Monday, December 23, 2024
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नए कृषि कानूनों को लेकर सरकार से बातचीत खत्म, बैठक में आया किसानों के लिए सिंघु बॉर्डर से खाना

कृषि कानून के खिलाफ किसानों के आंदोलन का आज आठवां दिन है। एक तरफ किसान नेता सरकार के साथ विज्ञान भवन में मीटिंग कर रहे हैं और दूसरी तरफ पूरी दिल्ली में अलग अलग बॉर्डर पर किसानों का घमासान जारी है।

Edited by: IndiaTV Hindi Desk
Updated : December 03, 2020 19:44 IST
Farmers' groups say no to govt food, arrange own lunch at Delhi's Vigyan Bhawan
Image Source : INDIA TV दिल्ली के विज्ञान भवन में किसानों के प्रतिनिधि सरकार के साथ बातचीत कर रहे है।

नई दिल्ली: ​कृषि कानून को लेकर किसानों और सरकार के बीच कृषि भवन में कई घंटो से जारी बातचीत खत्म हो गई है। अभी फिलहाल कोई समहति नही बन पाई है। अब इस मुद्दे पर अगली बातचीत 5 दिसंबर को होगी। कृषि कानून के खिलाफ किसानों के आंदोलन का आज आठवां दिन है। एक तरफ किसान नेता सरकार के साथ विज्ञान भवन में मीटिंग हुई वहीं दूसरी तरफ पूरी दिल्ली में अलग अलग बॉर्डर पर किसानों का घमासान जारी रहा। दिल्ली के विज्ञान भवन में किसानों के प्रतिनिधि सरकार के साथ बातचीत हुई। इस मैराथन बैठक के दौरान लंच ब्रेक भी हुआ। इस दौरान किसान नेताओं ने सरकार की खातिरदारी मंजूर नहीं की। 

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विज्ञान भवन पहुंचे नेता अपना लंच साथ लेकर गए थे। किसान नेताओं ने लंच ब्रेक के दौरान अपना लाया हुआ लंच खाया। एक किसान नेता ने कहा, 'हम सरकार की ओर से दिए जाने वाले भोजन या चाय को स्वीकार नहीं कर रहे हैं। हम अपना खाना खुद लाए हैं।' 1 दिसंबर को भी उन्होंने चाय साथ में नहीं पी थी। इस बार भी मोदी सरकार की चाय का किसान नेताओं ने बहिष्कार किया।

दिल्ली के अलग-अलग बॉर्डर सील हैं और किसान सड़कों पर ही धरना-प्रदर्शन कर रहे हैं। प्रदर्शनकारी किसानों ने कहा कि नए कृषि कानूनों को निरस्त करने के लिए केंद्र सरकार को संसद का विशेष सत्र बुलाना चाहिए और अगर मांगें नहीं मानी गईं तो राष्ट्रीय राजधानी की और सड़कों को बाधित किया जाएगा।

बता दें कि मंगलवार को सरकार और किसान नेताओं के बीच 4 घंटे तक बातचीत हुई थी और बातचीत में ये तय हुआ था कि गुरुवार को किसान अपनी नाराजगी वाले मुद्दों का खाका खींच कर लाएं, आज उन्हीं मुद्दों पर बातचीत हो रही है। सीएम अमरिंदर सिंह और अमित शाह की मुलाकात सुबह साढ़े 10 बजे के बीच हुई जबकि 12 बजे से किसानों के 35 संगठनों के साथ विज्ञान भवन में कृषि मंत्री की मुलाकात हो रही है।

इस बीच बुंदेलखंड किसान यूनियन ने बृहस्पतिवार को कहा कि अगर सरकार संसद का विशेष सत्र बुलाकर तीनों विवादित कृषि कानूनों को वापस नहीं लेगी तो मौजूदा आंदोलन को और तेज किया जाएगा। बुंदेलखंड किसान यूनियन के राष्ट्रीय अध्यक्ष विमल कुमार शर्मा ने कहा, ‘‘केंद्र सरकार द्वारा पारित तीनों नए कृषि कानून किसान विरोधी हैं। इनसे किसानों का भला नहीं होगा, बल्कि उन्हें आत्महत्या के लिए मजबूर होना पड़ेगा।’’

उन्होंने मांग की कि सरकार संसद का विशेष सत्र तत्काल बुलाकर तीनों विवादित कृषि कानून वापस ले और एक 'कृषि आयोग' का गठन करे, जिसमें सिर्फ कृषि वैज्ञानिक और किसान शामिल हों। शर्मा ने बताया कि "आज देर शाम बांदा शहर के जीआईसी मैदान से बुंदेलखंड़ के करीब पांच सौ किसान निजी वाहनों से दिल्ली कूच कर रहे हैं। यदि केंद्र सरकार ने इन विवादित कानूनों को वापस लेने की घोषणा नहीं कि तो आंदोलन को और तेज किया जाएगा।’’

उन्होंने आरोप लगाया कि बांदा का जिला प्रशासन प्रयास कर रहा है कि किसानों का जत्था दिल्ली नहीं पहुंचे और किसानों में फूट डालने का भी प्रयास कर रहा है। उन्होंने आरोप लगाया कि इस संबंध में जिला प्रशासन बुधवार रात से ही फोन कर ‘डराने-धमकाने’ की कोशिश कर रहा है।

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