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Kisan Andolan: किसान ज़िद पर अड़े, 5 घंटे की मीटिंग में हुई सिर्फ 30 मिनट बात

किसानों और सरकार के बीच आज 11वें राउंड की बातचीत खत्म हो चुकी है। आज 11वें राउंड की बातचीत भी बेनतीजा रही है। मीटिंग से बाहर निकल कर किसानों ने कहा कि आज बैठक में सिर्फ 30 मिनट की ही बातचीत हुई।

Edited by: IndiaTV Hindi Desk
Published : January 22, 2021 17:59 IST
Farmers protest: No breakthrough as govt offers to stay laws but farmers want repeal
Image Source : PTI किसानों और सरकार के बीच आज 11वें राउंड की बातचीत खत्म हो चुकी है। आज 11वें राउंड की बातचीत भी बेनतीजा रही है।

नई दिल्ली: किसानों और सरकार के बीच आज 11वें राउंड की बातचीत खत्म हो चुकी है। आज 11वें राउंड की बातचीत भी बेनतीजा रही है। मीटिंग से बाहर निकल कर किसानों ने कहा कि आज बैठक में सिर्फ 30 मिनट की ही बातचीत हुई। वहीं कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा कि सरकार ने किसानों को सबसे बेहतर प्रस्ताव दिया है, अब किसानों को विचार करके बताना है। आज की बातचीत की सबसे अहम बात ये रही कि अगली बैठक कब होगी इसकी तारीख नहीं बतायी गई है। किसान नेताओं ने ये जरूर संकेत दिये कि अब बातचीत एक-डेढ़ महीने बाद होगी।

आज हुई जीरो बातचीत

किसान नेताओं ने कहा कि आज जीरो बातचीत हुई। वहीं 26 जनवरी की ट्रैक्टर रैली को लेकर किसानों का कहना है कि ट्रैक्टर रैली होकर रहेगी लेकिन सरकार के आज के रवैये से साफ है कि अब किसानों की जिद के आगे सरकार नहीं झुकने वाली। सरकार ने कानून को स्टे करने का प्रस्ताव फिर से रखा, समय भी डेढ़ साल से बढ़ाने का प्रस्ताव दिया लेकिन किसानों ने नामंजूर कर दिया।

सरकार और किसानों के बीच बन गई थी टकराव की स्थिति
सूत्रों के मुताबिक, बैठक के दौरान सरकार और किसानों के बीच टकराव की स्थिति बन गई थी। किसान फिर कृषि मंत्री के सामने तीनों कृषि कानून रद्द करने की मांग पर अड़ गए हैं। मीटिंग में किसानों ने बिल्कुल साफ कह दिया है- जब तक सरकार कृषि कानून वापस नहीं लेगी, तब तक आंदोलन ख़त्म नहीं होने वाला है। हालांकि नरेंद्र सिंह तोमर ने किसानों से अपील की है कि वो सरकार के प्रस्ताव पर दोबारा विचार करें। बता दें कि केंद्र सरकार ने किसानों को डेढ़ साल तक किसान कानून टालने का प्रस्ताव दिया था जिसे किसान पहले से ठुकरा चुके हैं।

इससे पहले गुरुवार को किसान संगठनों ने तीन कृषि कानूनों के क्रियान्वयन को डेढ़ साल तक स्थगित रखने और समाधान का रास्ता निकालने के लिए एक समिति के गठन संबंधी केन्द्र सरकार के प्रस्ताव को खारिज कर दिया। संयुक्त किसान मोर्चा के तत्वावधान में किसान नेताओं ने सरकार के इस प्रस्ताव पर सिंघू बॉर्डर पर एक मैराथन बैठक में यह फैसला लिया। इसी मोर्चा के बैनर तले कृषि कानूनों को निरस्त करने की मांग को लेकर किसान संगठन पिछले लगभग दो महीने से आंदोलन कर रहे हैं।

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