कोलकाता: पश्चिम बंगाल के राज्यपाल जगदीप धनखड़ ने मंगलवार को कहा कि शहर में हुए दुर्गा पूजा महोत्सव में उन्होंने अपमानित महसूस किया और वह इतने दुखी थे कि उन्हें इस सदमे से बाहर आने में तीन दिन का वक्त लगा। उन्होंने यह भी कहा कि पश्चिम बंगाल की जनता का सेवक होने के नाते कोई भी चीज उनके संवैधानिक कर्तव्यों को निभाने के आड़े नहीं आ सकती है। कार्यक्रम का आयोजन तृणमूल कांग्रेस सरकार ने किया था। यह शहर में बड़े पैमाने पर होने वाले दुर्गा पूजा उत्सवों में से एक है। धनखड़ ने दावा किया कि इस कार्यक्रम में उन्हें ‘‘ पूरी तरह से दरकिनार कर दिया गया। ’’
सत्तारूढ़ तृणमूल ने पलटवार करते हुए धनखड़ को ‘‘ प्रचार का भूखा ’’ बताया। पार्टी ने कहा कि वह इस तरह से कार्य कर रहे हैं, जो राज्यपाल को शोभा नहीं देता। सूत्रों के मुताबिक शुक्रवार को हुए इस महोत्सव की बैठक व्यवस्था से धनखड़ खुश नहीं थे। उन्होंने बताया कि राज्यपाल को मंच पर किनारे की सीट दी गई थी और इस वजह से वह कार्यक्रम को ठीक प्रकार से देख नहीं सके थे। राज्यपाल ने कहा, ‘‘ महोत्सव में मैने अपमानित महसूस किया। मैं बहुत दुखी और व्यथित हूं। यह मेरा नहीं बल्कि पश्चिम बंगाल के लोगों का अपमान है। वे इस अपमान को पचा नहीं पाएंगे।’’
यहां एक कार्यक्रम से इतर धनखड़ ने कहा, ‘‘ मैं पश्चिम बंगाल के लोगों का सेवक हूं। लेकिन मेरे संवैधानिक कर्तव्यों को पूरा करने के आड़े कुछ नहीं आ सकता है।’’ उन्होंने कहा कि यह एक असामान्य किस्म की सेंसरशिप है। उन्होंने कहा, ‘‘ मैं चार घंटे तक वहां बैठा रहा लेकिन मुझे पूरी तरह से दरकिनार किया गया। मुझे आमंत्रित करने के बाद आप मुझे सेंसर कैसे कर सकते हैं? किसी ने मुझे कहा कि यह घटना आपातकाल की याद दिलाती है। ’’
धनखड़ ने कहा, ‘‘ मैं इतना दुखी था कि इस सदमे से बाहर आने में मुझे तीन दिन का वक्त लगा। ’’ तृणमूल के वरिष्ठ नेता तापस रॉय ने धनखड़ पर ‘‘ बिना बात का मुद्दा बनाने की कोशिश’’ करने का आरोप लगाया और कहा, ‘‘ इस मामले पर वह हफ्तेभर बाद टिप्पणी क्यों कर रहे हैं? वह प्रचार के भूखे हैं। वह इस तरह से कार्य कर रहे हैं, जो राज्यपाल को शोभा नहीं देता है। ’’ इस कार्यक्रम में ममता बनर्जी मंत्रिमंडल के सदस्य, राज्यपाल, विभिन्न वाणिज्य दूतावासों के सदस्य तथा अन्य गणमान्य लोग और पर्यटक शामिल हुए।