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कृषि मंत्री से मिला 60 किसानों का प्रतिनिधिमंडल, कृषि कानूनों को दिया समर्थन

कृषि कानूनों के समर्थन में बागपत के किसान मजदूर संघ के 60 किसानों के एक प्रतिनिधिमंडल ने केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर से दिल्ली स्थित कृषि भवन में मुलाकात की।

Written by: IndiaTV Hindi Desk
Updated on: December 24, 2020 23:26 IST
कृषि मंत्री से मिला 60 किसानों का प्रतिनिधिमंडल, कृषि कानूनों को दिया समर्थन- India TV Hindi
Image Source : ANI कृषि मंत्री से मिला 60 किसानों का प्रतिनिधिमंडल, कृषि कानूनों को दिया समर्थन

नई दिल्ली: कृषि कानूनों के समर्थन में बागपत के किसान मजदूर संघ के 60 किसानों के एक प्रतिनिधिमंडल ने केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर से दिल्ली स्थित कृषि भवन में मुलाकात की। समर्थन में मुलाकात करने आए किसानों ने केंद्रीय कृषि मंत्री को एक पत्र सौंपा, जिसमें उन्होंने कृषि कानूनों के लिए पत्र के जरिए लिखित समर्थन दिया है।

कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने इसकी जानकारी दी। उन्होंने कहा, "किसान मजदूर संग, बागपत के प्रतिनिधि कृषि भवन में आए। हमने उनका स्वागत किया। ये सभी किसान कृषि सुधार कानूनों का समर्थन करना चाहते हैं। इन्होंने मुझे समर्थन पत्र भी दिया। उन्होंने कहा कि कृषि सुधार कानूनों में संशोधन के लिए सरकार को दबाव में आने की जरूरत नहीं है।

गौरतलब है कि इससे पहले 22 दिसंबर को केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र​ सिंह तोमर की किसान संघर्ष समिति और भारतीय किसान यूनियन के नेताओं के साथ भी कृषि भवन में बैठक हुई थी। बैठक के बाद केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र​ सिंह तोमर ने बताया था कि कुछ किसान यूनियन के पदाधिकारी उनसे मिले और कृषि बिलों में किसी भी प्रकार का परिवर्तन नहीं करने की पैरवी की।

केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र​ सिंह तोमर ने कहा था, "अनेक किसान यूनियन के पदाधिकारी आए और उनकी ये चिंता है कि सरकार बिलों में कोई संशोधन करने जा रही है। उन्होंने कहा है कि ये बिल किसानों की दृष्टि से बहुत कारगर हैं, किसानों के लिए फायदे में हैं और बिल में किसी भी प्रकार का परिवर्तन नहीं किया जाना चाहिए।"

बता दें कि केंद्र सरकार द्वारा सितंबर माह में लागू किए गए कृषि कानूनों का बड़ी संख्या में किसान विरोध कर रहे हैं। पंजाब और हरियाणा के किसान संगठनों का कहना है कि केंद्र द्वारा हाल ही में लागू किए गये कानूनों से न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) व्यवस्था ध्वस्त हो जाएगी।

उनकी दलील है कि कालांतर में बड़े कॉरपोरेट घराने अपनी मर्जी चलायेंगे और किसानों को उनकी उपज का कम दाम मिलेगा। किसानों को डर है कि नए कानूनों के कारण मंडी प्रणाली के एक प्रकार से खत्म हो जाने के बाद उन्हें अपनी फसलों का समुचित दाम नहीं मिलेगा और उन्हें रिण उपलब्ध कराने में मददगार कमीशन एजेंट ‘‘आढ़ती’’ भी इस धंधे से बाहर हो जायेंगे।

किसानों की अहम मांग इन तीनों कानूनों को वापस लेने की है, जिनके बारे में उनका दावा है कि ये कानून उनकी फसलों की बिक्री को विनियमन से दूर करते हैं। ये किसान प्रस्तावित बिजली (संशोधन) विधेयक 2020 को भी वापस लेने पर जोर दे रहे हैं। उन्हें आशंका है कि इस विधेयक के कानून का रूप लेने के बाद उन्हें बिजली में मिलने वाली सब्सिडी खत्म हो जाएगी। 

जिन कानूनों को लेकर किसान विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं वे कृषक उपज व्‍यापार और वाणिज्‍य (संवर्धन और सरलीकरण) अधिनियम- 2020, कृषक (सशक्‍तिकरण व संरक्षण) कीमत आश्‍वासन और कृषि सेवा पर करार अधिनियम- 2020 और आवश्यक वस्तु (संशोधन) अधिनियम- 2020 हैं।

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