नई दिल्ली। विज्ञान भवन की कई बैठकों में सरकारी लंच ठुकरा कर लंगर का खाना खाने वाले किसान नेताओं का बुधवार को मोदी सरकार के मंत्रियों ने भी साथ दिया। कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर, रेल मंत्री पीयूष गोयल और केंद्रीय राज्यमंत्री सोम प्रकाश ने विज्ञान भवन के अंदर लाइन में लगकर आम किसान नेताओं की तरह लंगर का खाना खाया। इस दौरान एक किसान नेता ने सेल्फी भी ली। लंगर की व्यवस्था दिल्ली गुरुद्वारा प्रबंधन कमेटी ने की थी। कृषि कानूनों को लेकर किसान संगठनों के साथ सरकार की बैठक जारी है।
चर्चा के दौरान, सरकार ने किसान नेताओं से कहा कि तीन कृषि कानूनों के बारे में किसानों की मांगों पर विचार करने के लिए एक समिति बनाई जा सकती है।
सरकार का कृषि कानूनों को वापस लेने का इरादा नहीं- सूत्रसूत्रों के मुताबिक, बैठक में फिर सरकार के मंत्रियों की तरफ से किसानों को साफ कहा गया है कि तीनों कृषि कानूनों को वापस लेने का कोई इरादा नहीं है। सरकार ने ये भी साफ किया है कि जब तक आप लोग आंदोलन वापस करने का फैसला नहीं करते तब तक सरकार किसी भी सुधार को लेकर आश्वासन नहीं दे सकती। एमएसपी को लेकर किसानों की मांग पर विचार तभी संभव है, जब आंदोलन खत्म करने पर किसान फैसला लें।
प्रदर्शन में मारे गए किसानों के लिए मुआवजे की मांग
कृषि कानूनों को लेकर बैठक में किसान नेताओं ने प्रदर्शन के दौरान मारे गए किसानों के परिवारों के लिए मुआवजे की मांग की।
एक किसान नेता ने गोयल के साथ ली सेल्फी
दरअसल, विज्ञान भवन में दोपहर करीब ढाई बजे से शुरू हुई छठे दौर की बैठक के बीच जब लंच ब्रेक हुआ तो मोदी सरकार के तीनों मंत्रियों ने सकारात्मक संदेश देने के लिए किसान नेताओं से कहा, "आज हम भी लंगर का खाना आपके साथ चखेंगे।" इस पर किसान नेताओं ने कहा, "इससे अच्छी बात क्या हो सकती है कि सरकार और किसान आज साथ-साथ खाना खाएं?" फिर तीनों मंत्रियों- तोमर, गोयल और प्रकाश ने कतार में लगकर लंगर का स्वाद लिया। इस दौरान एक किसान नेता ने गोयल के साथ सेल्फी भी ली।
जानिए लंच ब्रेक तक क्या बैठक में क्या हुआ
बता दें कि, केंद्र सरकार द्वारा सितंबर 2020 में पास किए गए तीन कृषि कानूनों के खिलाफ एक माह से दिल्ली की सीमाओं पर डटे किसान पीछे हटने का नाम नहीं ले रहे हैं। सूत्रों के मुताबिक, लंच ब्रेक तक किसानों और सरकार के बीच दो बिंदुओं पर बात हुई है। पहली कानून रद्द करने और दूसरी एमएसपी पर कानून बनाने की बात हुई है। बैठक में किसान नेताओं ने अपनी मांग को फिर से दोहराया है। सरकार के साथ सातवें दौर की बैठक के लिए 41 किसान संगठन पहुंचे हैं, पिछली बैठक 5 दिसंबर को हुई थी। प्रदर्शनकारी किसान संगठनों ने कहा कि चर्चा केवल तीन कृषि कानूनों को निरस्त करने के तौर-तरीकों एवं न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की कानूनी गारंटी देने पर ही होगी।