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CEC रावत ने कहा, आम चुनाव से पहले EVM से जुड़ी सभी चिंताओं को दूर करेंगे

रावत ने कहा कि कुछ दलों का कहना था कि मतपत्र पर वापस लौटना अच्छा नहीं होगा, क्योंकि हम नहीं चाहते हैं कि ‘बूथ कैप्चरिंग’ का दौर वापस आए।

Edited by: India TV News Desk
Updated on: August 27, 2018 23:20 IST
Chief Election Commissioner O P Rawat and Election...- India TV Hindi
Chief Election Commissioner O P Rawat and Election Commissioner Ashok Lavasa

नई दिल्ली: मुख्य चुनाव आयुक्त ओ पी रावत ने कहा है कि इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (EVM) में गड़बड़ी संबंधी तमाम राजनीतिक दलों की चिंताओं पर चुनाव आयोग गंभीरतापूर्वक संज्ञान लेते हुए आम चुनाव से पहले इनका निराकरण करेगा। रावत ने आयोग द्वारा सभी राष्ट्रीय और राज्यस्तरीय मान्यता प्राप्त दलों के प्रतिनिधियों के साथ चुनाव प्रक्रिया को दुरुस्त करने के मुद्दे पर आज हुई बैठक के बाद बताया ‘‘ईवीएम में गडबड़ियों की शिकायतों पर आयोग ने व्यापक नजरिया अपनाते हुए संज्ञान लिया है। इस बारे में सभी तरह की शंकाओं का समाधान किया जाएगा।’’

कांग्रेस सहित तमाम अन्य दलों द्वारा मतपपत्र से मतदान कराने की मांग के सवाल पर रावत ने कहा ‘‘कुछ दलों का कहना था कि मतपत्र पर वापस लौटना अच्छा नहीं होगा, क्योंकि हम नहीं चाहते हैं कि ‘बूथ कैप्चरिंग’ का दौर वापस आए।’’ हालांकि कुछ दलों की ओर से ईवीएम और वीवीपेट में कुछ समस्यायें होने की बात कही गयी, इन सभी पहलुओं को आयोग ने संज्ञान में लिया है और इस बारे में हम संतोषजनक समाधान देने के लिये आश्वस्त करते हैं।’’

रावत ने स्पष्ट किया कि सभी दलों की ईवीएम, वीवीपेट और अन्य मसलों से जुड़ी सभी चिंताओं पर आयोग समग्र नजरिया अपनाते हुए संतोषजनक हल प्रदान करेगा। आज की बैठक के प्रमुख नतीजों के बारे में उन्होंने कहा कि सभी राजनीतिक दलों ने चुनाव प्रक्रिया को विश्वसनीय और बेहतर बनाने के लिये सकारात्मक सुझाव दिए है। आयोग इन पर विस्तार से विचार कर इन्हें प्रभावी तौर पर लागू करने की दिशा में सभी जरूरी कदम उठाएगा।

बैठक में ‘एक देश एक चुनाव’ के मुद्दे पर चर्चा होने के सवाल पर रावत ने कहा ‘‘कुछ दलों ने यह मुद्दा उठाया और कुछ दलों ने इसका विरोध किया। आयोग की तरफ से इस मामले में बहुत कुछ कहा जा चुका है। इस मामले में अच्छी बहस चल रही है।’’ उन्होंने बताया कि कुछ दलों ने प्रत्याशियों की तरह राजनीतिक दलों के चुनावी खर्च की भी सीमा तय करने का सुझाव दिया। इस दिशा में कानूनी पहल करने के बारे में आयोग विचार करेगा।

बैठक में सभी सात राष्ट्रीय और 51 राज्य स्तरीय मान्यताप्राप्त दलों के 41 प्रतिनिधियों ने हिस्सा लिया। कांग्रेस, सपा, बसपा, तृणमूल कांग्रेस और आप सहित तमाम विपक्षी दलों ने मतपत्र से चुनाव कराने का सुझाव दिया। बैठक के बाद सपा के रामगोपाल यादव ने बैठक के बाद बताया, ‘‘हमारी पार्टी ने भी मतपत्र से चुनाव कराने की तरफदारी की है लेकिन मैं यह जानता हूं कि आयोग यह मांग नहीं मानेगा। इसलिए हमने सुझाव दिया कि जिस मतदान केन्द्र पर प्रत्याशी या उसके एजेंट को ईवीएम पर शक हो, उसके मतों का मिलान वीवीपेट मशीन की पर्ची से अनिवार्य किया जाना चाहिए।’’

आप के राघव चड्ढा ने कहा कि उन्होंने उच्चतम न्यायालय के आदेशानुसार मतदान शतप्रतिशत वीवीपेट युक्त ईवीएम से सुनिश्चित करने, 20 प्रतिशत मशीनों के मतों का मिलान वीवीपेट की पर्ची से करने और प्रत्येक प्रत्याशी की पसंद से किसी एक ईवीएम के मतों का मिलान वीवीपेट की पर्ची से करने को अनिवार्य बनाने का सुझाव दिया है। भाकपा के अतुल कुमार अंजान ने बताया कि उन्होंने बैठक में भाजपा और तेदेपा सहित सिर्फ तीन दलों ने ईवीएम के बजाय मतपत्र से मतदान कराने की मांग का विरोध किया। उन्होंने बताया कि बैठक में चुनावी खर्च की सीमा तय करने और नेपाल की तर्ज पर समानुपातिक प्रतिनिधितत्व पद्धति से भारत में भी चुनाव कराने के सुझाव पेश किए गए।

मतपत्र से चुनाव का 70 फीसदी पार्टियों ने किया समर्थन, भाजपा पड़ी अलग-थलग: कांग्रेस

कांग्रेस ने आज कहा कि देश में मतपत्र से चुनाव की व्यवस्था की ओर फिर से लौटने और चुनावी खर्च को सीमित करने की उसकी मांग का 70 फीसदी राजनीतिक दलों ने समर्थन किया है। उसने यह भी दावा किया कि ईवीएम से चुनाव जारी रखने की पैरवी कर रही भाजपा और उसके कुछ सहयोगी दल आज चुनाव आयोग द्वारा बुलाई गई बैठक में इन दोनों मुद्दों पर अलग-थलग पड़ गए थे।

चुनाव आयोग द्वारा बुलाई गई सर्वदलीय बैठक के बाद कांग्रेस प्रवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने बताया कि पार्टी ने आयोग से यह भी कहा कि अगर मतपत्र से चुनाव कराना संभव नहीं हो तो विकल्प के तौर पर ईवीएम के साथ लगे वीवीपैट में कम से कम 30 फीसदी की जांच कराई जाए ताकि देश में स्वतंत्र एवं निष्पक्ष चुनाव सुनिश्चित हो सके। सिंघवी ने संवाददाताओं से कहा, ‘‘आज की बैठक में हमने चुनाव को फिर से मतपत्र के जरिए कराने की मांग की। हमने यह भी कहा कि अगर यह संभव नहीं हो रहा है तो विकल्प के तौर पर कम से कम 30 फीसदी वीवीपैट की पर्चियों का मिलान कराया जाए ताकि स्वतंत्र एवं निष्पक्ष चुनाव सुनिश्चित हो सके।’’

उन्होंने कहा, ‘‘दूसरा मुद्दा चुनाव में खर्च सीमित करने का था। आप जानते हैं कि एक पार्टी ने हालिया चुनावों में किस तरह से पैसे बहाए हैं। ऐसे में हमने मांग रखी की खर्च को सीमित किया जाना चाहिए।’’ कांग्रेस प्रवक्ता ने कहा, ‘‘हमारी इन दोनों मांगों का 70 फीसदी राजनीतिक दलों ने समर्थन किया। इसमें भाजपा एवं उसके कुछ सहयोगी दल अलग-थलग पड़ गए थे।’’ सिंघवी ने कहा कि मतदाता सूचियों में गड़बड़ी को दुरुस्त करने, महिला आरक्षण, दिव्यांगों को सुविधाएं और चुनावी बांड के मामले पर कांग्रेस ने अपना पक्ष रखा।

बैठक में शामिल हुए कांग्रेस महासचिव मुकुल वासनिक ने आज यहां संवाददाताओं से कहा, ‘‘ईवीएम के प्रति जनता का रुझान नकारात्मक होता जा रहा है क्योंकि अधिकतर राज्यों में मतदान के दौरान उसमें गड़बड़ियां सामने आई है। यहां तक की कई बार देखने में मिला है कि वोट देने के लिये कोई भी बटन दबाओ तो वह एक चिन्हित राजनीतिक दल को ही जाता है।’’ उन्होंने कहा, ‘‘कांग्रेस प्रतिनिधिमंडल ने चुनाव आयोग से इस संबंध में कहा है कि इसका एक ही निवारण है कि वीवीपैट की फिर से जांच की जाए तथा कम से कम 30 प्रतिशत वीवीपैट की जांच हो ताकि चुनाव प्रक्रिया की तरफ जनता का रुझान सकारात्मक हो। इससे देश का लोकतंत्र मजबूत होगा।’’

वीवीपैट इलेक्ट्रानिक वोटिंग मशीन में लगी वह प्रणाली है जिससे निकलने वाली कागज की पर्ची के जरिए मतदाता द्वारा डाले गए वोट की पुष्टि होती है।

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