Saturday, December 21, 2024
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गाजीपुर बॉर्डर: सर्विस रोड खाली कर रहे हैं किसान, राकेश टिकैत बोले- अब दिल्ली जाएंगे

भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत ने गुरुवार को कहा कि 'हमने कहां रास्ता रोक रखा है, पुलिस ने रास्ता रखा है, हम पूरा रास्ता खोलेंगे, दिल्ली जाएंगे, हमने तो दिल्ली जाना है।'

Reported by: Gonika Arora @AroraGonika
Updated : October 21, 2021 15:59 IST
गाजीपुर बॉर्डर: सर्विस रोड खाली कर रहे हैं किसान, राकेश टिकैत बोले- अब दिल्ली जाएंगे
Image Source : PTI FILE PHOTO गाजीपुर बॉर्डर: सर्विस रोड खाली कर रहे हैं किसान, राकेश टिकैत बोले- अब दिल्ली जाएंगे

नई दिल्ली। दिल्ली-उत्तर प्रदेश के गाजीपुर बार्डर पर किसानों ने बैरिकेडिंग को हटाना शुरू कर दिया है। भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत अपने प्रदर्शनकारी किसान साथियों के साथ गाजीपुर बार्डर पर बैरिकेड हटाते नजर आए। किसानों ने कहा कि अगर पुलिस ने बैरिकेड्स खोल दिए तो हम पूरी सर्विस रोड खाली कर देंगे। गाजीपुर बार्डर पर किसानों के हटने से गाजियाबाद और दिल्ली आने जाने वालों को राहत मिलेगी।  

वहीं भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत ने गुरुवार को कहा कि 'हमने कहां रास्ता रोक रखा है, पुलिस ने रास्ता रखा है, हम पूरा रास्ता खोलेंगे, दिल्ली जाएंगे, हमने तो दिल्ली जाना है।' दरअसल, सुप्रीम कोर्ट की तरफ से बार-बार किसान संगठनों को रोड ब्लॉक करने को लेकर फटकार लगाई जा रही थी। जिसका परिणाम है कि अब सर्विस रोड को खाली किया जा रहा है। 

किसानों को विरोध करने का अधिकार है लेकिन वे अनिश्चितकाल के लिए सड़क अवरुद्ध नहीं कर सकते: सुप्रीम कोर्ट

उच्चतम न्यायालय ने गुरुरवार को कहा कि दिल्ली की सीमाओं पर प्रदर्शन कर रहे किसानों को केंद्र के कृषि कानूनों का विरोध करने का अधिकार है लेकिन वे अनिश्चितकाल के लिए सड़क अवरुद्ध नहीं कर सकते। न्यायमूर्ति एस एस कौल और न्यायमूर्ति एम एम सुंदरेश की पीठ ने कहा कि कानूनी रूप से चुनौती लंबित है फिर भी न्यायालय विरोध के अधिकार के खिलाफ नहीं है लेकिन अंततः कोई समाधान निकालना होगा।

पीठ ने कहा, “किसानों को विरोध प्रदर्शन करने का अधिकार है लेकिन वे अनिश्चितकाल के लिए सड़क अवरुद्ध नहीं कर सकते। आप जिस तरीके से चाहें विरोध कर सकते हैं लेकिन सड़कों को इस तरह अवरुद्ध नहीं कर सकते। लोगों को सड़कों पर जाने का अधिकार है लेकिन वे इसे अवरुद्ध नहीं कर सकते।”

शीर्ष अदालत ने किसान यूनियनों से इस मुद्दे पर तीन सप्ताह के भीतर जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया और मामले को 7 दिसंबर को सुनवाई के लिए सूचीबद्ध कर दिया। न्यायालय नोएडा की निवासी मोनिका अग्रवाल की याचिका पर सुनवाई कर रहा था जिसमें कहा गया है कि किसान आंदोलन के कारण सड़क अवरुद्ध होने से आवाजाही में मुश्किल हो रही है। 

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