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किसान आंदोलन: मध्यप्रदेश में रही शांति, लेकिन मंडियों में पसरा सन्नाटा

अपनी उपजों के वाजिब दाम, कर्ज माफी एवं अन्य मांगों को लेकर किसानों के 10 दिवसीय देशव्यापी ‘गांव बंद आंदोलन’ के दूसरे दिन आज मध्यप्रदेश में शांति बनी रही, लेकिन कृषि उपज मंडियों में इसने अपना असर दिखाना शुरू कर दिया है। 

Edited by: IndiaTV Hindi Desk
Published : June 02, 2018 22:24 IST
Farmers
Farmers

भोपाल/मंदसौर: अपनी उपजों के वाजिब दाम, कर्ज माफी एवं अन्य मांगों को लेकर किसानों के 10 दिवसीय देशव्यापी ‘गांव बंद आंदोलन’ के दूसरे दिन आज मध्यप्रदेश में शांति बनी रही, लेकिन कृषि उपज मंडियों में इसने अपना असर दिखाना शुरू कर दिया है। आधिकारिक जानकारी के अनुसार प्रदेश की सबसे बड़ी कृषि उपज मंडी मानी जाने वाली मंदसौर कृषि उपज मंडी एवं अन्य मंडियों में आज सन्नाटा पसरा रहा। इन सरकारी मंडियों में किसान अपनी उपजों को बेचने के लिए आते हैं। 

कृषि उपज मंडी मंदसौर के इंस्पेक्टर समीर दास ने बताया, ‘‘मंदसौर की कृषि उपज मंडी में कल की तरह आज भी सन्नाटा पसरा रहा। इस मंडी में प्रतिदिन करीब 40,000 से 60,000 बोरी विभिन्न कृषि उपज विक्रय के लिये प्रदेश के अनेक जिलों के साथ ही पड़ोसी राजस्थान के जिलों से आती थी। लेकिन आज मंडी में मात्र 800 बोरी के आसपास माल की आवक रही, जिसमें गेहूं, लहसुन, सोयाबीन, मेथी और प्याज शामिल थे।’’ 

उन्होंने कहा कि आज इस मंडी में केवल 25 से 30 किसान ही अपने उपज को बेचने आये, जबकि अमूमन इस मंडी में 3,000 से 4,000 के बीच किसान प्रतिदिन अपनी उपज को बेचने आया करते हैं।पिछले साल भी किसानों ने एक जून से 10 जून तक आंदोलन किया था और इसका मुख्य केन्द्र मंदसौर रहा था। छह जून को मंदसौर की पिपलिया मंडी में पुलिस फायरिंग में छह किसानों की मौत हुई थी, जिसके बाद समूचे राज्य में हिंसा, लूट, आगजनी एवं तोड़फोड़ हुई थी। 

इसी बीच, राष्ट्रीय किसान महासंघ के संयोजक शिवकुमार शर्मा ने ‘भाषा’ को बताया, ‘‘हमने देश के 22 राज्यों में देशव्यापी ‘गांव बंद आंदोलन’ कल से शुरू किया है। इसने मध्यप्रदेश सहित देश के नौ राज्यों में आज से असर दिखाना शुरू कर दिया है।’’ शर्मा जनता के बीच ‘कक्काजी’ के नाम से मशहूर हैं। 

कक्काजी ने कहा, ‘‘हमने किसानों से अपील की है कि वे 10 जून तक चलने वाले "ग्राम बंद" के दौरान गांवों से शहरों को फल-सब्जियों और दूध की आपूर्ति रोक दें और अपने ही गांव की चौपाल पर ही इन उत्पादों की शहरी लोगों को बेचें। इसके अलावा, आंदोलन के दौरान शहरों से कोई खरीददारी न करें।’’ 

उन्होंने कहा कि हमार आंदोलन पूरी तरह अहिंसक एवं शांतिपूर्ण है, लेकिन मध्यप्रदेश सरकार किसानों को अपने उपज को बेचने के लिए बाध्य किया जा रहा है। कक्काजी ने आरोप लगाया कि राज्य सरकार किसानों के आंदोलन को हिंसक बनाना चाहती है। उन्होंने कहा, ‘‘जब तक हमारी मांगे पूरी नहीं होंगी, हमारी जंग जारी रहेगी।’’ उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय किसान महासंघ देश के 130 किसान संगठनों का समूह है और इस महासंघ का मुख्यालय भोपाल से देश भर के आंदोलन पर नियंत्रण रखा जाएगा। इसी बीच, मंदसौर कलेक्टर ओ पी श्रीवास्तव ने बताया कि जिले में कहीं कोई परेशानी नहीं है। 

श्रीवास्तव ने आज पिपलिया मंडी और कनगेटी जाकर पिपलिया मंडी में 6 जून को कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी की होने वाली सभा के स्थल का मुआयना किया और उनके दौरे के लिए पार्किंग तथा हैलीपेड के स्थल को देखा, ताकि उनके दौरे के लिए उचित बंदोबस्त हो सके।मंदसौर पुलिस अधीक्षक मनोज कुमार सिंह ने बताया कि विशेष सशस्त्र बल (एसएएफ) की पांच कंपनियां मंदसौर जिले में कड़ी निगरानी रख रही हैं।वहीं, आधिकारिक जानकारी के अनुसार किसान आंदोलन के मद्देनजर पुलिस ने सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किये हैं। 

मध्यप्रदेश के अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक (इंटेलीजेंस) राजीव टंडन ने बताया कि किसान आंदोलन के दूसरे दिन भी प्रदेश में कहीं से भी कोई अप्रिय घटना की रिपोर्ट नहीं आई है। समूचे राज्य में शांति बनी हुई है। हालांकि, एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने बताया कि इस आंदोलन का असर दिखने लगा है। कम किसान मंडी में अपनी उपज को बेचने के लिए आ रहे हैं। 

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