नयी दिल्ली: बिजली सचिव एके भल्ला ने आज कहा कि बिजली क्षेत्र में तेजी से विकास हो रहा है और अगले पांच साल में उत्पादन क्षमता बढ़कर पांच लाख मेगावाट हो जाने की उम्मीद है। उन्होंने यह भी कहा कि साल के अंत तक सभी गांवों में बिजली पहुंचाने के लक्ष्य और बिजली मांग बढ़ने के कारण पारेषण एक चुनौती होगी।
उद्योग मंडल सीआईआई के पारेषण उद्योग पर आयोजित एक सम्मेलन में उन्होंने कहा, बिजली क्षेत्र में तेजी से वृद्धि हो रही है और अगले पांच साल में उत्पादन क्षमता मौजूदा 330 गीगावाट से बढ़कर 500 गीगावाट यानी पांच लाख मेगावाट हो जाने की उम्मीद है। इसके साथ इस वर्ष के अंत तक सभी गांवों में बिजली पहुंचने, औद्योगिक वृद्धि के साथ मांग बढ़ने के कारण बिजली पारेषण एक चुनौती बन सकता है।
बिजली मंत्रालय के गर्व पोर्टल के अनुसार बिजली से वंचित कुल 18,452 गांवों में से 14,363 गांवों में बिजली पहुंच गयी है। शेष 3,102 गांवों में इस साल के अंत तक बिजली पहुंचाई जानी है। 987 गांव ऐसे भी हैं जिनमें कोई नहीं रहता है। उन्होंने कहा, गांवों में बिजली पहुंचाने के बाद हर घर में बिजली पहुंचाये जाने का लक्ष्य है। साथ ही सरकार ने सभी को 24 घंटे बिजली देने का लक्ष्य रखा है। इसके अलावा औद्योगिक वृद्धि में तेजी आएगी। पुन: बांग्लादेश को बिजली दी जा रही है, भविष्य में नेपाल से पनबिजली के आयात की योजना है। इन सबको देखते हुए बिजली पारेषण एक चुनौती है।
पारेषण के क्षेत्र में कंपनियों के लिये अवसर का जिक्र करते हुए भल्ला ने कहा कि राज्यों के बीच पारेषण व्यवस्था बेहतर है लेकिन राज्य के भीतर पारेषण एक चुनौती है। पावर ग्रिड कारपोरेशन आफ इंडिया के चेयरमैन और प्रबंध निदेशक आई एस झा ने क्षेत्र के समक्ष चुनौतियों का जिक्र करते हुए कहा कि पारेषण के समक्ष चुनौती अक्षय ऊर्जा को ग्रिड से जोड़ना, ग्रिड को दुरूस्त रखना तथा पारेषण लाइन डालने की है। उन्होंने कहा कि अक्षय ऊर्जा उत्पादन क्षमता बढ़ाकर 2022 तक 1,75,000 गीगावाट करने का लक्ष्य है, ऐसे में इस ऊर्जा को ग्रिड से जोड़ना एक चुनौती है। उन्होंने कहा कि पावर ग्रिड कारपोरेशन इस दिशा में काम कर रहा है और ग्रीन एनर्जी ग्रिड पर काम जारी है।
उन्होंने कहा कि कंपनी ने चालू वित्त वर्ष में 25,000 करोड़ रुपये के पूंजी व्यय का लक्ष्य रखा है जिसमें से अब तक 10,000 करोड़ रुपये खर्च किये जा चुके हैं। नीति आयोग में ज्ञान नवोन्मेष केन्द्र में अतिरिक्त सचिव यदुवेन्द्र माथुर ने कहा, देश में उपयुक्त आंकड़ों का अभाव है। हमें वास्तिवक समय पर यह पता नहीं होता कि कब बिजली की कितनी मांग है, कहां किस प्रकार की समस्या हो रही है। अगर ये आंकड़े उपलब्ध हो, चीजों को दुरूस्त किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि नीति आयोग इस दिशा में विभिन्न पक्षों के साथ मिलकर काम कर रहा है।