नयी दिल्ली: तीन कृषि कानूनों के खिलाफ दिल्ली की विभिन्न सीमाओं पर चल रहे किसानों के आंदोलन के बीच केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने बीजेपी मुख्यालय में केंद्रीय मंत्रियों नरेन्द्र सिंह तोमर, पीयूष गोयल, निर्मला सीतारमण सहित पार्टी के अन्य वरिष्ठ नेताओं के साथ बैठक की। बैठक में पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव सी टी रवि, दुष्यंत गौतम, अरूण सिंह सहित अन्य पदाधिकारी भी मौजूद थे। यह बैठक ऐसे दिन हुई है जब सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली की सीमाओं पर लंबे समय से किसानों के आन्दोलन की वजह से आवागमन में हो रही दिक्कतों को लेकर दायर याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए कहा कि किसानों को अहिंसक तरीके से विरोध प्रदर्शन करने का अधिकार है।
इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने इन विवादास्पद कृषि कानूनों के संबंध में कृषि विशेषज्ञों, किसान यूनियनों के प्रतिनिधियों की एक निष्पक्ष तथा स्वतंत्र कमेटी बनाई। इस कमेटी में किसानों के विशेषज्ञ पी साईनाथ शामिल होंगे। इस बीच संयुक्त किसान मोर्चे के नेतृत्व में और अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति के आह्वान पर राजस्थान, हरियाणा, गुजरात से पहुंचे हजारों किसान शाहजहांपुर बॉर्डर पर आंदोलन कर रहे हैं।
पिछले पांच दिनों से किसान जयपुर-दिल्ली हाइवे की शाहजहांपुर सीमा पर बैठे हुए हैं। किसान दिल्ली की ओर कूच करना चाहते हैं, लेकिन हरियाणा पुलिस ने भारी बैरिकेडिंग कर किसानों को सीमा पर ही रोका हुआ है, जिसके कारण जयपुर-दिल्ली हाइवे पांच दिन से जाम है।
वहीं केन्द्रीय मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने कहा है कि प्रदर्शन कर रहे किसानों के साथ बैठ कर बातचीत करने और मुद्दों का समाधान करने के लिए सरकार इच्छुक है। एचडीसीसीआई के एक ऑनलाइन कार्यक्रम में पुरी ने कहा, ‘‘मुझे इस बात से दुख हो रहा है कि प्रदर्शन कर रहे कई लोगों को पता ही नहीं है कि वे किस चीज का विरोध कर रहे हैं। सरकार अभी भी सभी किसानों को संदेश भेज रही है कि कृपया आएं और बात करें।’’
उन्होंने कहा कि (किसानों की) तीन मांगें हैं--एमएसपी (न्यूनतम समर्थन मूल्य) समाप्त नहीं किया जाए, मंडिया बरकरार रहें और कोई भी गुप्त तरीके से किसानों की जमीन पर कब्जा ना कर सके-- ये सभी स्वीकार कर ली गई हैं। पुरी ने कहा, ‘‘एक बहुत बड़ी गलतफहमी हुई है। हम किसी के भी साथ बैठ कर बात करने और समाधान निकालने को इच्छुक हैं।’’
बता दें किे किसानों की मांगों के सिलसिले में सरकार ओर कसान नेताओं के बीच अब तक कई दौर की वार्ता हो चुकी है लेकिन कोई नतीजा नहीं निकल सका है। किसान संगठन तीन कृषि कानूनों को रद्द करने की मांग पर अड़े हुए हैं। पंजाब, हरियाणा और अन्य राज्यों के हजारों की संख्या में किसान सिंघू और टिकरी बॉर्डर सहित दिल्ली से लगी अन्य सीमाओं पर पिछले एक पखवाड़े से भी ज्यादा समय से प्रदर्शन कर रहे हैं।