नई दिल्ली/ सोनीपत: केंद्र द्वारा लागू तीन कृषि कानूनों के खिलाफ प्रदर्शन करने के लिए दिल्ली जाने पर अड़े हजारों किसान गत 24 घंटे से सिंघू बॉर्डर पर जमे हुए जिसकी वजह से करीब सात किलोमीटर लंबा जाम लग गया है। वहीं, सीमा पर जमे किसान बैठक के बाद आगे की रणनीति तय करेंगे। हरियाणा व दिल्ली पुलिस ने भारी बैरिकेडिंग कर किसानों को दिल्ली में प्रवेश करने से रोक रखा है।
हालांकि,सरकार ने दिल्ली के बुराड़ी स्थित निरंकारी मैदान में प्रदर्शन की इजाजत दे दी है, लेकिन किसान वहां जाने को तैयार नहीं है और बॉर्डर पर जमे हुए है। किसानों के धरने के कारण राष्ट्रीय राजमार्ग संख्या-44 पर से सिंघु राई बीसवां मील चौंक से बॉर्डर तक लगभग सात किलोमीटर लंबा भीषण जाम लगा है। इसकी वजह से पानीपत से आने वाले वाहन जाम में फंसे हैं। जाम के मद्देनजर पुलिस पानीपत की ओर से आने वाले वाहनों को सोनीपत और खेवड़ा की ओर डायवर्ट कर रही है। इसके अलावा पुलिस ने बीसवांमील चौक पर नाका लगाकर वाहनों को बार्डर की ओर जाने से रोक दिया है।
ट्रकों की लगी कतारों की वजह से बीसवां मील चौंक से लेकर सिंघू बॉर्डर तक जाम लग गया है। जाम की वजह से फल-सब्जियों और खाद्यान्न से भरे ट्रक भी जीटी रोड पर ही फंसे हैं। जाम की वजह से दैनिक यात्रियों को भी भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है वे पैदल ही जाने को मजबूर हो रहे हैं। वहीं, सड़क पर ही हुक्का और अन्य साजो सामान के साथ बैठे किसान आगे की रणनीति बना रहे हैं। किसानों ने सुबह 11 प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का पुतला फूंका और सरकार के खिलाफ नारेबाजी की। किसानों ने मांग की है कि सरकार के प्रतिनिधि सिंघू बॉर्डर आकर उनकी बातें सुने और उनकी मांगे पूरी करें।
कृषि मंत्री ने कहा-सरकार किसानों से बात के लिए पूरी तरह तैयार
कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा कि भारत सरकार किसानों की समस्याओं के लिए किसान यूनियन से बात करने के लिए पूरी तरह तैयार है। हमने उनको 3 दिसंबर का आमंत्रण भेजा है और मुझे आशा है कि वो सब लोग आएंगे और इस संवाद के माध्यम से रास्ता ढूढेंगे। उन्होंने कहा -' मैं राजनीतिक दल के लोगों को कहना चाहता हूं कि अगर उनको राजनीति करनी है तो अपने नाम पर राजनीति करें, लेकिन किसानों के नाम पर सियासत नहीं होनी चाहिए।'
आंदोलन में हरियाणा के किसान शामिल नहीं-खट्टर
उधर, हरियाणा के सीएम मनोहरलाल खट्टर ने कहा कि किसान आंदोलन को पंजाब के किसानों ने खड़ा किया है, इस आंदोलन को किसानों की बजाए राजनीतिक दलों और संस्थाओं ने प्रायोजित किया है। हरियाणा के किसानों ने आंदोलन में भागीदारी नहीं की है।
इनपुट-भाषा, एएनआई