाकू क्षमता में उल्लेखनीय वृद्धि होगी। 

पूर्वी लद्दाख की गलवान घाटी में चीन के साथ सैन्य झड़पों के बाद पिछले दो सप्ताह से वायु सेना अलर्ट पर है। उस झड़प में भारतीय सेना के 20 जवान शहीद हो गए थे। दोनों सेनाएं सात सप्ताह से उस क्षेत्र में आमने सामने हैं। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने दो जून को फ्रांसीसी समकक्ष फ्लोरेंस पर्ली से बातचीत की थी। 

बातचीत में उन्होंने बताया कि कोरोना वायरस महामारी के बावजूद भारत को राफेल जेट विमानों की आपूर्ति निर्धारित समय पर की जाएगी। सैन्य अधिकारियों ने नाम नहीं छापने क अनुरोध के साथ कहा कि राफेल विमानों के आने से भारतीय वायुसेना की समग्र लड़ाकू क्षमता में काफी इजाफा होगा और यह भारत के "विरोधियों" के लिए एक स्पष्ट संदेश होगा। इस बारे में पूछे जाने पर भारतीय वायुसेना ने कोई टिप्पणी नहीं की।

विमानों का पहला स्क्वाड्रन वायुसेना के अंबाला स्टेशन पर तैनात किया जाएगा जिसे भारतीय वायुसेना के लिए सामरिक रूप से महत्वपूर्ण ठिकानों में से एक माना जाता है। भारत ने सितंबर 2016 में फ्रांस के साथ लगभग 58,000 करोड़ रुपये की लागत से 36 राफेल लड़ाकू विमानों की खरीद के लिए अंतर-सरकारी समझौते पर हस्ताक्षर किए थे। यह विमान कई शक्तिशाली हथियारों को ले जाने में सक्षम है। इसमें यूरोपीय मिसाइल निर्माता एमबीडीए का मेटॉर मिसाइल शामिल है।

राफेल विमानों का दूसरा स्क्वाड्रन पश्चिम बंगाल में हासिमारा बेस पर तैनात किया जाएगा। वायुसेना ने इस संबंध में दोनों अड्डों पर बुनियादी ढांचों के विकास के लिए लगभग 400 करोड़ रुपये खर्च किए हैं। इन 36 राफेल विमानों में 30 युद्धक विमान होंगे जबकि छह प्रशिक्षण विमान होंगे। उल्लेखनीय है कि विमान की कीमतों और कथित भ्रष्टाचार आदि को लेकर कांग्रेस ने इस समझौते पर सवाल उठाए थे, लेकिन सरकार ने उन आरोपों को खारिज कर दिया था।

With inputs from IANS/Bhasha

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