Sunday, December 22, 2024
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पूर्व चीफ जस्टिस लोढ़ा ने कहा, 'न्यायपालिका में मौजूदा स्थिति दुर्भाग्यपूर्ण'

पूर्व चीफ जस्टिस आर एम लोढ़ा ने सुप्रीम कोर्ट में मौजूदा स्थिति को ‘ दुर्भाग्यपूर्ण ’ बताया। उन्होंने कहा कि सीजेआई भले ही न्यायाधीशों को मामले आवंटित करने के मामले में सर्वेसर्वा हों, लेकिन यह काम ‘ निष्पक्ष तरीके से और संस्था के हित ’ में होना चाहिये।

Reported by: Bhasha
Published : May 01, 2018 23:43 IST
Ex-CJI Lodha terms prevailing situation in judiciary as 'disastrous'
Image Source : PTI Ex-CJI Lodha terms prevailing situation in judiciary as 'disastrous' 

नयी दिल्ली: पूर्व चीफ जस्टिस आर एम लोढ़ा ने सुप्रीम कोर्ट में मौजूदा स्थिति को ‘ दुर्भाग्यपूर्ण ’ बताया। उन्होंने कहा कि सीजेआई भले ही न्यायाधीशों को मामले आवंटित करने के मामले में सर्वेसर्वा हों, लेकिन यह काम ‘ निष्पक्ष तरीके से और संस्था के हित ’ में होना चाहिये। जस्टिस लोढ़ा ने कहा कि न्यायपालिका की स्वतंत्रता से समझौता नहीं किया जा सकता। उन्होंने कहा कि सीजेआई को नेतृत्व कौशल का परिचय देकर और अपने सहकर्मियों को साथ लेकर संस्था को आगे बढ़ाना चाहिये। 

पूर्व चीफ जस्टिस लोढ़ा ने पूर्व केंद्रीय मंत्री अरूण शौरी की पुस्तक के विमोचन कार्यक्रम में कहा, ‘‘ सुप्रीम कोर्ट में आज जो दौर हम देख रहे हैं वह दुर्भाग्यपूर्ण है। यह सही समय है कि सहकर्मियों के बीच सहयोगपूर्ण संवाद बहाल हो। न्यायाधीशों का भले ही अलग नजरिया और दृष्टिकोण हो लेकिन उन्हें मतैक्य ढूंढना चाहिये जो सुप्रीम कोर्ट को आगे ले जाए। यह न्यायपालिका की स्वतंत्रता को कायम रखता है।’’ 

पूर्व चीफ जस्टिस लोढ़ा को भी चीफ जस्टिस के तौर पर ऐसी ही स्थिति का सामना करना पड़ा था , जैसा उत्तराखंड उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश के एम जोसफ के मामले में हुआ है। उस वक्त भी राजग सरकार ने कॉलेजियम की सिफारिश को अलग किया था और कॉलेजियम से वरिष्ठ अधिवक्ता गोपाल सुब्रह्मण्यम को सुप्रीम कोर्ट का न्यायाधीश नियुक्त करने की अपनी सिफारिश पर पुनर्विचार करने को कहा था। सुब्रह्मण्यम ने बाद में खुद को इस पद की दौड़ से अलग कर लिया था। 

लोढ़ा ने मौजूदा चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा का कोई उल्लेख लिये बिना कहा, ‘‘ मैंने हमेशा महसूस किया है कि न्यायपालिका की स्वतंत्रता के साथ समझौता नहीं किया जा सकता है और अदालत का नेता होने के नाते सीजेआई को उसे आगे बढ़ाना है। उन्हें नेतृत्व का परिचय देना चाहिये और सभी भाई - बहनों को साथ लेकर चलना चाहिये।’’ 

दिल्ली हाईकोर्ट के पूर्व चीफ जस्टिस ए पी शाह ने पूर्व केंद्रीय मंत्री और राजग सरकार के आलोचक अरूण शौरी तथा जस्टिस लोढ़ा के साथ मंच साझा किया। उन्होंने भी सीजेआई की कार्यप्रणाली की आलोचना की। शौरी ने कक्ष में मौजूद वरिष्ठ अधिवक्ताओं से कहा, ‘‘अगर मौजूदा सीजेआई को बार-बार कहना पड़ रहा है कि वह मास्टर ऑफ रोस्टर हैं -- तो इसका मतलब है कि उन्होंने नैतिक प्राधिकार खो दिया है।’’ उन्होंने कार्यपालिका पर अंकुश की भी वकालत की ताकि ‘हर संस्था पर सर्वाधिकारवादी नियंत्रण को रोका जा सके। उन्होंने कहा, ‘‘ अगर आप उन्हें नहीं रोकते हैं तो वे ऐसा करते रहेंगे। ज्यादातर संस्थाओं का भीतर से क्षरण हुआ है।’’ 

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