नई दिल्ली: प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई ने बुधवार को कहा कि मामलों के अविलंब उल्लेख और सुनवाई के लिये मानदंड तय किये जाएंगे। न्यायमूर्ति गोगोई ने भारत के 46वें प्रधान न्यायाधीश के रूप में आज शपथ ली। उन्होंने कहा, ‘‘जब तक कुछ मानदंड तय नहीं कर लिये जाते, तब तक मामलों के अविलंब उल्लेख की अनुमति नहीं दी जाएगी।’’
उन्होंने कहा, ‘‘हम मानदंड तय करेंगे, उसके बाद देखेंगे कि कैसे मामलों का उल्लेख किया जाएगा।’’ उन्होंने कहा, ‘‘अगर किसी को कल फांसी दी जा रही हो तब हम (अत्यावश्यकता को) समझ सकते हैं।’’
राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने 63 वर्षीय न्यायमूर्ति गोगोई को राष्ट्रपति भवन के दरबार हॉल में एक संक्षिप्त समारोह में शपथ दिलाई। वह न्यायमूर्ति दीपक मिश्रा की जगह देश के प्रधान न्यायाधीश बने हैं। भारत के प्रधान न्यायाधीश के रूप में न्यायमूर्ति गोगोई का कार्यकाल तकरीबन 13 महीने का होगा और वह 17 नवंबर 2019 को सेवानिवृत्त होंगे।
हमेशा चर्चा में रहे हैं जस्टिस गोगाई
जस्टिस गोगाई अक्सर चर्चा में रहे हैं। जस्टिस रंजन गोगोई उस बैंच में शामिल रहे हैं, जिन्होंने सुप्रीम कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश मार्कंडेय काटजू को सौम्या मर्डर केस पर ब्लॉग लिखने के संबंध में निजी तौर पर अदालत में पेश होने के लिए कहा था। इसके अलावा चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा का विरोध कर प्रेस कॉन्फ्रेंस करने वाले 4 जजों में जस्टिस गोगोई भी शामिल थे।
जस्टिस गोगोई के सामने चुनौतियां
जस्टिस गोगोई को पद ग्रहण करने के बाद सबसे बड़ा फैसला अयोध्या मसले पर करना है। खास बात यह है कि इस मामले में 28 अक्टूबर को सुप्रीम कोर्ट की तीन जजों की बेंच सुनवाई शुरू करने जा रही है। इस मामले में नए सीजेआइ गोगाेई को तीन बेंच के लिए जजों का ऐलान करना है। इसके अलावा अदालतों में लंबित 3.3 करोड़ मामलों से जुड़े लोगों की निगाह भी जस्टिस गोगोई पर होगी।