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सामने आया चीन का झूठ, छुपा रहा है डोकलाम पर तथ्यों को

'तिब्बत की सरकार ने 1890 के समझौते को स्वीकार करने से इसलिए इनकार कर दिया था क्योंकि उसके साथ इस जानकारी को साझा नहीं किया गया था कि वो इसका हिस्सा नहीं हैं। संधि के कुछ साल पहले ब्रिटिश और अंग्रजे सैनिकों के बीच संघर्ष हुआ था और एक कारण यह भी हो सकत

Edited by: Sailesh Chandra @chandra_sailesh
Published on: July 08, 2017 12:46 IST
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नई दिल्ली: भारत-चीन के बीच जिस डोकलाम को लेकर घमासान मचा है उसे लेकर एक चौंकाने वाली बात सामने आई है। बताया जा रहा है कि चीन इस मुद्दे से जुड़े तथ्यों को छुपा रहा है। दरअसल जिस 1890 की 'सिक्किम-तिब्बत संधि' के दस्तावेज दिखाकर चीन डोकलाम पर दावा कर रहा है, उसपर तिब्बत की सरकार ने हस्ताक्षर नहीं किए थे। इस इलाके पर भूटान का भी दावा है। अंग्रेजी अखबार टीओआई के अनुसार 1890 की संधि को किनारे कर दें तो, चीन 1960 तक भूटान-तिब्बत और सिक्किम-तिब्बत सीमाओं को लेकर किसी भी तरह की संधि पर सहमत नहीं था। विश्लेषक मानते हैं कि डोकलाम पर दावा करते वक्त चीन ने ऐसे किसी दस्तावेज का जिक्र नहीं किया जिसमें 1980 का जिक्र हो। ये भी पढ़ें: भारत और चीन में बढ़ी तल्खियां, जानिए किसके पास है कितनी ताकत

तिब्बत मामलों के जानकार और इतिहासकार क्लॉड आर्पी बताते हैं, 'तिब्बत की सरकार ने 1890 के समझौते को स्वीकार करने से इसलिए इनकार कर दिया था क्योंकि उसके साथ इस जानकारी को साझा नहीं किया गया था कि वो इसका हिस्सा नहीं हैं। संधि के कुछ साल पहले ब्रिटिश और अंग्रजे सैनिकों के बीच संघर्ष हुआ था और एक कारण यह भी हो सकता है कि तिब्बत की सरकार ने इस समझौते को मान्यता नहीं दी।'

चीन यह मानकर चल रहा था कि संधि के लिए तिब्बत की स्वीकृति जरूरी नहीं है, क्योंकि इस संधि पर हस्ताक्षर करने के लिए ब्रिटिश अधिकारियों के साथ केंद्र सरकार ने अपना राजदूत भेज दिया था। लेकिन यह सच नहीं है क्योंकि चीन सरकार का तिब्बत पर कोई नियंत्रण नहीं था और 1890 में एक एक स्थायी प्रतिनिधित्व था। यहां तक कि ब्रिटिश सरकरा ने 1904 में उस पर इसलिए हमला कर दिया था क्योंकि तिब्बती सरकार ने संधि को स्वीकार करने से मना कर दिया था। चीन इस तथ्य पर चुप है कि 1960 तक विवादित क्षेत्र का कोई हल नहीं निकल पाया था और लगातार पेइचिंग तथा भूटान के बीच झगड़े का कारण बना हुआ है।

आर्पी कहते हैं, '1960 में अधिकारी स्तर की वार्ता में चीन ने भूटान-तिब्बत सीमा और सिक्किम-तिब्बत सीमा पर बात करने से साफ मना कर दिया था।' आपको बता दें कि चीनी विदेश मंत्रालय ने भारत के पूर्व प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू के एक पत्र के कुछ अंश यह दिखाने के लिए प्रस्तुत किए थे कि भारत सरकार ने 1890 की संधि को स्वीकार किया था जो डोकलाम के क्षेत्र को भी कवर करती है। लेकिन चीन ने बड़ी चालाकी से यह तथ्य छुपा दिया कि नेहरू के समय भारत, भूटान तथा चीन के बीच सिक्किम-तिब्बत-भूटान तिराहे को लेकर कोई हल नहीं निकला था।

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