नई दिल्ली: जब से सरहद पर चीनी फौज ने हमारे जवानों पर कायरतापूर्ण हमला किया है तबसे चीन के साथ इस टकराव को लेकर कई झूठ फैलाए गए। वहीं कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने कहा कि जिस वक्त चीनी फौज ने हमारे सैनिकों पर धोखे से हमला किया उस वक्त हमारे सैनिक निहत्थे थे। वहीं एक खबर ये उड़ी कि बहुत से जवान लापता हैं। इसके बाद कुछ कांटे लगी तस्वीरें दिखाई जाने लगीं। दावा किया गया कि इनका इस्तेमाल चीन के सैनिकों ने भारतीय सैनिकों पर हमले के लिए किया। राहुल गांधी ने भी कहा कि चीन ने हमारी जमीन पर कब्जा कर लिया। उन्होंने पूछा कि हमारे जवानों को शहीद होने के लिए बिना हथियारों के किसने भेजा?
चूंकि हमारे बीस सैनिक शहीद हुए हैं जिसे लेकर देशभर में चीन के खिलाफ गुस्सा है। इसलिए राहुल गांधी की ये बात तेजी से फैली और इसने आग में घी का काम किया। सोचने वाली बात है कि गलवान वैली सेंसटिव इलाका है। आम इलाकों में भी क्या कोई सैनिक बिना हथियारों के पेट्रोलिंग करता है? लेकिन राहुल गांधी ने सरकार से पूछ लिया। अच्छी बात ये हुई कि सरकार ने इस झूठ को ज्यादा देर टिकने नहीं दिया। सीधे विदेश मंत्री एस जयशंकर ने जबाव दिया। एस जयशंकर ने ट्वीट में लिखा 'कुछ बातें साफ होनी चाहिए... बॉर्डर पर सेना के जवान हमेशा हथियार लेकर चलते हैं...15 जून को गलवान वैली में भी जब चीनी सैनिकों के साथ फेसऑफ हुआ उस वक्त हमारे जवान निहत्थे नहीं थे..जवान हथियार लेकर गए थे... लेकिन हमारे जवान अनुशासित हैं..हमारी आर्मी प्रोफेशनल है....हिन्दुस्तानी फौज ने चीन के साथ 1996 और 2005 के समझौते का पालन किया....इन समझौतों के बाद प्रैक्टिस है कि फेसऑफ के वक्त भी हथियारों का इस्तेमाल नहीं किया जाएगा।'
सलिए ये कहना कि हमारे सैनिक निहत्थे थे। बिना हथियारों के जवानों को किसने शहीद होने सरहद पर भेज दिया? ये सब कहना ठीक नहीं हैं। एस जयशंकर ने तो तथ्यात्मक जबाव दिया लेकिन राहुल गांधी ने सियासी बात कही थी...झूठ के आधार पर सरकार पर हमला किया था। इसलिए संबित पात्रा ने भी जबाव देने में देर नहीं की। संबित पात्रा ने राहुल गांधी को नवंबर 1996 में एक एग्रीमेंट पढ़कर सुनाया।
राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार बोर्ड के मेंबर और रिटायर्ड लेफ्टिनेंट जनरल एस एल नरसिम्हन ने और बड़ी बात कही है। नरसिम्हन ने कहा कि ये सही है कि LAC पर हथियार के इस्तेमाल की मनाही है लेकिन ये गलत है कि सैनिकों के पास हथियार नहीं थे, फौजी निहत्थे थे। नरसिम्हन ने कहा कि अगर हमारे सैनिक बिल्कुल खाली हाथ थे तो चीन के 43 फौजी कैसे मारे गए?
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