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किसान नेताओं ने सरकार के प्रस्ताव को किया खारिज, 12 तारीख को उठाएंगे यह कदम

किसान नेताओं ने कहा कि तीनों कृषि कानून रद्द नहीं किये गए तो हम दिल्ली की सभी सड़कों को एक के बाद एक बंद करेंगे। सरकार अगर दूसरा प्रस्ताव भेजे तो हम विचार कर सकते हैं।

Edited by: IndiaTV Hindi Desk
Updated on: December 09, 2020 19:32 IST
Farmers’ unions reject government’s draft proposal- India TV Hindi
Image Source : ANI किसान नेताओं ने नए कृषि कानूनों पर सरकार के प्रस्ताव को खारिज कर दिया है।

नई दिल्ली: किसान नेताओं ने नए कृषि कानूनों पर सरकार के प्रस्ताव को खारिज कर दिया है। किसान नेताओं ने कहा कि तीनों कृषि कानून रद्द नहीं किये गए तो हम दिल्ली की सभी सड़कों को एक के बाद एक बंद करेंगे। सरकार अगर दूसरा प्रस्ताव भेजे तो हम विचार कर सकते हैं। वहीं किसान नेता शिव कुमार कक्का ने कहा, "हम 14 दिसंबर को राज्यों में जिला मुख्यालयों का घेराव करेंगे, दिल्ली-जयपुर राजमार्ग 12 दिसंबर तक बंद करेंगे।" 

क्रांतिकारी किसान यूनियन के अध्यक्ष दर्शन पाल ने प्रेस कॉन्‍फ्रेंस में कहा कि उन्‍होंने देशभर में रिलायंस और अडाणी के उत्‍पादों का बहिष्‍कार करने का फैसला किया है। इसके अलावा रोज बीजेपी के मंत्रियों का घेराव भी किया जाएगा। किसान संगठनों ने चेतावनी दी कि आंदोलन अब और तेज किया जाएगा।

किसान संगठनों ने क्‍या किए हैं फैसले?

  1. केंद्र के प्रस्‍ताव को पूरी तरह से रद्द करते हैं।

  2. रिलायंस के जितने भी प्रॉडक्‍ट्स हैं, सभी का बायकॉट करेंगे।

  3. पूरे देश में हर जिले के मुख्‍यालय पर 14 दिसंबर को मोर्चा लगेगा।

  4. पूरे देश में रोज प्रदर्शन जारी रहेंगे। जो धरने नहीं लगाएंगे, वे किसान दिल्‍ली कूच करेंगे।

  5. दिल्‍ली की सड़कों को एक-एक करके जाम करने की तैयारी है।

  6. 12 दिसंबर तक दिल्‍ली-जयपुर हाइवे और दिल्‍ली-आगरा हाइवे को रोक दिया जाएगा।

  7. बीजेपी के सभी मंत्रियों का घेराव होगा।

  8. 12 तारीख को पूरे एक दिन के लिए टोल प्‍लाजा फ्री कर दिए जाएंगे।

बता दें कि केंद्र सरकार ने इसके लिए ‘लिखित आश्वासन’ देने का प्रस्ताव दिया था कि खरीद के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) की व्यवस्था जारी रहेगी। सरकार ने कम से कम सात मुद्दों पर आवश्यक संशोधन का प्रस्ताव भी दिया था। 13 आंदोलनकारी किसान संगठनों को भेजे गए मसौदा प्रस्ताव में सरकार ने यह भी कहा कि सितंबर में लागू किए गए नये कृषि कानूनों के बारे में उनकी चिंताओं पर वह सभी आवश्यक स्पष्टीकरण देने के लिए तैयार है, लेकिन उसने कानूनों को वापस लेने की आंदोलनकारी किसानों की मुख्य मांग के बारे में कोई जिक्र नहीं किया था।

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