Highlights
- किसान नेताओं ने कहा कि 4 दिसंबर को एक बार फिर मीटिंग होगी और आगे की योजना बनाई जाएगी।
- किसान नेताओं ने अपनी प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि वे सरकार की अब तक की घोषणाओं से सहमत नहीं हैं।
- किसान नेताओं ने केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय मिश्रा उर्फ टेनी को भी मंत्रिमंडल से बर्खास्त करने की मांग की है।
नई दिल्ली: संयुक्त किसान मोर्चा ने एक बड़ा फैसला लेते हुए 29 नवंबर को प्रस्तावित ट्रैक्टर मार्च को स्थगित कर दिया है। अपने बयान में किसान नेताओं ने कहा कि 4 दिसंबर को एक बार फिर मीटिंग होगी और आगे की योजना बनाई जाएगी। किसान नेताओं ने कहा कि प्रधानमंत्री देर आए, दुरुस्त आए। बता दें कि किसान संगठनों के संघ संयुक्त किसान मोर्चा (SKM) ने कुछ दिन पहले घोषणा की थी केंद्र के तीन कृषि कानूनों के विरोध में चल रहे प्रदर्शनों के एक साल पूरा होने के मौके पर 29 नवंबर से शुरू हो रहे शीतकालीन सत्र के दौरान रोजाना संसद तक 500 किसान शांतिपूर्ण ट्रैक्टर मार्च में भाग लेंगे।
'केंद्र सरकार के ताजा बयानों का संज्ञान लिया गया'
बता दें कि केंद्र की ओर से कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा था कि भारत सरकार ने किसानों की मांगें मान ली हैं और न्यूनतम समर्थन मूल्य पर समिति बना दी गई है, ऐसे में उन्हें अपना आंदोलन खत्म कर देना चाहिए। किसान नेता राजीव ने कहा कि शनिवार की बैठक में किसान नेताओं ने केंद्र सरकार के ताजा बयानों का संज्ञान लिया और 29 दिसंबर को होने वाले ट्रैक्टर मार्च को स्थगित करने का फैसला किया। किसान नेताओं ने यह भी कहा कि सरकार हमसे आमने-सामने बैठकर बात करे।
'हमें सरकार के जवाब का इंतजार है'
एसकेएम नेता दर्शन पाल ने कहा, ‘हम सोमवार को प्रस्तावित संसद मार्च को स्थगित कर रहे हैं। हमने किसानों के खिलाफ मामले वापस लेने, (आंदोलन के दौरान) जान गंवाने वाले किसानों का स्मारक बनाने के लिए भूमि आवंटन, लखीमपुर खीरी हिंसा मामले को लेकर अजय मिश्रा ‘टेनी’ को केंद्रीय मंत्रिमंडल से निलंबित करने समेत अन्य मुद्दों को लेकर प्रधानमंत्री को पत्र लिखा था।’ दर्शन पाल ने कहा कि जवाब का इंतजार है। एसकेएम ने यह भी मांग की है कि सरकार को उनके साथ सम्मानजनक तरीके से बातचीत शुरू करनी चाहिए।
'किसानों पर दर्ज हुए मुकदमे वापस लिए जाएं'
किसान नेताओं ने केंद्र सरकार से यह भी मांग की कि प्रधानमंत्री नरेंद मोदी और गृह मंत्री अमित शाह बीजेपी शासित राज्यों और रेलवे को निर्देश दें कि किसानों पर हुए मुकदमे वापस लिए जाएं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कुछ दिनों पहले घोषणा की थी कि केंद्र सरकार तीनों कृषि कानूनों को वापस लेगी और इस तरह सरकार ने किसानों की मांग को मान लिया। संयुक्त किसान मोर्चा ने प्रधानमंत्री के फैसले का स्वागत किया लेकिन कहा कि वे इस घोषणा के संसदीय प्रक्रियाओं के माध्यम से प्रभाव में आने तक की प्रतीक्षा करेंगे।
'सरकार संसद में एमएसपी पर आश्वासन दे'
किसान नेताओं ने अपनी प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि वे सरकार की अब तक की घोषणाओं से सहमत नहीं हैं और उनकी लड़ाई लंबी चलेगी। उन्होंने मांग की कि सरकार किसानों से बातचीत शुरू करे और संसद में एमएसपी का आश्वासन दे। किसान नेताओं ने कहा कि सरकार 4 दिसंबर तक उनकी चिट्ठी का जवाब दे, और यदि ऐसा नहीं हुआ तो वे आगे का निर्णय लेंगे। साथ ही किसान नेताओं ने केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय मिश्रा उर्फ टेनी को मंत्रिमंडल से बर्खास्त करने की मांग की है।