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"एक किलो टमाटर खरीदने के लिए 5 किलो उड़द बेचने को मजबूर अन्नदाता"

फसलों के लाभकारी मूल्य की मांग को लेकर इसी साल किसानों के हिंसक आंदोलन के गवाह मध्यप्रदेश में एक बार फिर यह मुद्दा गरमाने की आहट है

Reported by: Bhasha
Updated : November 12, 2017 15:55 IST
farmer
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इंदौर: फसलों के लाभकारी मूल्य की मांग को लेकर इसी साल किसानों के हिंसक आंदोलन के गवाह मध्यप्रदेश में एक बार फिर यह मुद्दा गरमाने की आहट है। हालत यह है कि दमोह जिले के किसान सीताराम पटेल (40) ने हाल ही में कीटनाशक पीकर कथित तौर पर इसलिए जान देने की कोशिश की, क्योंकि मंडी में उड़द की उनकी उपज को औने-पौने दाम पर खरीदने का प्रयास किया जा रहा था।

कारोबारियों ने पटेल की उड़द के भाव केवल 1,200 रुपये प्रति क्विंटल लगाये थे, जबकि सरकार ने इस दलहन का न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) 5,400 रुपये प्रति क्विंटल तय किया है। पटेल सूबे के उन हजारों निराश किसानों में शामिल हैं, जिन्होंने इस उम्मीद में दलहनी फसलें बोयी थीं कि इनकी पैदावार से वे चांदी काटेंगे। लेकिन तीन प्रमुख दलहनों की कीमतें औंधे मुंह गिरने के कारण किसानों का गणित ​बुरी तरह बिगड़ गया है और खेती उनके लिए घाटे का सौदा साबित हो रही है।

प्रदेश की मंडियों में उड़द के साथ तुअर (अरहर) और मूंग एमएसपी से नीचे बिक रही हैं। फसलों के लाभकारी मूल्य की मांग को लेकर जून में किसानों का ​हिंसक आंदोलन झेल चुके सूबे में कृषि क्षेत्र के संकट का मुद्दा फिर गरमाता नजर आ रहा है।

गैर राजनीतिक किसान संगठन आम किसान यूनियन के संस्थापक सदस्य केदार सिरोही ने आज बताया, "प्रदेश की थोक मंडियों में इन दिनों उड़द औसतन 15 रुपये प्रति किलोग्राम बिक रही है, जबकि खुदरा बाजार में टमाटर का दाम बढ़कर 70 रुपये प्रति किलोग्राम पर पहुंच गया है। यानी किसानों को एक किलो टमाटर खरीदने के लिए पांच किलो उड़द बेचनी पड़ रही है।"

उन्होंने कहा, "मनुष्यों के लिए प्रोटीन का बड़ा स्त्रोत मानी जाने वाली दाल का कच्चा माल (उड़द) भी 1,500 रुपये प्रति क्विंटल के उसी भाव पर बिक रहा है, जिस दाम पर खलीयुक्त पशु आहार बेचा जा रहा है। यह स्थिति कृषि क्षेत्र के लिए त्रासदी की तरह है।" सिरोही ने कहा कि दलहनों के भाव में भारी गिरावट के चलते सूबे के तुअर (अरहर) और मूंग उत्पादक किसानों की भी हालत खराब है।

उन्होंने केंद्र और प्रदेश के स्तर पर सरकारी नीतियों को विरोधाभासी बताते हुए कहा, "एक तरफ केंद्र सरकार ने विदेशों से सस्ती दलहनों का बड़े पैमाने पर आयात कर लिया है, तो दूसरी ओर घरेलू बाजार में दलहनों के दाम गिरने के बाद प्रदेश सरकार किसानों को उनकी उपज का सही मूल्य दिलाने के नाम पर बड़ी-बड़ी बातें कर रही है।"

प्रदेश सरकार ने किसानों को उनकी उपज का उचित मूल्य दिलाने के मकसद से महत्वाकांक्षी "भावांतर भुगतान योजना" पेश की है। इस योजना में तीन दलहनों समेत आठ फसलों को शामिल किया गया है। योजना के तहत प्रदेश सरकार किसानों को इन फसलों के एमएसपी और मंडियों में इनके वास्तविक बिक्री मूल्य के अंतर का भुगतान करेगी ताकि अन्नदाताओं के खेती के घाटे की भरपाई हो सके।

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