मुंबई: महाराष्ट्र की राजनीति के लिए आज बड़ा दिन है। प्रदेशभर के करीब 35 हजार किसान आज राज्य विधानसभा का घेराव करेंगे। अखिल भारतीय किसान सभा (एआईकेएस) की अगुवाई में विरोध मार्च कर रहे ये किसान छह दिन में 180 किलोमीटर की यात्रा करके नासिक से मुंबई पहुंचे हैं। बताया जा रहा है जब ये मार्च शुरू हुआ था तब इनकी संख्या 12 हजार थी जो अब बढ़कर 30 हजार के पार पहुंच गई है। किसानों के इस मार्च ने राज्य समेत पूरे देश का ध्यान अपनी ओर खींचा है। पूरे देश की नजर इस मार्च पर है। इतनी बढ़ी संख्या में होने के बावजूद किसान शांति और व्यवस्था बनाए रखने में पूरा सहयोग कर रहे हैं। महाराष्ट्र में कर्ज के चलते किसान बड़ी संख्या में आत्महत्या कर चुके हैं। इस मोर्चे में ऐसे ही खुदकुशी करने वाले किसानों के 25 छोटे बच्चे भी शामिल हैं।
क्या हैं प्रमुख मांगें...
- इन किसानों की मांगों में क़र्ज़मुक्ति, फसलों का उचित भाव, स्वामीनाथन आयोग की सिफ़ारिशों को लागू करने और पेंशन के मुद्दे शामिल हैं।
- जो किसान फसल बर्बाद होने के चलते बिजली बिल नहीं चुका पाते हैं इसलिए उन्हें बिजली बिल में छूट दी जाए।
- एमएसपी को ठीक से लागू किया जाए।
समर्थन में सभी प्रमुख पार्टियां
किसानों के इस आंदोलन ने राज्य की सभी राजनीतिक पार्टियों को हिला दिया है। हालांकि ये आंदोलन कम्युनिस्ट झंडों के नीचे हो रहा है लेकिन इस मार्च के समर्थन में एक एक करके सारी पार्टियां आ गईं हैं। महाराष्ट्र कांग्रेस ने किसानों को समर्थन देते हुए कहा है कि सरकार के खिलाफ किसानों के इस संघर्ष में कांग्रेस पार्टी उनके साथ है। मुख्यमंत्री को किसानों से बात करनी चाहिए और उनकी मांगों को स्वीकार करना चाहिए.'' राज ठाकरे भी किसानों के समर्थन में अपना बयान जारी कर चुके हैं।
वहीं शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे ने कहा है कि जब किसानों को जरूरत होगी वो हाजिर हो जाएंगे। वहीं सरकार की तरफ से राज्य सरकार के मंत्री गिरीश महाजन ने कहा है कि मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस किसानों के साथ हैं। किसानों की 90 फीसदी मांगें पूरी की जाएंगी। कल विधि मंडल में सभी मुद्दों को उठाया जाएगा। सरकार किसानों के साथ है। खुद सीएम देवेंद्र फडणवीस किसानों से मिलने की इच्छा जता चुके हैं।