Sunday, December 22, 2024
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मुठभेड़ स्थल कोई वैवाहिक समारोह स्थल नहीं, युवा जाने से बचें : J&K पुलिस महानिदेशक

जम्मू कश्मीर के पुलिस महानिदेशक एसपी वैद्य ने आज कहा कि मुठभेड़ स्थल ‘‘ आतंकवादियों का वैवाहिक समारोह स्थल ’’ नहीं है जहां युवक आयें क्योकि बंदूक से निकलने वाली गोली ‘‘ पत्थरबाजों और आतंकवादियों ’’ के बीच फर्क नहीं करती। 

Edited by: IndiaTV Hindi Desk
Published : April 12, 2018 22:07 IST
SP Vaidya
SP Vaidya

जम्मू: जम्मू कश्मीर के पुलिस महानिदेशक एसपी वैद्य ने आज कहा कि मुठभेड़ स्थल ‘‘ आतंकवादियों का वैवाहिक समारोह स्थल ’’ नहीं है जहां युवक आयें क्योकि बंदूक से निकलने वाली गोली ‘‘ पत्थरबाजों और आतंकवादियों ’’ के बीच फर्क नहीं करती। पुलिस अधिकारी ने इसके साथ ही यह भी कहा कि प्रदेश पुलिस कठुआ बलात्कार और हत्या के मामले की जांच के लिए केंद्रीय जांच ब्यूरो की तरह सक्षम है। सोशल मीडिया पर प्रश्न उत्तर सत्र में पुलिस महानिदेशक ने लोगों के विभिन्न सवालों का उत्तर देते हुए उपरोक्त बातें कही। 

यह पूछे जाने पर कि इस साल जनवरी में कठुआ में आठ साल की बच्ची के साथ बलात्कार के बाद उसकी हत्या का मामला अबतक केंद्रीय जांच ब्यूरो के हवाले क्यों नहीं किया गया है, वैद्य ने कहा, ‘‘ हमें कोई दिक्कत नहीं है लेकिन पुलिस उतनी ही सक्षम है जितनी की कोई और।’’ मामले की जांच करने वाले और आठ लोगों को गिरफ्तार करने वाली पुलिस की अपराध शाखा में भरोसा जताते हुए प्रदेश के शीर्ष पुलिस अधिकारी ने कहा, ‘‘जब हम आतंकवाद और पत्थरबाजों से संघर्ष कर सकते हैं तो हम पेशेवर जांच क्यों नहीं कर सकते हैं। हमारे पुलिस अधिकारी प्रतिनियुक्ति पर केंद्रीय जांच ब्यूरो में हैं।’’ 

उन्होंने मामले से संबंधित विशेष जांच दल में केवल कश्मीर के पुलिस अधिकारी होने के दावे को ‘‘गलत अवधारणा’’ करार दिया। वैद्य ने कहा, ‘‘ विशेष जांच दल में सभी स्तर के और सभी क्षेत्र के पुलिस अधिकारी शामिल थे । एक पुलिस अधिकारी केवल पुलिस अधिकारी होता है और वह मुस्लिम, सिख, हिंदू अथवा इसाई नहीं होता है। हम इसमें भरोसा करते हैं।’’ 

उन्होंने कहा कि यह गलत धारणा है कि जांच दल में जम्मू इलाके के पुलिस अधिकारी शामिल नहीं थे। दो अधिकारियों का नाम लेते हुए उन्होंने कहा कि जम्मू के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक रमेश झल्ला और पुलिस उपाधीक्षक एस शर्मा सक्रिय रूप से इसमें शामिल थे। कुछ पाकिस्तानी यूजर्स भी इस बातचीत के दौरान सवाल पूछते दिखे। 

वैद्य ने यह स्वीकार किया कि बंदूक और हिंसा कश्मीर समस्या का समाधान नहीं है और इसके शांतिपूर्ण हल के लिए संबंधित पक्षों के बीच संवाद स्थापित करने की वकालत की। पुलिस प्रमुख ने एक सवाल के उत्तर में कहा, ‘‘मैं चाहता हूं कि कश्मीर समस्या इतनी सरल हो कि मैं इसका एक वाक्य में जवाब में दे सकूं । कश्मीर समस्या का समाधान खोजने के लिए कई पक्ष दशकों से काम कर रहे हैं । लेकिन यह एक समान्य बात नहीं है । व्यक्तिगत तौर पर मैं समझता हूं कि बंदूक इसका समाधान नहीं है।’’ 

उन्होंने कहा कि ‘‘हमारे पड़ोसी’’ (पाकिस्तान) सहित सभी संबंधित पक्ष को यह समझना चाहिए कि इसका एक ही निदान है, एक साथ बैठकर बातचीत करें और समाधान पर पहुंचे। पुलिस महानिदेशक ने युवाओं से अपनी अपील दुहराई कि वह मुठभेड़ स्थल के नजदीक नहीं जायें। उन्होंने कहा, ‘‘ मैं आपको बताना चाहता हूं कि भारत का कोई भी नगरिक किसी के मारे जाने को पसंद नहीं करता है। हम लोग लगातार जनता से आग्रह करते रहे हैं कि वह मुठभेड़ स्थल पर नहीं आयें।’’ 

पुलिस अधिकारी ने कहा कि चाहे आतंकवादी हो या सेना, अर्द्धसैनिक बल अथवा पुलिस, जब गोलियां निकलती है तो उसका अपना एक रास्ता होता है। 

वैद्य ने कहा, ‘‘वह किसी खास व्यक्ति का सीना नहीं देखती है। यह किसी को भी लग सकती है। यह उचित नहीं है कि वह मुठभेड़ स्थल तक आयें। जब एक नागिरक की मौत होती है तो इससे मुझे और सुरक्षा बलों को तकलीफ होती है।’’ उन्होंने कहा कि मुठभेड़ स्थल पर उनका कोई काम नहीं है इसलिए वहां उनका जाना जरूरी नहीं है। उन्होंने कहा, ‘‘वहां किसी आतंकवादी की शादी नहीं होती है कि ये लड़के मुठभेड़ स्थल के निकट आते हैं।’’ 

वैद्य ने कहा कि घाटी में कानून व्यवस्था बनाये रखने के लिए इंटरनेट बंद करने के पक्ष में नहीं हैं लेकिन ऐसे निर्णय के लिए मजबूर होते हैं। उन्होंने बताया कि पुलिस विभिन्न तरीकों से काम करती है ताकि कम से कम नागरिक हताहत हो और शैक्षिक संस्थानों के काम काज में न्यूनतम बाधा हो। हिजबुल मुजाहिद्दीन के आतंकवादी बुरहान वानी के मारे जाने तथा उसके बाद हुए विरोध प्रदर्शनों का हवाला देते हुए पुलिस महानिदेशक ने कहा कि यह उनके करियर की सबसे बड़ी चुनौती थी। 

यह पूछने पर कि पुलिस सैन्यकर्मियों के खिलाफ कार्रवाई क्यों नहीं करती है, उन्होंने कहा कि जब भी मानवाधिकारों के उल्लंघन का मामला प्रकाश में आया है केस दर्ज हुए हैं। कश्मीर में इस्लामिक स्टेट के आतंकवादियों के मौजूद होने के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि आईएसआईएस एक विचारधारा है और कट्टर है, ‘‘मैं चाहता हूं कि वह यहां नहीं आए।’’ नेशनल मीडिया कश्मीर मामले में सकारात्मक भूमिका अदा नहीं कर रही है, इससे सहमति जताते हुए उन्होंने स्वीकार किया कि कश्मीर की स्थिति के बारे में राष्ट्रीय मीडिया बहुत सकारात्मक भूमिका अदा नहीं कर रही है । 

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