Thursday, January 16, 2025
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दर्दनाक! गाड़ी की सीट पर बेटी की लाश बांधकर 80km दूर घर तक ले गया पिता, एंबुलेंस ने मांगे थे 35 हजार रुपये

राजस्थान के कोटा में एक अभागा पिता अपनी बेटी की जिंदगी बचाने के लिए उसे न्यू मेडीकल हॉस्पिटल लाया था लेकिन बेटी नहीं बच पाई। हद तो यह है कि बेटी के शव को घर तक ले जाने के लिए पिता को एंबुलेंश भी नहीं मिली।

Written by: IndiaTV Hindi Desk
Updated : May 25, 2021 22:35 IST
गाड़ी की सीट पर बेटी की लाश बांधकर 80km दूर घर तक ले गया पिता
गाड़ी की सीट पर बेटी की लाश बांधकर 80km दूर घर तक ले गया पिता

जयपुर: राजस्थान के कोटा में एक अभागा पिता अपनी बेटी की जिंदगी बचाने के लिए उसे न्यू मेडीकल हॉस्पिटल लाया था लेकिन बेटी नहीं बच पाई। हद तो यह है कि बेटी के शव को घर तक ले जाने के लिए पिता को एंबुलेंश भी नहीं मिली। हॉस्पिटल के बाहर खड़ी प्राइवेट एंबुलेंश वालों ने इतना पैसा मांगा, जो पिता के लिए दे पाना संभव नहीं था। मजबूर पिता ने गाड़ी की सीट पर बेटी की लाश को बांधा और इसी हालत में 80 किलोमीटर दूर झालावाड में अपने घर तक ले गया। सोचिए, उस पिता का अस्सी किलोमीटर का यह सफर कैसे कटा होगा? ये दिल दहलाने वाली घटना सोमवार की है।

दरअसल, कुछ दिन पहले 34 साल की सीमा को इलाज के लिए परिवार वाले झालावाड़ से कोटा लाए थे। न्यू मेडिकल कॉलेज हॉस्पिटल में एडमिट करवाया गया था लेकिन इलाज के दौरान सीमा की मौत हो गई। अब परिवार वालों को सीमा की डेड बॉडी को वापस झालावाड़ ले जाना था लेकिन मुश्किल यह थी कि परिवार को मॉर्चरी से सीमा की डेड बॉडी को हॉस्पिटल के बाहर खड़ी गाड़ी तक लाने के लिए वॉर्ड ब्वॉय भी नहीं मिले। 

परिवार के लोग ही सीमा के शव को मॉर्चरी से खुद बाहर लेकर आए। सीमा के परिवार वालों ने हॉस्पिटल के बाहर खड़ी एंबुलेंश से बात की तो प्राइवेट एंबुलेंस वालों ने  20 हजार से लेकर 35 हजार रुपये तक मांगे। परिवार की हैसियत इतने पैसे देने की नहीं थी। इसलिए सीमा के पिता ने बेटी की लाश को अपनी कार की अगली सीट पर बांधा और इसी तरह झालावाड तक ले गया। 

मजबूरी, दर्द और आंसूओं की यह सिर्फ एक घटना नहीं है। कोटा की ही एक और दिल दहलाने वाली घटना है। इसमें भी पीड़ित परिवारवाले अपने मरीज की डेड बॉडी कार से लेकर जा रहे हैं। इस परिवार को कार में शव इसलिए लेकर जाना पड़ा क्योंकि उन्हें एंबुलेंस नहीं मिल पाई। यह घटना भी कोटा के न्यू मेडिकल कॉलेज हॉस्पिटल की ही है।

डेड बॉडी को इस तरह ले जाना कोविड प्रोटोकॉल के ख़िलाफ़ है। लेकिन, क्या किया जाए? हॉस्पिटल के पास डेड बॉडी को घर तक पहुंचाने के लिए अलग से एंबुलेंस नहीं हैं और प्राइवेट एंबुलेंस वाले आपदा में कमाई का अवसर खोज रहे हैं। वह मजबूर लोगों से, दुखी परिवारों से मनमुताबिक कीमत मांग रहे हैं और क्योंकि लोग इतना पैसा नहीं दे पाते तो इस तरह के इंतजाम करने पड़ते हैं।

ऐसे में प्रशासन तब जागता है, खबरें मीडिया में आती हैं और सवाल पूछे जाते हैं। एंबुलेंस वालों द्वारा ज्यादा पैसे मांगने के कारण कार की सीट पर बेटी का शव बांधकर घर ले जाने के मामले में अब कोटा के DM ने कहा कि 'जांच करवा रहे हैं, प्राइवेट एंबुलेंस वालों पर सख्ती करेंगे।' उन्होंने कहा कि 'शिकायतकर्ता साफ तौर पर नहीं बता रहा है कि उससे कितने पैसे, किस आदमी ने और किस गाड़ी नंबर ने मांगे। ऐसी स्थिति में आरोपी को पकड़ना मुश्किल है लेकिन फिर भी हम जांच करेंगे।'

फिलहाल, नगर निगम AEN कपिल और RTO सब इंस्पेक्टर सतवीर सिंह को निलंबित कर दिया गया है। वहीं, दो संविदा कर्मिोयं की सेवाएं समाप्त कर दी गई हैं। इसके साथ ही ज्यादा राशि मांगने वाले अज्ञात एम्बुलेंसकर्मी के खिलाफ FIR दर्ज की गई। यह FIR महावीर नगर थाने में दर्ज हुई है और दो एम्बुलेंस सीज की गई हैं।

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