नयी दिल्ली: दिल्ली हाईकोर्ट ने आज कहा कि केंद्र, दिल्ली सरकार और एमसीडी के बीच टकराव में कर्मी प्रभावित नहीं होने चाहिए। अदालत ने दिल्ली के नगर निगमों के सफाई कर्मियों के लंबित वेतन के मुद्दे पर सुनवायी करते हुए कहा कि दिल्ली सरकार की ओर से धनराशि जारी नहीं होने से अंतत: दिल्ली नगर निगम के कर्मी और पूरी राष्ट्रीय राजधानी प्रभावित हो रही है।
कार्यवाहक चीफ जस्टिस गीता मित्तल और न्यायमूर्ति सी हरि शंकर की एक पीठ ने कहा, ‘‘एमसीडी कोई निजी कंपनी नहीं है कि यदि वे निष्पादन नहीं कर रहे हैं तो आप उन्हें भुगतान नहीं करेंगे। अंतत: कर्मी प्रभावित होते हैं और यदि वे हड़ताल पर जाते हैं पूरी दिल्ली प्रभावित होती है।’’ पीठ ने कहा, ‘‘दिल्ली सरकार, केंद्र सरकार और एमसीडी के बीच समस्याएं कर्मियों के वेतन के बीच नहीं आनी चाहिए। हम चाहते हैं कि इन लोगों को उनका बकाया मिले।’’
पीठ ने यह बात उस अर्जी पर सुनवायी करते हुए कही जिसमें प्राधिकारियों को यह सुनिश्चित करने के लिए निर्देश देने की मांग की गई थी कि पूर्वी और उत्तरी दिल्ली नगर निगमों के कर्मी अपनी हड़ताल समाप्त करें जो क्रमश: 11 और 16 अक्तूबर को शुरू हुई थी और वे काम पर लौटें। कर्मियों ने बाद में अपनी हड़ताल वापस ले ली थी। अदालत ने दिल्ली सरकार के स्थायी वकील रमेश सिंह की दलीलें सुनी और पूछा कि क्या सरकार एमसीडी को धनराशि जारी करने की भावना में आगे बढ़ रही है। वकील ने निर्देश लेने के लिए समय मांगा जिस पर पीठ ने मामले 14 नवम्बर को अगली सुनवायी के लिए सूचीबद्ध किया।