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चुनावी सीजन की वजह से नौकरियां देने में कंजूसी बरतेंगे नियोक्ता, वेतनवृद्धि 8-10 प्रतिशत होगी

आने वाले साल की बात करें तो विशेषज्ञों एवं नियोक्ताओं को लगता है कि नये वर्ष में करीब 10 लाख नये रोजगार के अवसरों का सृजन होगा।

Written by: IndiaTV Hindi Desk
Updated : December 23, 2018 13:53 IST
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प्रौद्योगिकी में बदलाव से इस साल कई पारंपरिक नौकरियों की जगह नयी नौकरियों ने ले ली। वहीं वेतन में करीब आठ-दस प्रतिशत की औसत वृद्धि हुई। दूसरी ओर अगर आने वाले साल की बात करें तो विशेषज्ञों एवं नियोक्ताओं को लगता है कि नये वर्ष में करीब 10 लाख नये रोजगार के अवसरों का सृजन होगा। हालांकि उन्होंने कहा कि वेतनवृद्धि पिछले साल की तरह ही बनी रह सकती है। हालांकि, कुछ खास क्षेत्र के लोगों की वेतन में अधिक बढ़ोतरी भी हो सकती है। 

अगले साल होने वाले आम चुनाव के मद्देनजर संभावना जतायी है जा रही है कि राजनीतिक अनिश्चितता को देखते हुए नियोक्ता 2019 की पहली छमाही में सतर्क रुख अख्तियार कर सकते हैं। रोजगार सृजन हाल के समय में बहस का बड़ा अहम मुद्दा रहा है क्योंकि तेज व्यापक आर्थिक वृद्धि के बावजूद रोजगार सृजन की गति उम्मीद के अनुरूप नहीं रही है। दूसरी ओर एक आकलन के मुताबिक हर साल 1.2 करोड़ लोग रोजगार बाजार में प्रवेश कर रहे हैं। 

विशेषज्ञों का कहना है कि देश में रोजगार सृजन को लेकर पर्याप्त और विश्वसनीय आंकड़ों के अभाव के कारण भी स्थिति ज्यादा बदतर हो गयी है। साल 2016 के नवंबर में नोटबंदी और एक जुलाई, 2017 को जीएसटी लागू किये जाने के बाद 2018 में भारतीय रोजगार बाजार फिर से पटरी पर लौटता नजर आया। सोसायटी फॉर ह्यूमन रिसोर्स मैनेजमेंट (एसएचआरएम) के परामर्श विभाग के प्रमुख निशिथ उपाध्याय के मुताबिक, “यह विडंबना है कि आम चुनाव के दौरान रोजगार सृजन एक बड़ा मुद्दा रहने वाला है, इसके बावजूद संगठन 2019 में अपनी कारोबारी योजना को लागू करने को लेकर सतर्कता का रुख अपना सकते हैं। इससे कम-से-कम साल की पहली तिमाही में रोजगार सृजन प्रभावित होगा।” 

मानव संसाधन सेवा प्रदान करने वाली रैंडस्टैड इंडिया के प्रमुख पॉल ड्यूपुइस ने कहा कि सूचना-प्रौद्योगिकी क्षेत्र में दो साल बाद नियुक्तियों में उत्साह का माहौल रहेगा। ऐसा नये युग के प्रौद्योगिकी क्षेत्र में कुशल और प्रतिभाशाली लोगों की उपलब्धता और ई-वाणिज्य क्षेत्र में बड़े निवेश के जरिये होगा। इस साल बुनियादी ढांचा क्षेत्र, विनिर्माण, खुदरा और एफएमसीजी क्षेत्र में स्थिति बेहतर हुई है। हालांकि बैंकिंग, वित्तीय सेवा और दूरसंचार क्षेत्र में नौकरियों की स्थिति बदतर हुई है।

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