नई दिल्ली: इंडिया टीवी पर रजत शर्मा के शो 'आज की बात' में दिखाए गए वीडियोज के आधार पर स्वत: संज्ञान लेते हुए सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली सरकार, केन्द्र सरकार और दूसरी तमाम एजेंसियों को जबाव देने को कहा है। शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान अदालत ने बार-बार कहा कि 10 जून को रात नौ बजे इंडिया टीवी पर 'आज की बात' में सरकारी हॉस्पिटल (LNJP) के अंदर की जो हालत दिखाई गई, उसे देखने के बाद तो किसी का भी सरकारी सिस्टम से भरोसा उठ जाएगा।
अदालत ने कहा कि ये देख कर दुख होता है कि सरकारी अस्पताल में इंसानों के साथ जानवरों से भी बदतर सलूक हो रहा है। इंसान की लाशों को कूड़े की तरह फेंका गया है। वॉर्ड में बेड पर, बेड के नीचे लाशें हैं, लॉबी में लाशें हैं और इन लाशों के बीच कुछ जिंदा मरीज हैं। कोई कैसे इस माहौल में जिंदा रह सकता है? किसी मरीज के इस तरह के हालात में ठीक होने के उम्मीद भी कैसे की जा सकती है? आज जस्टिस अशोक भूषण, जस्टिस एस के कौल और जस्टिस शाह की बेंच ने इस मामले की सुनवाई की।
हालांकि सुनवाई के दौरान जब इंडिया टीवी पर दिखाए वीडियोज के बारे में अदालत ने सॉलीसिटर जनरल तुषार मेहता से पूछा तो उन्होंने कहा कि तस्वीरें भयावह थी, शॉकिंग थी। कोर्ट ने कहा कि ऐसा कैसे हो सकता है? सरकारी हॉस्पिटल में इस तरह की लापरवाही कैसे हो सकती है? वीडियो में साफ-साफ दिख रहा है कि मरीज मर रहे हैं, कराह रहे हैं लेकिन उनके पास मदद के लिए कोई नहीं है। उन्हें देखने वाला, उनकी केयर करने वाला कोई नहीं है। कोरोना के मरीजों को जानवरों से भी खराब तरीके से ट्रीट किया जा रहा है। लाशें इधर-उधर बिखरी हैं। इसे कैसे स्वीकार किया जा सकता है। जस्टिस शाह ने कहा कि कोरोना के बढ़ते प्रकोप के साथ इन्फ्रस्ट्रक्चर की जरूरतें बढ़ रही हैं। मरीजों को बेड चाहिए, डॉक्टर्स चाहिए, लेकिन कुछ नहीं है। यह सरकार की, सरकार के सिस्टम की नाकामी है और इससे ज्यादा खराब कुछ नहीं हो सकता।
जस्टिस कौल ने कहा कि भगवान के लिए हॉस्पिटल्स में मरीजों की खराब हालात को देखिए। लाशें वॉर्ड्स में पड़ी हैं। अदालत को जिंदा मरीजों की भी चिंता है, लेकिन जब हॉस्पिटल में लाशों का ये हाल है तो लाशों के बीच बैठे मरीजों का क्या होगा इसका अंदाजा लगाना मुश्किल नहीं है। जस्टिस कौल ने कहा कि जिस तरह की तस्वीरें इंडिया टीवी पर दिखाई गई, जो हकीकत सामने रखी गई, उसे देखने के बाद इस बात में कोई शक नहीं है कि दिल्ली में हालात खराब होते जा रहे हैं। दिल्ली के सरकारी हॉस्पिटल्स की हालत दयनीय और डरावनी है।
शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट में सब परेशान थे, चिंतित थे। दिल्ली की हालत को लेकर उनकी चिंता साफ दिख रही थी।सुनवाई के दौरान जस्टिस शाह ने कहा कि अगर सरकारी अस्पताल में लाशों को इस तरह से ट्रीट किया जाएगा, अगर लाशों का इस तरह फेंका गया है तो इससे ज्यादा खराब क्या हो सकता है। ऐसा व्यवहार तो जानवरों के साथ भी नहीं करते हैं, जैसा इंसानों के साथ हो रहा है।
देखें पूरी रिपोर्ट