गुवाहाटी: असम में 2021 में होने वाले विधानसभा चुनाव में अब राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (NRC) से बाहर होने वाले लोग भी मतदान कर सकेंगे। चुनाव आयोग ने एनआरसी से रिजेक्ट हो चुके अधिकतर लोगों को मतदान का अधिकार दिया है। हालांकि एनआरसी लिस्ट से बाहर रखे गए लोगों को मतदान का अधिकार तभी तक होगा, जब तक नागरिक ट्रिब्यूनल उनके खिलाफ फैसला न सुना दे। चुनाव आयोग के मुताबिक नागरिक ट्रिब्यूनल का फैसला आने तक वोटर लिस्ट में मौजूद हर एक मतदाता को वोट डालने का अधिकार होगा।
बता दें कि असम में 31 अगस्त 2019 को एनआरसी की फाइनल लिस्ट जारी कर दी गई थी। इस लिस्ट में करीब 19 लाख लोगों का नाम शामिल नहीं है। असम में जिन लोगों के नाम एनआरसी के फाइनल लिस्ट में नहीं आए उन्होंने इसके खिलाफ नागरिक ट्रिब्यूनल की ओर रूख किया था और उनके दावों पर सुनवाई चल रही है। चुनाव आयोग के फैसले के बाद जब तक फाइनल ऑर्डर नहीं आ जाता तब तक इनके वोट देने के अधिकार बहाल रहेगा।
असल में एनआरसी इसलिए लाया गया कि 1971 के बाद असम में घुसे बांग्लादेशी घुसपैठियों को देश से बाहर किया जा सके। इसको 1951 के बाद सबसे पहले इस साल असम में अपडेट किया गया। पहला रजिस्टर 1951 में जारी किया गया था। इस रजिस्टर में नाम होने का मतबल है कि आप इस देश के ही निवासी हैं। जब 1947 में देश का बंटवारा हुआ उसके बाद भी पूर्वी पाकिस्तान में असम के लोगों का आना जाना लगा रहा। इसके बाद 1979 में असम में घुसपैठियों के खिलाफ बड़े पैमाने पर हिंसक प्रदर्शन किए गए। इसके बाद साल 1985 में तत्कालीन राजीव गांधी सरकार ने असम गण परिषद से समझौता कर ये ऐलान किया कि 1971 से पहले जो भी बांग्लादेशी असम में घुसे हैं उन्हें भारत की नागरिकता दी जाएगी।
इसका मतलब साल 1971 के बाद जो लोग देश में आए हैं, वो घुसपैठिए होंगे और उनको देश से बाहर जाना होगा। साल 2015 में सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद इसमें तेजी आई और 31 अगस्त साल 2019 को एनआरसी लिस्ट जारी कर दी गई। जिसमें 19 लाख से ज्यादा लोगों का नाम नहीं था।