नयी दिल्ली: चुनाव आयोग ने लोकसभा चुनाव की मतगणना में इस बार पांच गुना अधिक वीवीपीएटी की पर्चियों के ईवीएम के मतों से मिलान की तैयारी मुकम्मल करते हुये स्पष्ट किया है कि ईवीएम के मत और वीवीपीएटी की पर्ची असंगत पाये जाने पर वीवीपीएटी की पर्चियों की गणना को वैध माना जायेगा। उल्लेखनीय है कि लोकसभा चुनाव में वीवीपीएटी की पर्ची से ईवीएम के मत का मिलान पहली बार किया जायेगा। उच्चतम न्यायालय के फैसले के तहत लागू हूयी इस व्यवस्था के अंतर्गत विधानसभा चुनाव में मतगणना के दौरान प्रत्येक विधानसभा क्षेत्र से एक मतदान केन्द्र की वीवीपीएटी की पर्चियों का औचक मिलान किया जाता रहा है।
शीर्ष अदालत के हाल ही में दिये गये आदेश के तहत अब लोकसभा चुनाव की मतगणना में प्रत्येक विधानसभा क्षेत्र में पांच मतदान केन्द्रों की वीवीपीएटी की पर्चियों का ईवीएम के मतों से औचक मिलान किया जायेगा। उप चुनाव आयुक्त सुदीप जैन पहले ही स्पष्ट कर चुके हैं कि इस बार मतगणना में पांच गुना अधिक वीवीपीएटी की पर्चियों की गणना के कारण चुनाव परिणाम में औसतन, कम से कम चार घंटे तक का विलंब हो सकता है।
सात चरण में हो रहे लोकसभा चुनाव के अंतिम दौर का मतदान 19 मई को होने के बाद 23 मई को मतगणना होगी। अब तक पांच चरण का मतदान हो चुका है। छठे चरण का मतदान 12 मई को है। आयोग के एक अधिकारी ने निर्वाचन नियमों का हवाला देते हुये बताया कि ईवीएम के मत और वीवीपीएटी की पर्ची के मिलान में विसंगति पाये जाने पर वीवीपीएटी की पर्ची को वैध माना जायेगा। उन्होंने बताया कि निर्वाचन नियमावली के नियम 56 डी (4) के तहत ईवीएम की कंट्रोल यूनिट में दर्ज कुल मत और वीवीपीएटी की पर्चियों की गणना में अंतर पाये जाने पर वीवीपीएटी को वरीयता दी जायेगी।
इस बाबत सभी राज्यों के मुख्य निर्वाचन अधिकारियों को इस स्पष्टीकरण के साथ इसके पालन के निर्देश भी जारी कर दिये गये हैं। हालांकि आयोग ने स्पष्ट किया है कि मतगणना के दौरान ईवीएम के मत और वीवीपीएटी की पर्चियों के मिलान में अब तक कभी विसंगति होने का कोई उदाहरण नहीं है। मतगणना संबंधी परिवर्तित व्यवस्था के तहत आयोग को इस बार लोकसभा चुनाव की मतगणना में कुल 20600 मतदान केन्द्रों की वीवीपीएटी की पर्चियों की गणना करनी होगी। एक अनुमान के मुताबिक प्रत्येक मतदान केन्द्र पर मतदाताओं की संख्या 800 से 2500 तक होती है।