Friday, November 22, 2024
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किसान आंदोलन: किसानों के साथ बैठक के बाद कृषि मंत्री तोमर ने जताया दुख, कही ये बड़ी बात

नए कृषि कानूनों को लेकर जारी किसान आंदोलन के बीच सरकार और किसान संगठनों के साथ 11वें दौर की वार्ता के बाद केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा कि किसानों के कंधे का इस्तेमाल राजनीतिक फायदे के लिए किया गया।

Written by: IndiaTV Hindi Desk
Updated on: January 22, 2021 23:31 IST
Narendra Singh Tomar, Agriculture Minister- India TV Hindi
Image Source : FILE PHOTO Narendra Singh Tomar, Agriculture Minister

नई दिल्ली। नए कृषि कानूनों को लेकर जारी किसान आंदोलन के बीच सरकार और किसान संगठनों के साथ 11वें दौर की वार्ता के बाद केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा कि मोदी सरकार किसानों के उद्धार के प्रति प्रतिबद्ध है। कुछ लोगों को हर अच्छे काम का विरोध करने की आदत होती है। किसानों के कंधे का इस्तेमाल राजनीतिक फायदे के लिए किया गया। किसानों के साथ बातचीत बेनतीजा रही इसका दुख है। सरकार ने हमेशा किसानों के सम्मान में बात सोची। किसानों ने हमेशा कानून वापसी की मांग की जबकि हमने कानून में संशोधन की बात रखी। डेढ़ साल तक नए कृषि कानूनों को रोकना बेहतर प्रस्ताव है। 

किसानों को कल तक का वक्त दिया है- तोमर

नरेंद्र सिंह तोमर ने आगे कहा कि सरकार ने किसानों को विचार के लिए कल तक का वक्त दिया है। सरकार के फैसले पर अगर किसान कल कुछ फैसला लेंगे तो कल (23 जनवरी) को बातचीत होगी। कुछ लोग किसानों और सरकार के बीच गलतफहमी फैला रहे हैं। कुछ ताकतें देश में किसानों का भला नहीं चाहती हैं। कुछ ताकतें ऐसी है जो किसान आंदोलन को खत्म नहीं होने देना चाहती हैं। 

कृषि मंत्री की बैठक के बाद बड़ी बातें

  1. किसान यूनियनों के साथ 11वें दौर की वार्ता के बाद केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा कि भारत सरकार PM मोदी जी के नेतृत्व में किसानों और गरीबों के उत्थान के लिए प्रतिबद्ध है और रहेगी। विशेष रूप से पंजाब के किसान और कुछ राज्यों के किसान कृषि क़ानूनों के खिलाफ आंदोलन कर रहे हैं। इस आंदोलन के दौरान लगातार ये कोशिश हुई कि जनता के बीच और किसानों के बीच गलतफहमियां फैलें। इसका फायदा उठाकर कुछ लोग जो हर अच्छे काम का विरोध करने के आदि हो चुके हैं, वे किसानों के कंधे का इस्तेमाल अपने राजनीतिक फायदे के लिए कर सकें। 
  2. भारत सरकार की कोशिश थी कि वो सही रास्ते पर विचार करें जिसके लिए 11 दौर की वार्ता की गई। परन्तु किसान यूनियन क़ानून वापसी पर अड़ी रही। सरकार ने एक के बाद एक प्रस्ताव दिए। परन्तु जब आंदोलन की पवित्रता नष्ट हो जाती है तो निर्णय नहीं होता। वार्ता के दौर में मर्यादाओं का तो पालन हुआ परन्तु किसानों के हक़ में वार्ता का मार्ग प्रशस्त हो, इस भाव का सदा अभाव था इसलिए वार्ता निर्णय तक नहीं पहुंच सकी। इसका मुझे भी खेद है। 
  3. हमने किसान यूनियन को कहा कि जो प्रस्ताव आपको दिया है- 1 से 1.5 वर्ष तक क़ानून को स्थगित करके समिति बनाकर आंदोलन में उठाए गए मुद्दों पर विचार करने का प्रस्ताव बेहतर है, उसपर फिर से विचार करें। 
  4. हमने कहा कि आज वार्ता को पूरा करते हैं आप लोग अगर निर्णय पर पहुंच सकते हैं तो आप लोग कल अपना मत बताइए। निर्णय घोषित करने पर आपकी सूचना पर हम कहीं भी इकट्ठा हो सकते हैं।

सरकार और किसानों के बीच 11वें दौर की वार्ता में भी नहीं निकला कोई नतीजा 

सरकार और आंदोलनकारी किसानों के बीच शुक्रवार को हुई 11वें दौर की वार्ता में भी कोई समाधान नहीं निकल पाया। अगली बैठक के लिए कोई तारीख तय नहीं हुई है। सूत्रों ने बताया कि बैठक में सरकार ने यूनियनों को दिए गए सभी संभावित विकल्पों के बारे में बताया और उनसे कहा कि उन्हें कानूनों को स्थगित करने के प्रस्ताव पर अंदरूनी चर्चा करनी चाहिए। उन्होंने कहा कि बैठक में किसान नेता तीनों नए कृषि कानूनों को पूरी तरह वापस लिए जाने की अपनी मांग पर अड़े रहे। किसान नेताओं ने कहा कि बैठक बेशक लगभग पांच घंटे तक चली, लेकिन दोनों पक्ष 30 मिनट से कम समय तक आमने-सामने बैठे।

कृषि मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर ने यूनियनों से कहा कि यदि किसान तीनों कृषि कानूनों को स्थगित करने के प्रस्ताव पर चर्चा करना चाहते हैं तो सरकार एक और बैठक के लिए तैयार है। तोमर ने सहयोग के लिए यूनियनों को धन्यवाद दिया और कहा कि कानूनों में कोई समस्या नहीं है लेकिन सरकार ने किसानों के सम्मान के लिए इन कानूनों को स्थगित रखे जाने की पेशकश की। 

26 जनवरी को ट्रैक्टर रैली निर्णय के अनुरूप निकाली जाएगी- किसान

बैठक के बाद किसान नेताओं ने कहा कि 26 जनवरी को ट्रैक्टर रैली निर्णय के अनुरूप निकाली जाएगी, हमने इस बारे में पुलिस को सूचित कर दिया है, यह सरकार पर निर्भर है कि रैली शांतिपूर्ण रहे। किसान नेताओं ने कहा कि आज जीरो बातचीत हुई। सरकार द्वारा जो प्रस्ताव दिया गया था वो हमने स्वीकार नहीं किया। कृषि क़ानूनों को वापस लेने की बात को सरकार ने स्वीकार नहीं की। अगली बैठक के लिए अभी कोई तारीख तय नहीं हुई है। किसान नेता राकेश टिकैत ने कहा कि सरकार की तरफ से कहा गया कि 1.5 साल की जगह 2 साल तक कृषि क़ानूनों को स्थगित करके चर्चा की जा सकती है। उन्होंने कहा अगर इस प्रस्ताव पर किसान तैयार हैं तो कल फिर से बात की जा सकती है, कोई अन्य प्रस्ताव सरकार ने नहीं दिया। 

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