Monday, December 23, 2024
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कश्मीर का दौरा करेंगे यूरोपीय सांसद, प्रधानमंत्री व डोभाल ने उन्हें स्थिति से कराया अवगत

घाटी की स्थिति के बारे में पाकिस्तानी दुष्प्रचार का मुकाबला करने के लिए सरकार की यह एक प्रमुख कूटनीतिक पहल है जिसके तहत इन नेताओं को ‘‘स्वयं ही चीजों को देखने’’ की अनुमति दी गयी है।

Reported by: Bhasha
Updated : October 28, 2019 21:16 IST
PM MOdi
Image Source : TWITTER पीएम नरेंद्र मोदी के साथ यूरोपीय संघ के सांसद

नई दिल्ली। अनुच्छेद 370 हटाए जाने के बाद किसी विदेशी प्रतिनिधिमंडल के पहले कश्मीर दौरे के तहत 27 यूरोपीय सांसदों का एक दल मंगलवार को वहां की यात्रा करेगा। घाटी की स्थिति के बारे में पाकिस्तानी दुष्प्रचार का मुकाबला करने के लिए सरकार की यह एक प्रमुख कूटनीतिक पहल है जिसके तहत इन नेताओं को ‘‘स्वयं ही चीजों को देखने’’ की अनुमति दी गयी है। यूरोपीय संसद के इन सदस्यों ने अपनी दो दिवसीय कश्मीर यात्रा के पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से भी मुलाकात की।

प्रधानमंत्री मोदी ने स्पष्ट रूप से उन्हें बताया कि आतंकवाद का समर्थन और उसे प्रायोजित करने वालों के खिलाफ तत्काल कार्रवाई की आवश्यकता है। प्रधानमंत्री ने जोर दिया कि आतंकवाद के संबंध में कतई बर्दाश्त नहीं करने की नीति होनी चाहिए।

राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल ने सोमवार को इन सांसदों को पाकिस्तान से पनपने वाले सीमा पार आतंकवाद, अनुच्छेद 370 हटाए जाने के बाद जम्मू कश्मीर के दर्जे में किए गए संवैधानिक बदलाव और घाटी की स्थिति से अवगत कराया। डोभाल ने यूरोपीय सांसदों के लिए दोपहर का भोज दिया। इसमें कुछ कश्मीरी नेता भी शामिल हुए जिनमें जम्मू-कश्मीर के पूर्व उपमुख्यमंत्री मुजफ्फर बेग, पूर्व पीडीपी नेता अल्ताफ बुखारी, राज्य में प्रखंड विकास परिषद (बीडीसी) के कुछ नव-निर्वाचित सदस्य और रीयल कश्मीर फुटबॉल क्लब के सह- मालिक संदीप चट्टू भी शामिल थे।

अगस्त में सरकार द्वारा अनुच्छेद 370 हटाए जाने के बाद घाटी में किसी विदेशी प्रतिनिधिमंडल की यह पहली यात्रा है। यह यात्रा कश्मीर की स्थिति पर यूरोपीय संसद में हुयी बहस के कुछ हफ्ते बाद हो रही है, जिसमें वहां की स्थिति को लेकर चिंता जतायी गयी थी। अधिकारियों का यहां मानना है कि इस दौरे से सांसदों को पाकिस्तान के ‘‘झूठे विमर्श’’ का शिकार होने के बदले खुद से चीजों को देखने का अवसर मिलेगा।

सूत्रों के अनुसार, प्रतिनिधिमंडल जम्मू कश्मीर प्रशासन के अधिकारियों और स्थानीय लोगों से मुलाकात करेगा। दो दिवसीय यात्रा के दौरान, वे राज्यपाल से भी मुलाकात कर सकते हैं। उनके मीडिया के साथ बातचीत करने की भी संभावना है। प्रतिनिधिमंडल में इटली के फुल्वियो मार्तुसिएलो, ब्रिटेन के डेविड रिचर्ड बुल, इटली की जियाना गैंसिया, फ्रांस की जूली लेंचेक, चेक गणराज्य के टामस डेकोवस्की, स्लोवाकिया के पीटर पोलाक और जर्मनी के निकोलस फेस्ट शामिल हैं।

डेकोवस्की ने पीटीआई भाषा से कहा, ‘‘यह (अनुच्छेद 370 का हटाया जाना) भारत का आंतरिक मामला है क्योंकि कश्मीर इसका हिस्सा है। यह भारत सरकार का विशेषाधिकार है कि वह आंतरिक फैसला करे। हम इस पर भारत के साथ हैं।’’

डेकोवस्की ने पिछले महीने यूरोपीय संसद के मासिक समाचार पत्र में अपने एक लेख में कहा था कि अनुच्छेद 370 के हटाए जाने से कश्मीर में सक्रिय कई आतंकवादी संगठनों को जड़ से उखाड़ने में मदद मिलेगी। उन्होंने कहा, ‘‘उस लेख के बाद मुझे पाकिस्तान से कई नफरत भरे मेल मिले।’’ पोलाक ने कहा, ‘‘भारत और पाकिस्तान दोनों को इस क्षेत्र में तनाव से बचने के लिए बातचीत करनी चाहिए।’’ एक अन्य सांसद ने कहा कि डोभाल द्वारा दी गयी जानकारी काफी ‘‘सूचनात्मक’’ थी।

EU सांसदों को J&K जाने देना और भारतीय नेताओं को रोकना संसद का अपमान: कांग्रेस

यूरोपीय संघ के सांसदों के एक प्रतिनिधिमंडल के जम्मू-कश्मीर के प्रस्तावित दौरे को लेकर कांग्रेस ने सोमवार को नरेंद्र मोदी सरकार पर निशाना साधा और आरोप लगाया कि भारतीय नेताओं को वहां जाने की अनुमति नहीं देना और विदेश के नेताओं को इजाजत देना देश की संसद एवं लोकतंत्र का पूरी तरह अपमान है।

पार्टी के वरिष्ठ प्रवक्ता आनंद शर्मा ने यह दावा भी किया कि यूरोपीय नेताओं को आमंत्रित करने से जुड़ा सरकार का यह कदम भारत के उस सतत रुख के खिलाफ है कि जम्मू-कश्मीर हमारा आंतरिक मामला है। उन्होंने एक बयान जारी कर सवाल किया कि क्या भारतीय राष्ट्रवाद का यह नया स्वरूप है?

शर्मा ने आरोप लगाया, ‘‘यूरोपीय संघ के सांसदों के लिए सरकार की ओर से रेड कार्पेट बिछाया जाना और उन्हें जम्मू-कश्मीर के दौरे के लिए आमंत्रित करना भारतीय संसद की संप्रभुता और सांसदों के विशेषाधिकार का अपमान है। जब विपक्ष के नेताओं और संसद के सदस्य श्रीनगर गए तो उन्हें हिरासत में ले लिया गया और किसी व्यक्ति या संगठन से मिलने की इजाजत नहीं दी गई।’’ 

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