Friday, November 22, 2024
Advertisement
  1. Hindi News
  2. भारत
  3. राष्ट्रीय
  4. ..जब दो टूक बोले कृषि मंत्री- प्रस्ताव देने का मतलब यह नहीं कि कानूनों में खामी है

..जब दो टूक बोले कृषि मंत्री- प्रस्ताव देने का मतलब यह नहीं कि कानूनों में खामी है

विज्ञान भवन में शुक्रवार को हुई 11वें दौर की बैठक में कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने किसान नेताओं पर बातचीत के सिद्धांतों का पालन न करने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि जब किसी मुद्दे पर दो पक्षों में बातचीत चल रही हो, तब नए-नए तरह के आंदोलनों के ऐलान से बचना चाहिए।

Reported by: IANS
Published on: January 23, 2021 7:52 IST
..जब दो टूक बोले कृषि...- India TV Hindi
Image Source : PTI ..जब दो टूक बोले कृषि मंत्री- प्रस्ताव देने का मतलब यह नहीं कि कानूनों में खामी है

नई दिल्ली: विज्ञान भवन में शुक्रवार को हुई 11वें दौर की बैठक में कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने किसान नेताओं पर बातचीत के सिद्धांतों का पालन न करने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि जब किसी मुद्दे पर दो पक्षों में बातचीत चल रही हो, तब नए-नए तरह के आंदोलनों के ऐलान से बचना चाहिए। दबाव बनाने के लिए नए आंदोलनों की घोषणा से बातचीत का माहौल प्रभावित होता है। तोमर ने 11वें दौर की बातचीत के भी असफल रहने पर खेद जताते हुए कहाकि उनका मन आज बहुत भारी है। कृषि तोमर ने कहा कि उन्होंने अब तक का सबसे बढ़िया प्रस्ताव किसान नेताओं को दिया, बावजूद इसके तीनों कानूनों के खात्मे के लिए अड़ जाने की जिद उचित नहीं है।

तोमर ने बैठक में किसान नेताओं से दो टूक कहा, सरकार ने कुछ कदम पीछे जाकर जो प्रस्ताव दिए, तो इसका अर्थ यह नहीं है कि कृषि सुधार कानूनों में कोई खराबी (खामी) थी, फिर भी आंदोलन और किसानों का सम्मान रखने के लिए और उनके प्रति संवेदनशीलता दिखाते हुए ये प्रस्ताव दिए गए। तोमर, रेल मंत्री पीयूष गोयल और वाणिज्य एवं उद्योग राज्य मंत्री सोम प्रकाश की मौजूदगी में शुक्रवार को दोपहर एक बजे से बैठक शुरू हुई। हालांकि यह बैठक लंच तक ही सिमटकर रह गई। लंच के बाद बैठक नहीं हो सकी।

तोमर ने बैठकों के असफल रहने के लिए किसान नेताओं के रवैये को जिम्मेदार ठहराया। उन्होंने कहा कि पिछली बैठक में सरकार ने कृषि कानूनों को एक से डेढ़ साल तक स्थगित करने का ठोस आश्वासन दिया था। अगर किसान नेता चाहते तो इस प्रस्ताव के माध्यम से आंदोलन का समाधान हो जाता। सरकार ने किसान आंदोलन खत्म करने के लिए श्रेष्ठतम प्रस्ताव पिछली बैठक में दिया था।

तोमर ने इस आरोप को गलत बताया कि सरकार किसानों को लेकर संवेदनशील नहीं है। उन्होंने कहा कि यह किसानों की संवेदनशीलता ही है जो पिछले दो महीने से देशभर के किसान संगठनों के साथ निरंतर बातचीत चल रही है। तोमर ने कहा, इस पूरे दौर में आंदोलनकर्ता किसान नेताओं ने वार्ता के मुख्य सिद्धान्त का पालन नहीं किया, क्योंकि हर बार उनके द्वारा नए चरण का आंदोलन घोषित होता रहा जबकि वार्ता के दौरान नए आंदोलन की घोषणा सौहार्दपूर्ण चर्चा को प्रभावित करती है।

कृषि मंत्री ने किसानों को यह भी प्रस्ताव दिया कि अगर वे पिछली बैठक के प्रस्तावों पर आगे सहमति देते हैं तो बात आगे बढ़ सकती है।

Latest India News

India TV पर हिंदी में ब्रेकिंग न्यूज़ Hindi News देश-विदेश की ताजा खबर, लाइव न्यूज अपडेट और स्‍पेशल स्‍टोरी पढ़ें और अपने आप को रखें अप-टू-डेट। National News in Hindi के लिए क्लिक करें भारत सेक्‍शन

Advertisement
Advertisement
Advertisement