नई दिल्ली: शिक्षा मंत्रालय ने रविवार को राज्यों से कहा कि वह स्कूल नहीं जाने वाले बच्चों का पता लगाने के लिए घर-घर जाकर सर्वेक्षण करें और उनके दाखिले की योजना तैयार करें। मंत्रालय ने राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों को सलाह दी गई है कि वे एक व्यापक डोर-टू-डोर सर्वेक्षण के माध्यम से 6 से 18 वर्ष आयु वर्ग के बच्चों (ओओएससी) की उचित पहचान करें और उनके नामांकन के लिए एक कार्य योजना तैयार करें। शिक्षा मंत्रालय द्वारा यह सर्वेषण विशेष रूप से उन प्रवासी बच्चों की पहचान, उनके एडमिशन और उन्हें निरंतर शिक्षा मिले इस उद्देश्य से किया जाएगा जो महामारी के दौरान प्रभावित हुए हैं।
दिल्ली में स्कूलों को जल्दी कैसे खोला जाए, इस पर हो रहा हैं विचार
इससे पहले दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने बुधवार को कहा था कि सरकार इस बात पर विचार कर रही है कि राष्ट्रीय राजधानी में फिर से स्कूलों को जल्दी कैसे खोला जाए। सिसोदिया ने कहा कि कक्षाएं फिर से शुरू करने के लिए भविष्य की रणनीति इस बात पर निर्भर करेगी कि अग्रिम कार्यकर्ताओं के टीकाकरण के बाद कोविड-19 टीका आम लोगों के लिए कितना जल्दी उपलब्ध हो पाता है।
राष्ट्रीय राजधानी में स्कूल पिछले साल मार्च से ही कोरोना वायरस महामारी के कारण बंद हैं। कुछ राज्यों में आंशिक रूप से स्कूल फिर से खुले हैं, लेकिन दिल्ली सरकार ने घोषणा की है कि जब तक कोई टीका उपलब्ध नहीं होगा तब तक स्कूल नहीं खुलेंगे। दिल्ली के शिक्षा विभाग का प्रभार भी संभाल रहे सिसोदिया ने एक संवाददाता सम्मेलन में कहा, ‘‘इस बात पर विचार विमर्श किया जा रहा है कि दिल्ली में फिर से स्कूलों को जल्दी कैसे खोला जा सकता है, खासकर बोर्ड कक्षाओं के लिए क्योंकि परीक्षाओं की तारीखों की घोषणा हो गयी है।"
उन्होंने कहा था, ‘‘(स्कूलों को फिर से खोलने की) हमारी भविष्य की रणनीति इस बात पर निर्भर करेगी कि अग्रिम कार्यकर्ताओं के टीकाकरण के बाद कोविड-19 टीका आम लोगों के लिए कितना जल्दी उपलब्ध हो पाता है।’’ सिसोदिया ने घोषणा की कि दिल्ली सरकार कोविड के बाद की दुनिया में शिक्षा विषय पर 11 से 17 जनवरी के बीच अंतरराष्ट्रीय शिक्षा सम्मेलन आयोजित करेगी। उन्होंने कहा, "हमें कोविड के बाद वाले समय में अपने स्कूलों के बारे में योजना बनाने की आवश्यकता है, जैसा कि हम कोविड-19 टीकाकरण के बारे में योजना बना रहे हैं। इसके लिए, हम एक अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन आयोजित कर रहे हैं, जहाँ भारत, फिनलैंड, इंग्लैंड, जर्मनी, सिंगापुर, कनाडा के 22 शिक्षा विशेषज्ञ स्कूल शिक्षा के विभिन्न विषयों पर परिचर्चा में शामिल होंगे।’’
सिसोदिया ने कहा था कि कोरोना वायरस महामारी ने बच्चों के लिए एक अप्रत्याशित स्थिति पैदा कर दी है। इसलिए, कोविड के बाद वाले समय में स्कूली शिक्षा और शिक्षण सामानय ढंग से संचालित नहीं किए जा सकते। उन्होंने कहा कि दिल्ली सरकार स्कूली शिक्षा के भविष्य पर विचार-विमर्श करने के लिए सम्मेलन का आयोजन कर रही है। सम्मेलन में दिल्ली के शिक्षा सुधारों पर चर्चा की जाएगी और विश्व में उत्कृष्ट चीजों के बारे में जानकारी हासिल की जाएगी और इन सुधारों को और आगे बढ़ाने के लिए अन्य हितधारकों के साथ सहयोग की संभावनाओं को तलाशा लगाएगा। सिसोदिया ने कहा, ‘‘सात दिन तक चलने वाले सम्मेलन के तीन हिस्से होंगे। इस सम्मेलन की शुरुआत में पिछले पांच वर्षों में दिल्ली के शिक्षा सुधार की प्रक्रिया और उपलब्धियों पर बोस्टन कंसल्टिंग ग्रुप (बीसीजी) द्वारा किए गए एक स्वतंत्र अध्ययन को भी जारी किया जाएगा।’’
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