कोलकाता: पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने दिल्ली के जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय में शिक्षकों और छात्रों पर हुए हमले को भाजपा की ‘फासीवादी सर्जिकल स्ट्राइक’ बताया। उनकी इस टिप्पणी का भगवा दल ने कड़ा विरोध किया और कहा कि बनर्जी को ‘घड़ियाली आंसू’ बहाना बंद करना चाहिए। तृणमूल कांग्रेस प्रमुख बनर्जी ने कहा कि उन्होंने एक छात्र नेता के तौर पर अपने राजनीतिक करियर की शुरुआत की थी लेकिन शैक्षणिक संस्थान पर कभी ऐसा ‘शर्मनाक हमला’ नहीं देखा।
गंगासागर की तीन दिवसीय यात्रा पर जाने से पहले बनर्जी ने पत्रकारों से कहा, ‘‘देशभर में जो हो रहा है, वह बेहद चिंताजनक है। एक समय मैं भी छात्र राजनीति का हिस्सा थी लेकिन छात्रों और शैक्षणिक संस्थानों पर कभी ऐसा हमला नहीं देखा।’’ उन्होंने कहा, ‘‘यह लोकतंत्र पर सुनियोजित हमला था। कल की घटना छात्र बिरादरी पर फासीवादी सर्जिकल स्ट्राइक थी।’’ मुख्यमंत्री ने दावा किया कि भाजपा के खिलाफ जो भी आवाज उठाता है, उसे ‘‘राष्ट्र विरोधी ’’ या ‘‘पाकिस्तानी’’ करार दे दिया जाता है।
बनर्जी ने कहा, ‘‘भारत एक लोकतांत्रिक देश है और हमें प्रदर्शन करने का अधिकार है। उनके खिलाफ आवाज उठाने वाले को देश का दुश्मन बता दिया जाता है। ऐसे कैसे किसी को सरकार के खिलाफ प्रदर्शन करने पर राष्ट्र विरोधी या पाकिस्तानी होने का तमगा दिया जा सकता है।’’ उन्होंने कहा कि दिल्ली पुलिस अरविंद केजरीवाल सरकार के तले नहीं बल्कि केंद्र सरकार के अधीन आती है।
उन्होंने कहा, ‘‘एक तरफ उन्होंने (भाजपा) गुंडे भेजे और दूसरी ओर उन्होंने पुलिस से कहा कि वह कोई कार्रवाई नहीं करे। ऐसे में पुलिस कर भी क्या सकती है, जब उच्च पदस्थ लोग उनसे कुछ न करने के लिए कहें।’’ मुख्यमंत्री ने रविवार को भी जेएनयू परिसर में हुए हमले की निंदा की थी और उसे ‘घृणित कृत्य’ बताया था। तृणमूल का चार सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल शिक्षकों और छात्रों के साथ एकजुटता दिखाने के लिए सोमवार को जेएनयू पहुंचा।
पश्चिम बंगाल की भाजपा इकाई के अध्यक्ष दिलीप घोष ने बनर्जी की टिप्पणी पर प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा, ‘‘बनर्जी को जेएनयू के छात्रों के लिए घड़ियाली आंसू बहाना बंद करना चाहिए। घोष ने कहा, ‘‘पिछले वर्ष 19 सितंबर को जब यादवपुर विश्वविद्यालय में केंद्रीय मंत्री बाबुल सुप्रीयो के साथ धक्का-मुक्की हुई थी तब वह (बनर्जी) कहां थी? सिर्फ राजनीतिक फायदा उठाने के लिए वह प्रतिनिधिमंडल को भेज रही हैं।
उन्होंने उन कॉलेजों में प्रतिनिधिमंडल क्यों नहीं भेजे जहां बीते आठ साल में तृणमूल के कार्यकर्ता लूट-खसोट कर रहे थे।’’ गौरतलब है कि जेएनयू परिसर में रविवार रात लाठियों और रॉड से लैस कुछ नकाबपोश लोगों ने छात्रों तथा शिक्षकों पर हमला कर दिया था और परिसर में संपत्ति को नुकसान पहुंचाया था जिसके बाद प्रशासन को पुलिस बुलानी पड़ी थी।